पटना: मिशन 2024 के तहत सीएम नीतीश कुमार विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एक साथ लाने में लगे हैं, लेकिन अपने घर में ही महागठबंधन को एकजुट नहीं रख पा रहे हैं. पार्टी के नेताओं को भी बाहर जाने से रोक नहीं रहे हैं. जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने के बाद अब बीजेपी लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साध रही है.
ये भी पढ़ेंः Bihar Politics: '..तो मांझी की बीजेपी से हो गई है डील!' सवाल- लालू नीतीश का कितना करेंगे नुकसान?
विपक्षी एकता पर बीजेपी ने साधा निशानाः बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि विपक्षी दलों की होने वाली बैठक की यह दूसरी तिथि है, पहले तो 12 जून को ही बैठक होनी थी लेकिन कई दलों की असहमति हो गई अब 23 जून को बैठक से पहले ही महागठबंधन में दरार हो गया है. 23 जून तक आते-आते कितनी पार्टियां बच जाएगीं, यह पता चल जाएगा यह दिखावे का महागठबंधन रह जाएगा. विपक्षी एकता हाथी का दांत बनकर रह जाएंगा.
"सब में महत्वाकांक्षा है और इसके कारण एक-दूसरे पर हावी होना यही इस महागठबंधन के अंदर है तो विपक्षी एकजुटता हो ही नहीं सकती है. एक राज्य में लोग एक साथ रह नहीं सकते हैं और अकेले चुनाव लड़ नहीं सकते हैं और भाजपा मुक्त की बात कर रहे हैं. बीजेपी दुनिया की सबसे ज्यादा सदस्यों वाली पार्टी है, जिसके नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे चर्चित व्यक्ति हैं, जिसका दुनिया के सभी राष्ट्र अध्यक्ष कायल हैं"- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता
'जाने वाले को रोका नहीं जा सकता': जीतन राम मांझी के जाने से महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है लेकिन जदयू मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि जिन को जाने की इच्छा होगी, उनको कोई रोक सकता है और जिनको आने की इच्छा होगी उन्हें भी कोई नहीं रोक सकता है. जो लोग देश के व्यापक हित में सोचते हैं वह महागठबंधन के साथ रहेंगे जिनको देश हित में नहीं सोचना है परिवार के हित में सोचना है कुछ भी फैसला ले सकते हैं, स्वतंत्र हैं. चार पैर वाले को बांधा जा सकता है दो वाले को नहीं.
'जदयू से खिसकेगा कुशवाहा वोट बैंक': राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश कुमार बीजेपी के चक्रव्यूह में फंस रहे हैं, पहले उपेंद्र कुशवाहा जदयू से निकले हैं और अपनी अलग पार्टी बना ली है उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी के साथ तालमेल करेंगे यह तय है. बीजेपी ने सम्राट चौधरी को भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी है. ऐसे में अधिकांश कुशवाहा वोट बैंक जदयू से खिसकने का बड़ा खतरा है उसके बाद मुकेश सहनी भी महागठबंधन के साथ नहीं दिख रहे हैं.
"जीतन राम मांझी के महागठबंधन से निकलने के बाद दलित वोट बैंक पर खतरा उत्पन्न हो गया है. चर्चा है मुकेश सहनी एनडीए के साथ ही जाएंगे ऐसे में सहनी वोट भी नीतीश कुमार और महागठबंधन के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा. उपेंद्र कुशवाहा भी बीजेपी के साथ तालमेल करेंगे. ये महागठबंधन के लिए सही नहीं है"- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ
2024 का चुनाव बिहार में आसान नहींः आपको बता दें कि चिराग पासवान पहले से ही नीतीश कुमार के खिलाफ हैं और अब जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार के खिलाफ हो गए हैं. ऐसे में 2024 का चुनाव बिहार में नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होने वाला है. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी का साथ नहीं मिलने से तीनों नेताओं के जो वोट बैंक है उस पर खतरा उत्पन्न हो गया है महागठबंधन को इसका बड़ा नुकसान हो सकता है. दलित वोट बैंक-16 % कुशवाहा वोट बैंक-7% सहनी वोट बैंक-6%
रत्नेश सदा को मंत्री बनाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिशः में लजीतन राम मांझी के अमित शाह से मुलाकात के बाद ही कई तरह के कयास लगने लगे थे और उनके बयान से भी लग रहा था कोई बड़ा फैसला लेने वाले हैं. जीतन राम मांझी दलितों के बड़े चेहरा है ऐसे डैमेज कंट्रोल के लिए जरूर जिस समाज से जीतन राम मांझी आते हैं उसी मुसहर समाज से रत्नेश सदा को नीतीश कुमार ने मंत्री बनाने का फैसला कर लिया है, लेकिन यह सवाल जरूर उठ रहा है कि जहां नीतीश पूरे देश में विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं एक मंच पर लाने में लगे हैं खुद अपने ही राज्य में अपना कुनबा समेट कर रखने में सफल नहीं हो रहे हैं.