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शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने जताई शोक संवेदना

लंबी बीमारी के चलते शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया. सीएम नीतीश कुमार ने शंकराचार्य के निधन पर शोक संवेदना जताई. उन्होंने दिवंगत पुण्य आत्मा की चिर शांति एवं परिजनों तथा प्रशंसकों के प्रति संवेदना जाहिर की. पढ़ें पूरी खबर..

Shankaracharya Swaroopanand Saraswati passed away
Shankaracharya Swaroopanand Saraswati passed away
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Published : Sep 11, 2022, 7:50 PM IST

पटना: हिंदू धर्म गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन (Shankaracharya Swaroopanand Saraswati passed away) हो गया. वह 99 साल के थे. मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर मंदिर में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. द्वारका की शारदा पीठ और ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य ने 2 सितंबर को ही अपना 99 वां जन्मदिन मनाया था. सीएम नीतीश कुमार ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक जताया है.

ये भी पढ़ें- आजादी की लड़ाई से लेकर राम मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन

सीएम नीतीश ने जताई शोक संवेदना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने धर्म, अध्यात्म एवं परमार्थ के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उनका निधन संत समाज एवं अध्यात्मिक जगत के लिये अपूरणीय क्षति है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत पुण्य आत्मा की चिर शांति एवं परिजनों तथा प्रशंसकों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

मध्य प्रदेश में जन्म, काशी में ली थी वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में पिता धनपति उपाध्याय और मां गिरिजा देवी के यहां हुआ. माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा. 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं, इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली. यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी.

दो मठों के शंकराचार्य थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती: हिंदुओं को संगठित करने की भावना से आदिगुरु भगवान शंकराचार्य ने 1300 वर्ष पहले भारत के चारों दिशाओं में चार धार्मिक राजधानियां (गोवर्धन मठ, श्रृंगेरी मठ, द्वारका मठ एवं ज्योतिर्मठ) बनाईं. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य हैं. शंकराचार्य का पद हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है, हिंदुओं का मार्गदर्शन एवं भगवत् प्राप्ति के साधन आदि विषयों में हिंदुओं को आदेश देने के विशेष अधिकार शंकराचार्यों को प्राप्त होते हैं.

पटना: हिंदू धर्म गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन (Shankaracharya Swaroopanand Saraswati passed away) हो गया. वह 99 साल के थे. मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर मंदिर में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. द्वारका की शारदा पीठ और ज्योर्तिमठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य ने 2 सितंबर को ही अपना 99 वां जन्मदिन मनाया था. सीएम नीतीश कुमार ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर शोक जताया है.

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सीएम नीतीश ने जताई शोक संवेदना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने धर्म, अध्यात्म एवं परमार्थ के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उनका निधन संत समाज एवं अध्यात्मिक जगत के लिये अपूरणीय क्षति है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत पुण्य आत्मा की चिर शांति एवं परिजनों तथा प्रशंसकों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

मध्य प्रदेश में जन्म, काशी में ली थी वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में पिता धनपति उपाध्याय और मां गिरिजा देवी के यहां हुआ. माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा. 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं, इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली. यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी.

दो मठों के शंकराचार्य थे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती: हिंदुओं को संगठित करने की भावना से आदिगुरु भगवान शंकराचार्य ने 1300 वर्ष पहले भारत के चारों दिशाओं में चार धार्मिक राजधानियां (गोवर्धन मठ, श्रृंगेरी मठ, द्वारका मठ एवं ज्योतिर्मठ) बनाईं. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य हैं. शंकराचार्य का पद हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है, हिंदुओं का मार्गदर्शन एवं भगवत् प्राप्ति के साधन आदि विषयों में हिंदुओं को आदेश देने के विशेष अधिकार शंकराचार्यों को प्राप्त होते हैं.

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