पटना: बिहार में छठ पर्व (Chhath Puja) को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. नगर विकास एवं आवास विभाग की कोशिश है कि व्रतियों को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने में कोई दिक्कत नहीं हो. इसके लिए तैयारियां अभी से ही प्रारंभ कर दी गई हैं.
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नगर विकास एवं आवास विभाग के मुताबिक, छठ महापर्व को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई हैं. पटना के पार्कों में स्थित स्थायी तालाबों को चिह्नित कर लिया गया है. साथ ही, अस्थायी तालाबों के निर्माण स्थलों की पहचान की जा रही है. गंगा घाटों के अलावा पटना के 45 पार्कों और तालाबों को चिह्नित किया गया है.
विभाग के मुताबिक, राज्य के सभी नगर निकायों में मिलाकर करीब 1400 नदी घाट व तीन हजार तालाबों को साफ-सफाई कर सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए हैं. उनके संपर्क पथों को भी ठीक करने की कवायद प्रारंभ कर दी गई है, जिससे छठव्रतियों को आने-जाने में कष्ट नहीं हो.
सभी नगर निकायों के अधिकारियों को दीपावली तक छठ घाटों और तालाबों, पोखरों की अच्छे से साफ-सफाई कराने के निर्देश दिए गए हैं. नवंबर के दूसरे सप्ताह में छठ पर्व को देखते हुए दीपावली से लेकर छठ पर्व तक शहरी निकायों में विशेष साफ-सफाई अभियान चलाया जाएगा.
इधर, पटना नगर निगम क्षेत्र के सभी अंचल के कार्यपालक अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे चिह्नित पार्कों और अस्थायी तालाबों को आठ नवंबर तक किसी भी हाल में महापर्व के लिए तैयार कर लें. इन स्थायी और अस्थायी तालाबों में गंगा जल डाला जाएगा.
राज्य के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के मुताबिक, छठ महापर्व में किसी प्रकार की दिक्कत व्रतियों को नहीं हो इसके मद्देनजर तैयारी प्रारंभ कर दी गई है. उन्होंने कहा कि सड़कों सहित नदी घाटों, तालाबों को दुरूस्त कराया जा रहा है. इसके अलावे साफ-सफाई की भी व्यवस्था भी की जा रही है.
बता दें कि छठ पूजा बेहद खास होता है. यह त्योहार 4 दिनों तक चलता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी से शुरू हो जाता है. यह त्योहार नहाय खाय के साथ शुरू होता है.
छठ पूजा 8 नवंबर से शुरू हो रहा है. इसके अगले दिन यानी 9 नवंबर को खरना होता है. 10 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और अंत में 11 नवंबर की सुबह भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा. इस त्योहार का नियम सख्त है. व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं.