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कोरोना काल में नीतीश सरकार के सामने बाढ़ से बचाव कार्य की मुश्किल चुनौती - Government preparations for flood

कोरोना संक्रमण के कारण इस बार बड़ी संख्या में जल संसाधन विभाग के इंजीनियर और अन्य अधिकारी बीमार हो गए हैं. बड़ी संख्या में मजदूर भी कोरोना से संक्रमित हो गए, जिसका खासा असर अधूरी पड़ी योजनाओं पर पड़ा है. सरकार के सामने अब कोरोना के साथ बाढ़ और बाढ़ के बाद महामारी की दोहरी चुनौती है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : May 20, 2021, 10:05 PM IST

Updated : May 20, 2021, 11:29 PM IST

पटना: बिहार में एक दर्जन से अधिक जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं. खासकर उत्तर बिहार में बाढ़ हर साल तबाही मचाती है. पिछले साल भी बिहार के 16 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए थे. 69 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से कई दिनों तक परेशान रही. अब इस साल भी कोरोना कहर मचा रहा है. ऐसे में सरकार की ओर से बाढ़ से बचाव को लेकर तैयारी शुरू है. इसके लिए मुख्यमंत्री स्तर पर पिछले सप्ताह समीक्षा हो चुकी है.

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कोरोना का योजनाओं पर असर
जल संसाधन विभाग लगातार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल संवाद कर रहा है. बाढ़ से बचाव के लिए इस साल 269 योजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें कई योजनाएं पूरी हो गई हैं. लेकिन कोरोना का असर कई योजनाओं पर पड़ा है. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार बड़ी संख्या में विभाग के इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी बीमार हो गए हैं. बड़ी संख्या में मजदूर कोरोना संक्रमित हो गए उसका खासा असर पड़ा है.

कोरोना काल में बाढ़ से निपटने की चुनौती
ऐसे में जो योजना पूरी नहीं हुई है, उसे विभाग ने 31 मई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. सरकार के सामने दोहरी चुनौती है. सरकार के सामने अब कोरोना के साथ बाढ़ और बाढ़ के बाद महामारी की दोहरी चुनौती है. ऐसे में कई विभागों को तैयारी करने का मुख्यमंत्री ने खुद समीक्षा बैठक कर निर्देश दिया है.

बाढ़ से निपटने की मुश्किल चुनौती
बाढ़ से निपटने की मुश्किल चुनौती

बाढ़ से होता है करोड़ों का नुकसान
बिहार में बाढ़ से एक दर्जन से अधिक जिले हर साल प्रभावित होते हैं और हजारों करोड़ का नुकसान भी होता रहा है. पिछले साल भी 3300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था. कई दिनों तक 69 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से परेशान रही. अब इस साल 15 जून से मानसून शुरू हो रहा है और कई जिलों के लोगों को अभी से बाढ़ की चिंता सताने लगी है.

ये भी पढ़ें- सीतामढ़ी: जिले में मिला पहला ब्लैक फंगस का मामला, डॉक्टरों ने पीड़ित व्यक्ति को किया पटना रेफर

सीएम नीतीश लगातार कर रहे समीक्षा
सरकार की ओर से बाढ़ से बचाव को लेकर कई योजनाओं पर काम हो रहा है. लेकिन कोरोना का असर पिछले साल भी हुआ था और इस साल भी कार्य पर असर पड़ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 मई को बाढ़ से बचाव को लेकर किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की थी और कई निर्देश भी दिए हैं. जिसके बाद जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे हैं.

बाढ़ से बचाव कार्य की चुनौती
बाढ़ से बचाव कार्य की चुनौती

बाढ़ से बचाव के लिए कार्य
2020 बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त बांध और अन्य कटाव निरोधक कार्य के लिए 269 योजनाओं पर इस साल काम चल रहा है. उसमें से कई योजना पूरी हो गई हैं. इस पर 1225.49 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. इसमें आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त निधि के तहत 556.36 करोड़ और इसके तहत 136 योजनाओं पर काम हो रहा है. साथ ही कोसी और गंडक नदी के नेपाल भू-भाग में 19 कार्य भी किये जा रहे हैं, जिन पर 130.21 करोड़ का व्यय निर्धारित है. ये राशि केंद्र सरकार से प्राप्त होगी.

बांधों की सुरक्षा के लिए चल रहा काम
इसके अतिरिक्त बांधों की सुरक्षा के लिए 220 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण एक बार फिर से इस साल भी कई योजनाओं के कार्य पर असर पड़ रहा है. ऐसे तो 15 मई तक योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य था. लेकिन काफी संख्या में कार्य अधूरा है और उसे अब 30 मई तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है, जो योजना 2022 और 2023 में पूरी होगी उस पर भी कोरोना का काफी असर पड़ा है.

ये भी पढ़ें- पटना के IGIMS में ब्लैक फंगस के मरीजों का किया जाएगा 'विशेष' इलाज

जल संसाधन मंत्री संजय झा ने जानकारी दी है कि बाढ़ से बचाव को लेकर कई बड़ी परियोजना पर काम चल रहा है. कोरोना संक्रमण के बावजूद अभियंता और अधिकारी के साथ विभाग के लोग लगे हुए हैं.

  1. तिरहुत प्रमंडल के 6 जिलों वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी और शिवहर में इस साल बाढ़ सुरक्षा के लिए 62 योजना पर काम चल रहा है. जिस पर 213.4 किलो रुपए खर्च हो रहा है. इसमें से कई योजना पूरी हो गई हैं और बची योजना को 31 मई तक पूरा करने का लक्ष्य है.
  2. 116.36 करोड़ रुपए की लागत से सुपौल और मधुबनी जिले के अंतर्गत पश्चिमी कोसी तटबंध के ऊंचा और सुदृढ़ीकरण करने का कार्य लगभग पूर्ण होने की कगार पर है.
  3. 110.65 करोड़ की लागत से सीतामढ़ी में रातों नदी के तट पर बाढ़ प्रबंधन योजना के तहत नो मेंस लैंड से निशा रोड तक तटबंध का निर्माण मार्च 2022 तक पूरा कराना है और इस पर काम चल रहा है लेकिन कोरोना के कारण इस पर असर पड़ा है.
  4. 138.02 करोड़ की लागत से बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज 4ए के अंतर्गत बागमती नदी के दाएं तट पर बेलवा के नजदीक हेड रेगुलेटर का निर्माण बांध का निर्माण और एज प्रोटेक्शन का कार्य कराया जा रहा है. ऐसे तो अगस्त तक इस योजना को पूरा करना है, लेकिन इस पर भी काफी असर पड़ा है.
  5. 548.13 करोड़ की लागत से बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज 3बी और फेज 5ए के प्रथम चरण के अंतर्गत योजना पर कार्य चल रहा है. इसे जून 2022 तक पूरा होना है. इसके पूरा होने से मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और दरभंगा के 3.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी. लेकिन कोरोना का इस योजना पर असर पड़ा है.
  6. 19.90 करोड़ की लागत से लखनदेई नदी की धार को पुरानी धार से मिलाने और पुरानी धार की उड़ाही का कार्य कराया जा रहा है. इस योजना से सोनबरसा, बथनाहा, सीतामढ़ी और रुन्नीसैदपुर प्रखंडों में 2539 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खेती संभव हो सकेगी.
  7. 42.42 करोड़ की लागत से भागलपुर जिले के अंतर्गत गंगा नदी के बाएं तट पर तटबंध का निर्माण कार्य की योजना भी दी गई थी, लेकिन भू-अर्जन सहित कई व्यवधान के कारण इसका काम बहुत धीमी गति से चल रहा है.
  8. 793 करोड़ रुपए की लागत से महानंदा बाढ़ प्रबंधन योजना क्षेत्र के अंतर्गत कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया जिले में तटबंध का निर्माण कार्य शुरू होना था, लेकिन इस पर भी असर पड़ा है.
  9. 48.43 करोड़ रुपए की लागत से बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत भूतही बलान तटबंध का विस्तारीकरण का कार्य पर भी असर पड़ा है. मधुबनी जिले के फुलपरास प्रखंड के 56 गांव के करीब 6.5 लाख ग्रामीणों को इसके पूरा हो जाने से लाभ मिलेगा, ऐसे तो योजना जून 2022 तक पूरा होना है.
  10. 41.755 करोड़ की लागत से कमला बलान नेपाल भूभाग के तटबंध से आपस में जोड़ने का कार्य किया जाना था, इस पर भी काफी असर पड़ा है. ऐसे यह योजना भी मई 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
  11. 325.12 करोड़ रुपए की लागत से कमला बलान बायां तटबंध और दायां तटबंध के ऊंचा करने के साथ मजबूती करण का कार्य भी किया जाना है, लेकिन इस पर भी कोरोना का असर पड़ा है. इसे मई 2022 तक पूर्ण करने की योजना है और इससे मधुबनी जिले के 12 लाख लोगों को राहत मिलेगी.
  12. 1178.50 रुपए की लागत से टाल विकास योजना के अंतर्गत 74 किलोमीटर की लंबाई में तटबंध का निर्माण होना है, इस पर काफी असर पड़ा है. ये योजना 2023 तक पूरा होना है, इसके साथ कई छोटी-छोटी योजनाओं पर भी काम चल रहा है. इसमें से कई पूरी भी हो गई हैं और कई योजनाओं को 30 मई तक पहले पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है.

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बाढ़ को लेकर विभाग की तैयारी

  • तटबंध मरम्मत के लिये बिहार में पहली बार स्टील शीट पाइलिंग का इस्तेमाल हो रहा है.
  • ये 2019 से शुरू हुआ है और अब इसे बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.
  • बाढ़ से सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल जल संसाधन विभाग कर रहा है.
  • जल संसाधन विभाग ने व्हाट्सएप नंबर जारी करने की भी तैयारी की है.
  • विभाग के अधिकारियों के अनुसार नदियों के जलस्तर और जलस्त्राव का 72 घंटे पहले जिला प्रशासन की ओर से क्षेत्र की जनता को अलर्ट करने की तैयारी है.
  • बाढ़ को लेकर कंट्रोल रूम के माध्यम से लोगों को सही जानकारी पहुंचे, इसकी भी कोशिश हो रही है और लोगों से सूचनाएं प्राप्त करने की इस बार भी तैयारी है.
  • मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जल संसाधन विभाग सांसद, विधायक और विधान पार्षदों से भी संवाद कर रहा है.
  • जल संसाधन मंत्री संजय झा सभी प्रमंडल के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से तैयारी को लेकर लगातार बैठक कर रहे हैं.
  • मुख्यमंत्री ने बाढ़ कटाव से सुरक्षा के लिए 7 मई को उच्च स्तरीय बैठक की और कई दिशा निर्देश दिए.

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अलर्ट मोड पर आपदा और स्वास्थ विभाग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा विभाग को अभी से बाढ़ राहत कार्य में उपयोग होने वाले सामानों की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है. बाढ़ से बचाव के लिए आपदा विभाग की जो टीम काम करती है, उसे अभी से ही अलर्ट कर दिया गया है. यही नहीं स्वास्थ्य विभाग को कई स्तरों पर तैयारी करने के लिए भी कहा है.

बाढ़ और महामारी की सता रही चिंता
बिहार में कोरोना का कहर है और बाढ़ के समय कई तरह की बीमारियों के साथ महामारी फैलने की भी आशंका रहती है. ऐसे में कोरोना के समय टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट के साथ वैक्सीनेशन का कार्य भी होना है, तो उस पर भी प्लानिंग अभी से करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ महामारी ना फैले इसके लिए सभी बाढ़ प्रभावित जिलों के सिविल सर्जन को पर्याप्त मात्रा में दवा और अन्य जरूरी चीजों के साथ तैयारी कर लेने का निर्देश भी दिया गया है.

बिहार सचिवालय
बिहार सचिवालय

सीएम ने कई विभागों को किया अलर्ट
इसके साथ ही बाढ़ के बाद महामारी ना फैले इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ पीएचईडी को भी तैयार रहने के लिए कहा गया है. नगर विकास विभाग को भी तैयारी कर लेने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद महामारी ना फैले इस पर काम शुरू है.

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पीएचईडी ने अधिकारियों को दिए निर्देश
साथ ही लोगों को स्वच्छ जल मिले इसके लिए पीएचईडी विभाग ने बाढ़ से प्रभावित होने वाले 26 जिलों के कार्यपालक अभियंताओं को विशेष पत्र भेजा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल, शौचालय और स्वच्छता को लेकर पूरी तैयारी करने का निर्देश दिया है. चापाकल को मरम्मत करने के साथ ही स्पेयर पार्ट्स पहले से रखने का निर्देश दिए हैं, इसके साथ ही जिला नियंत्रण कक्ष में नोडल पदाधिकारी की तैनाती का भी फैसला हुआ है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

जिन 26 जिलों को पीएचईडी विभाग ने पत्र भेजकर कार्यपालक अभियंता को तैयार रहने का निर्देश दिया है, उसमें पटना, आरा, बक्सर, सारण, सिवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, खगड़िया, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मुंगेर, भागलपुर और लखीसराय शामिल हैं.

बाढ़ के बाद की भी तैयारी
बाढ़ का पानी निकलने के बाद ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव को लेकर भी तैयारी कर लेने का संबंधित विभाग को मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है. कुल मिलाकर देखें तो बाढ़ से बचाव के लिए तटबंधों की मरम्मत और अन्य कार्य जो किया जाना है, उसे 30 मई तक पूरा कर लेना है. साथ ही बाढ़ के बाद की जो स्थिति पैदा होगी, उससे निपटने के लिए भी सरकार सभी विभागों को अभी से तैयारी कर लेने का निर्देश दे दी है.

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बाढ़ में केंद्र से मिलने वाली राहत
बिहार सरकार की ओर से नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मदद भी मांगी जाती रही है, हालांकि जितना राज्य सरकार मांगती है उतना कभी मदद केंद्र से नहीं मिलती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से मदद की राशि बढ़ी है. 2020 में केंद्र ने 1255 करोड़ बिहार को मदद बाढ़ से नुकसान की भरपाई के लिए किया. उससे पहले 2019 में लगभग 1000 करोड़ और 2017 में 1700 करोड़ केंद्रीय मदद मिली.

बिहार में बाढ़ से बचाव के लिए 3790 किलोमीटर तटबंध का निर्माण किया गया है. नेपाल भाग में भी 68 किलोमीटर तक बांध बनाया गया है. उसके बावजूद 68.80 लाख हेक्टेयर बिहार का हिस्सा बाढ़ प्रभावित होता है, जो बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र 94.16 लाख हेक्टेयर का 73.06 प्रतिशत है.

कोरोना काल में बाढ़ की चुनौती
कोरोना काल में बाढ़ की चुनौती

खासकर उत्तर बिहार की नदियों गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान, भूतही बलान और गंगा हर साल बाढ़ से तबाही मचाती है और इसका बड़ा कारण अधिकांश नदियों में बरसात के समय नेपाल के हिस्से से अधिक पानी आना है, जिसका कोई नियंत्रण नहीं है. बाढ़ के कारण जानमाल की बड़ी क्षति होती है. बाढ़ के बाद भी लोगों के लिए महामारी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आती है, जिससे निपटना एक बड़ी चुनौती होता है.

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पटना: बिहार में एक दर्जन से अधिक जिले हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं. खासकर उत्तर बिहार में बाढ़ हर साल तबाही मचाती है. पिछले साल भी बिहार के 16 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए थे. 69 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से कई दिनों तक परेशान रही. अब इस साल भी कोरोना कहर मचा रहा है. ऐसे में सरकार की ओर से बाढ़ से बचाव को लेकर तैयारी शुरू है. इसके लिए मुख्यमंत्री स्तर पर पिछले सप्ताह समीक्षा हो चुकी है.

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कोरोना का योजनाओं पर असर
जल संसाधन विभाग लगातार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ वर्चुअल संवाद कर रहा है. बाढ़ से बचाव के लिए इस साल 269 योजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें कई योजनाएं पूरी हो गई हैं. लेकिन कोरोना का असर कई योजनाओं पर पड़ा है. कोरोना संक्रमण के कारण इस बार बड़ी संख्या में विभाग के इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी बीमार हो गए हैं. बड़ी संख्या में मजदूर कोरोना संक्रमित हो गए उसका खासा असर पड़ा है.

कोरोना काल में बाढ़ से निपटने की चुनौती
ऐसे में जो योजना पूरी नहीं हुई है, उसे विभाग ने 31 मई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. सरकार के सामने दोहरी चुनौती है. सरकार के सामने अब कोरोना के साथ बाढ़ और बाढ़ के बाद महामारी की दोहरी चुनौती है. ऐसे में कई विभागों को तैयारी करने का मुख्यमंत्री ने खुद समीक्षा बैठक कर निर्देश दिया है.

बाढ़ से निपटने की मुश्किल चुनौती
बाढ़ से निपटने की मुश्किल चुनौती

बाढ़ से होता है करोड़ों का नुकसान
बिहार में बाढ़ से एक दर्जन से अधिक जिले हर साल प्रभावित होते हैं और हजारों करोड़ का नुकसान भी होता रहा है. पिछले साल भी 3300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था. कई दिनों तक 69 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से परेशान रही. अब इस साल 15 जून से मानसून शुरू हो रहा है और कई जिलों के लोगों को अभी से बाढ़ की चिंता सताने लगी है.

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सीएम नीतीश लगातार कर रहे समीक्षा
सरकार की ओर से बाढ़ से बचाव को लेकर कई योजनाओं पर काम हो रहा है. लेकिन कोरोना का असर पिछले साल भी हुआ था और इस साल भी कार्य पर असर पड़ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 मई को बाढ़ से बचाव को लेकर किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की थी और कई निर्देश भी दिए हैं. जिसके बाद जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे हैं.

बाढ़ से बचाव कार्य की चुनौती
बाढ़ से बचाव कार्य की चुनौती

बाढ़ से बचाव के लिए कार्य
2020 बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त बांध और अन्य कटाव निरोधक कार्य के लिए 269 योजनाओं पर इस साल काम चल रहा है. उसमें से कई योजना पूरी हो गई हैं. इस पर 1225.49 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. इसमें आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त निधि के तहत 556.36 करोड़ और इसके तहत 136 योजनाओं पर काम हो रहा है. साथ ही कोसी और गंडक नदी के नेपाल भू-भाग में 19 कार्य भी किये जा रहे हैं, जिन पर 130.21 करोड़ का व्यय निर्धारित है. ये राशि केंद्र सरकार से प्राप्त होगी.

बांधों की सुरक्षा के लिए चल रहा काम
इसके अतिरिक्त बांधों की सुरक्षा के लिए 220 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण एक बार फिर से इस साल भी कई योजनाओं के कार्य पर असर पड़ रहा है. ऐसे तो 15 मई तक योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य था. लेकिन काफी संख्या में कार्य अधूरा है और उसे अब 30 मई तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है, जो योजना 2022 और 2023 में पूरी होगी उस पर भी कोरोना का काफी असर पड़ा है.

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जल संसाधन मंत्री संजय झा ने जानकारी दी है कि बाढ़ से बचाव को लेकर कई बड़ी परियोजना पर काम चल रहा है. कोरोना संक्रमण के बावजूद अभियंता और अधिकारी के साथ विभाग के लोग लगे हुए हैं.

  1. तिरहुत प्रमंडल के 6 जिलों वैशाली, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी और शिवहर में इस साल बाढ़ सुरक्षा के लिए 62 योजना पर काम चल रहा है. जिस पर 213.4 किलो रुपए खर्च हो रहा है. इसमें से कई योजना पूरी हो गई हैं और बची योजना को 31 मई तक पूरा करने का लक्ष्य है.
  2. 116.36 करोड़ रुपए की लागत से सुपौल और मधुबनी जिले के अंतर्गत पश्चिमी कोसी तटबंध के ऊंचा और सुदृढ़ीकरण करने का कार्य लगभग पूर्ण होने की कगार पर है.
  3. 110.65 करोड़ की लागत से सीतामढ़ी में रातों नदी के तट पर बाढ़ प्रबंधन योजना के तहत नो मेंस लैंड से निशा रोड तक तटबंध का निर्माण मार्च 2022 तक पूरा कराना है और इस पर काम चल रहा है लेकिन कोरोना के कारण इस पर असर पड़ा है.
  4. 138.02 करोड़ की लागत से बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज 4ए के अंतर्गत बागमती नदी के दाएं तट पर बेलवा के नजदीक हेड रेगुलेटर का निर्माण बांध का निर्माण और एज प्रोटेक्शन का कार्य कराया जा रहा है. ऐसे तो अगस्त तक इस योजना को पूरा करना है, लेकिन इस पर भी काफी असर पड़ा है.
  5. 548.13 करोड़ की लागत से बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज 3बी और फेज 5ए के प्रथम चरण के अंतर्गत योजना पर कार्य चल रहा है. इसे जून 2022 तक पूरा होना है. इसके पूरा होने से मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और दरभंगा के 3.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी. लेकिन कोरोना का इस योजना पर असर पड़ा है.
  6. 19.90 करोड़ की लागत से लखनदेई नदी की धार को पुरानी धार से मिलाने और पुरानी धार की उड़ाही का कार्य कराया जा रहा है. इस योजना से सोनबरसा, बथनाहा, सीतामढ़ी और रुन्नीसैदपुर प्रखंडों में 2539 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खेती संभव हो सकेगी.
  7. 42.42 करोड़ की लागत से भागलपुर जिले के अंतर्गत गंगा नदी के बाएं तट पर तटबंध का निर्माण कार्य की योजना भी दी गई थी, लेकिन भू-अर्जन सहित कई व्यवधान के कारण इसका काम बहुत धीमी गति से चल रहा है.
  8. 793 करोड़ रुपए की लागत से महानंदा बाढ़ प्रबंधन योजना क्षेत्र के अंतर्गत कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया जिले में तटबंध का निर्माण कार्य शुरू होना था, लेकिन इस पर भी असर पड़ा है.
  9. 48.43 करोड़ रुपए की लागत से बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत भूतही बलान तटबंध का विस्तारीकरण का कार्य पर भी असर पड़ा है. मधुबनी जिले के फुलपरास प्रखंड के 56 गांव के करीब 6.5 लाख ग्रामीणों को इसके पूरा हो जाने से लाभ मिलेगा, ऐसे तो योजना जून 2022 तक पूरा होना है.
  10. 41.755 करोड़ की लागत से कमला बलान नेपाल भूभाग के तटबंध से आपस में जोड़ने का कार्य किया जाना था, इस पर भी काफी असर पड़ा है. ऐसे यह योजना भी मई 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
  11. 325.12 करोड़ रुपए की लागत से कमला बलान बायां तटबंध और दायां तटबंध के ऊंचा करने के साथ मजबूती करण का कार्य भी किया जाना है, लेकिन इस पर भी कोरोना का असर पड़ा है. इसे मई 2022 तक पूर्ण करने की योजना है और इससे मधुबनी जिले के 12 लाख लोगों को राहत मिलेगी.
  12. 1178.50 रुपए की लागत से टाल विकास योजना के अंतर्गत 74 किलोमीटर की लंबाई में तटबंध का निर्माण होना है, इस पर काफी असर पड़ा है. ये योजना 2023 तक पूरा होना है, इसके साथ कई छोटी-छोटी योजनाओं पर भी काम चल रहा है. इसमें से कई पूरी भी हो गई हैं और कई योजनाओं को 30 मई तक पहले पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है.

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बाढ़ को लेकर विभाग की तैयारी

  • तटबंध मरम्मत के लिये बिहार में पहली बार स्टील शीट पाइलिंग का इस्तेमाल हो रहा है.
  • ये 2019 से शुरू हुआ है और अब इसे बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.
  • बाढ़ से सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल जल संसाधन विभाग कर रहा है.
  • जल संसाधन विभाग ने व्हाट्सएप नंबर जारी करने की भी तैयारी की है.
  • विभाग के अधिकारियों के अनुसार नदियों के जलस्तर और जलस्त्राव का 72 घंटे पहले जिला प्रशासन की ओर से क्षेत्र की जनता को अलर्ट करने की तैयारी है.
  • बाढ़ को लेकर कंट्रोल रूम के माध्यम से लोगों को सही जानकारी पहुंचे, इसकी भी कोशिश हो रही है और लोगों से सूचनाएं प्राप्त करने की इस बार भी तैयारी है.
  • मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जल संसाधन विभाग सांसद, विधायक और विधान पार्षदों से भी संवाद कर रहा है.
  • जल संसाधन मंत्री संजय झा सभी प्रमंडल के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से तैयारी को लेकर लगातार बैठक कर रहे हैं.
  • मुख्यमंत्री ने बाढ़ कटाव से सुरक्षा के लिए 7 मई को उच्च स्तरीय बैठक की और कई दिशा निर्देश दिए.

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अलर्ट मोड पर आपदा और स्वास्थ विभाग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा विभाग को अभी से बाढ़ राहत कार्य में उपयोग होने वाले सामानों की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है. बाढ़ से बचाव के लिए आपदा विभाग की जो टीम काम करती है, उसे अभी से ही अलर्ट कर दिया गया है. यही नहीं स्वास्थ्य विभाग को कई स्तरों पर तैयारी करने के लिए भी कहा है.

बाढ़ और महामारी की सता रही चिंता
बिहार में कोरोना का कहर है और बाढ़ के समय कई तरह की बीमारियों के साथ महामारी फैलने की भी आशंका रहती है. ऐसे में कोरोना के समय टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट के साथ वैक्सीनेशन का कार्य भी होना है, तो उस पर भी प्लानिंग अभी से करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ महामारी ना फैले इसके लिए सभी बाढ़ प्रभावित जिलों के सिविल सर्जन को पर्याप्त मात्रा में दवा और अन्य जरूरी चीजों के साथ तैयारी कर लेने का निर्देश भी दिया गया है.

बिहार सचिवालय
बिहार सचिवालय

सीएम ने कई विभागों को किया अलर्ट
इसके साथ ही बाढ़ के बाद महामारी ना फैले इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ पीएचईडी को भी तैयार रहने के लिए कहा गया है. नगर विकास विभाग को भी तैयारी कर लेने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद महामारी ना फैले इस पर काम शुरू है.

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पीएचईडी ने अधिकारियों को दिए निर्देश
साथ ही लोगों को स्वच्छ जल मिले इसके लिए पीएचईडी विभाग ने बाढ़ से प्रभावित होने वाले 26 जिलों के कार्यपालक अभियंताओं को विशेष पत्र भेजा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल, शौचालय और स्वच्छता को लेकर पूरी तैयारी करने का निर्देश दिया है. चापाकल को मरम्मत करने के साथ ही स्पेयर पार्ट्स पहले से रखने का निर्देश दिए हैं, इसके साथ ही जिला नियंत्रण कक्ष में नोडल पदाधिकारी की तैनाती का भी फैसला हुआ है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

जिन 26 जिलों को पीएचईडी विभाग ने पत्र भेजकर कार्यपालक अभियंता को तैयार रहने का निर्देश दिया है, उसमें पटना, आरा, बक्सर, सारण, सिवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, खगड़िया, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मुंगेर, भागलपुर और लखीसराय शामिल हैं.

बाढ़ के बाद की भी तैयारी
बाढ़ का पानी निकलने के बाद ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव को लेकर भी तैयारी कर लेने का संबंधित विभाग को मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है. कुल मिलाकर देखें तो बाढ़ से बचाव के लिए तटबंधों की मरम्मत और अन्य कार्य जो किया जाना है, उसे 30 मई तक पूरा कर लेना है. साथ ही बाढ़ के बाद की जो स्थिति पैदा होगी, उससे निपटने के लिए भी सरकार सभी विभागों को अभी से तैयारी कर लेने का निर्देश दे दी है.

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बाढ़ में केंद्र से मिलने वाली राहत
बिहार सरकार की ओर से नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मदद भी मांगी जाती रही है, हालांकि जितना राज्य सरकार मांगती है उतना कभी मदद केंद्र से नहीं मिलती है. लेकिन पिछले कुछ सालों से मदद की राशि बढ़ी है. 2020 में केंद्र ने 1255 करोड़ बिहार को मदद बाढ़ से नुकसान की भरपाई के लिए किया. उससे पहले 2019 में लगभग 1000 करोड़ और 2017 में 1700 करोड़ केंद्रीय मदद मिली.

बिहार में बाढ़ से बचाव के लिए 3790 किलोमीटर तटबंध का निर्माण किया गया है. नेपाल भाग में भी 68 किलोमीटर तक बांध बनाया गया है. उसके बावजूद 68.80 लाख हेक्टेयर बिहार का हिस्सा बाढ़ प्रभावित होता है, जो बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र 94.16 लाख हेक्टेयर का 73.06 प्रतिशत है.

कोरोना काल में बाढ़ की चुनौती
कोरोना काल में बाढ़ की चुनौती

खासकर उत्तर बिहार की नदियों गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान, भूतही बलान और गंगा हर साल बाढ़ से तबाही मचाती है और इसका बड़ा कारण अधिकांश नदियों में बरसात के समय नेपाल के हिस्से से अधिक पानी आना है, जिसका कोई नियंत्रण नहीं है. बाढ़ के कारण जानमाल की बड़ी क्षति होती है. बाढ़ के बाद भी लोगों के लिए महामारी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आती है, जिससे निपटना एक बड़ी चुनौती होता है.

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Last Updated : May 20, 2021, 11:29 PM IST
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