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Chaiti Chhath 2023: आज छठ के दूसरे दिन खरना पूजा, जानें कैसे तैयार होता है प्रसाद - चैती छठ पूजा 2023

चार दिवसीय महापर्व छठ का आज दूसरा दिन है. आज व्रती दिन भर उपवास पर रहने के बाद शाम को खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे. उसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. खरना के प्रसाद बनाने के दौरान शुद्धता का बहुत अधिक ख्याल रखा जाता है. आइये जानते हैं कैसे तैयार होता प्रसाद और कैसे होती है पूजा..

खरना का प्रसाद
खरना का प्रसाद
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Published : Mar 25, 2023, 11:58 PM IST

पटना: आज चैती छठ का दूसरा दिन यानी खरना (Kharna 2023) है. दिनभर उपवास के बाद शाम को खरना का अनुष्ठान होगा. सूर्यास्त के बाद पूजा-अर्चना के बाद खीर, रोटी और केला समेत अन्य प्रसाद भगवान को नैवेद्य स्वरूप चढ़ाया जाता है. पहले व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं, उसके बाद परिवार के अन्य लोग और रिश्तेदार खाते हैं. इसके बाद छठ के समापन से पहले तक व्रती अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं करते.

ये भी पढ़ें: Chhath Puja: नहाय खाय के साथ शुरू हुई चैती छठ पूजा, जनकल्याण के लिए किन्नरों ने भी रखा व्रत

कैसे तैयार होता है खरना का प्रसाद: छठ में खरना के प्रसाद का विशेष महत्व है. इस दिन प्रसाद बनाने के दौरान शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है. दूध-गंगाजल, गुड़ और अरवा चावल को मिलाकर खीर बनाया जाता है. चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग बेहतर माना जाता है. शुद्ध पिसा हुआ गेहूं के आटे की रोटी बनती है. खास बात ये है कि सभी प्रसाद आम की लकड़ी की आग पर बनाया जाता है. केले के पत्ते पर प्रसाद को रखना शुभ माना जाता है. हालांकि कई जगहों पर खासकर शहरों में केले का पत्ता मिलना संभव नहीं हो पाता है तो व्रती मिट्टी के बर्तन का प्रयोग भी करते हैं. खरना के प्रसाद के ग्रहण के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.

भगवान भास्कर दो दिया जाएगा अर्घ्य: रविवार को खरना के प्रसाद ग्रहण के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो जाएगा.

पटना: आज चैती छठ का दूसरा दिन यानी खरना (Kharna 2023) है. दिनभर उपवास के बाद शाम को खरना का अनुष्ठान होगा. सूर्यास्त के बाद पूजा-अर्चना के बाद खीर, रोटी और केला समेत अन्य प्रसाद भगवान को नैवेद्य स्वरूप चढ़ाया जाता है. पहले व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं, उसके बाद परिवार के अन्य लोग और रिश्तेदार खाते हैं. इसके बाद छठ के समापन से पहले तक व्रती अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं करते.

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कैसे तैयार होता है खरना का प्रसाद: छठ में खरना के प्रसाद का विशेष महत्व है. इस दिन प्रसाद बनाने के दौरान शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है. दूध-गंगाजल, गुड़ और अरवा चावल को मिलाकर खीर बनाया जाता है. चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग बेहतर माना जाता है. शुद्ध पिसा हुआ गेहूं के आटे की रोटी बनती है. खास बात ये है कि सभी प्रसाद आम की लकड़ी की आग पर बनाया जाता है. केले के पत्ते पर प्रसाद को रखना शुभ माना जाता है. हालांकि कई जगहों पर खासकर शहरों में केले का पत्ता मिलना संभव नहीं हो पाता है तो व्रती मिट्टी के बर्तन का प्रयोग भी करते हैं. खरना के प्रसाद के ग्रहण के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है.

भगवान भास्कर दो दिया जाएगा अर्घ्य: रविवार को खरना के प्रसाद ग्रहण के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो जाएगा.

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