पटना: बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) ने साल 2021 में कहर बरापाया है. इसमें काफी क्षति भी हुई है. इसी नुकसान का आंकलन करने केन्द्रीय टीम (Central Team Visits) पटना पहुंच चुकी है. गृह विभाग के संयुक्त सचिव राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में 6 सदस्यी टीम बिहार के विभिन्न बाढ़ प्रभावित जिलों का एरियल सर्वे करेगी. जिससे बाढ़ के कारण हुए नुकसान का आंकलन लगाया जा सकेगा.
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बाढ़ से राज्य में हुए नुकसान का आंकलन करने आई टीम की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सचिव कर रहे हैं. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा था कि केंद्रीय टीम बिहार में बाढ़ प्रभावित जिलों का जायजा लेगी. बाढ़ के कारण जो भी नुकसान हुआ है, उसका आंकलन किया जाएगा. साथ ही बिहार के विभिन्न बाढ़ प्रभावित जिलों का एरियल सर्वे और सड़क मार्ग से सर्वे किया जाएगा. जिसके बाद केंद्रीय टीम अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेगी.
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टीम सबसे पहले दरभंगा जिले के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का एरियल सर्वे करेगी. बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सभी विभागों से बाढ़ में हुए नुकसान का ब्योरा मांगा गया है. दरभंगा में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के एरियल सर्वे के साथ-साथ कुशेश्वरस्थान का भी निरीक्षण किया जाएगा. जिसके उपरांत बरगढ़ क्षेत्र और नवगछिया में बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया जाएगा. दरअसल बिहार के 17 जिले के 76 प्रखंड के 368 पंचायतों के 1,270 गांव के लगभग लाखों लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं.
आपदा विभाग के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पानी कम होते ही क्षति का वास्तविक आंकलन कर केंद्र सरकार को ज्ञापन सौेंपी जाएगी. बिहार सरकार के द्वारा अब तक 7,95,538 परिवारों को 6000 राशि का भुगतान किया जा चुका है. जिसके लिए कुल 477.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी 2 दिनों तक बिहार में रहकर बाढ़ से हुए नुकसान का आंकलन करेंगे. वहीं, तीसरे दिन केंद्रीय टीम की ओर से बाढ़ में हुए नुकसान का आंकलन वाली प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा करेगी. बाढ़ के कहर को देखते हुए राज्य सरकार के द्वारा राहत शिविर भी चलाए जा रहे हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार अब तक बाढ़ से 53 लोगों की मौत हो चुकी है.
बिहार में इस साल 26 जिले के लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इस बार जून के महीने से ही बाढ़ का सामना बिहार को करना पड़ा है और अभी भी बाढ़ समाप्त हो गई है, ऐसा नहीं है. बिहार में बाढ़ से इस साल भी 200 करोड़ से अधिक पथ निर्माण विभाग की सड़कों का अब तक नुकसान हो चुका है. ग्रामीण कार्य विभाग की सड़कों का भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. इसके साथ ही कई विभागों और केंद्र सरकार की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. निजी संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है.
बता दें कि बिहार में बाढ़ से साल 2007 में 17059 करोड़ का नुकसान हुआ था. 2008 में 14800 करोड़, 2016 में 4112 करोड़, 2017 में 7636 करोड़, 2019 में 4500 करोड़, 2020 में 3328 करोड़ का नुकसान हुआ था. 2017 में केंद्र से 1700 करोड़ की मदद मिली थी. 2019 में करीब 1000 करोड़ की आर्थिक सहायता केंद्र से मिली थी और 2020 में केंद्र सरकार से 1255 करोड़ की मदद मिली थी.
मालूम हो कि पहले राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र सरकार अधिकारियों को भेजती थी और बिहार सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान का जो आंकलन किया है और कितना सही है, उसकी जांच करते थे. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद से अब केंद्र सरकार क्षति आकलन के लिए पहले ही अधिकारियों को भेज देती है और अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकारों को मदद भी पहुंचाती है.