ETV Bharat / state

पटनाः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों को ठेंगा, राजधानी से सटे इलाकों में जलाई जा रही पराली

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों के बीच जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है. फिर भी किसान खेत में धान का अवशेष(पराली) जला रहे हैं.

dfdf
dfdfd
author img

By

Published : Nov 7, 2020, 10:00 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 1:19 PM IST

पटनाः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सख्त निर्देश के बावजूद राजधानी से सटे मसौढ़ी में ग्रामीण इलाकों में धान की पराली जलाई जा रही है. इसमें मसौढ़ी अनुमंडल के मसौढ़ी, धनरूआ और पुनपुन प्रखंड के कई गांव शामिल हैं.

बिहार
खेत में जलती पराली

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों के बीच जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है. फिर भी किसान खेत में धान का अवशेष(पराली) जला रहे हैं. इससे प्रदूषण तो फैलता ही है, मिट्टी की उर्वर क्षमता में भी कमी आती है.

पेश है रिपोर्ट

मॉनिटरिंग सेल का किया गया गठन
इस बार कृषि विभाग की ओर से मॉनिटरिंग सेल का गठन किया गया है. जो पुलिस की मदद से पराली जलाने वाले किसानों को चिह्नित कर उनपर कार्रवाई करता है.

जलाएं नहीं, खाद बनाएं
खेतो में पराली जलाने से मिट्टी की उपरी सतह जल जाती है, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है. अगली फसल के लिए ज्यादा पानी, खाद कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है. अगर किसान खेतों में पराली दबा देते हैं तो भूमि की उपजाऊ शक्ति कम नहीं होगी, यही पराली खाद का काम करेगी और जहरीली खाद नहीं डालनी पड़ेगी. ऐसी जमीन में बीजी गई अगली फसल को भी कम पानी देना पड़ेगा.

पटनाः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सख्त निर्देश के बावजूद राजधानी से सटे मसौढ़ी में ग्रामीण इलाकों में धान की पराली जलाई जा रही है. इसमें मसौढ़ी अनुमंडल के मसौढ़ी, धनरूआ और पुनपुन प्रखंड के कई गांव शामिल हैं.

बिहार
खेत में जलती पराली

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों के बीच जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है. फिर भी किसान खेत में धान का अवशेष(पराली) जला रहे हैं. इससे प्रदूषण तो फैलता ही है, मिट्टी की उर्वर क्षमता में भी कमी आती है.

पेश है रिपोर्ट

मॉनिटरिंग सेल का किया गया गठन
इस बार कृषि विभाग की ओर से मॉनिटरिंग सेल का गठन किया गया है. जो पुलिस की मदद से पराली जलाने वाले किसानों को चिह्नित कर उनपर कार्रवाई करता है.

जलाएं नहीं, खाद बनाएं
खेतो में पराली जलाने से मिट्टी की उपरी सतह जल जाती है, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है. अगली फसल के लिए ज्यादा पानी, खाद कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है. अगर किसान खेतों में पराली दबा देते हैं तो भूमि की उपजाऊ शक्ति कम नहीं होगी, यही पराली खाद का काम करेगी और जहरीली खाद नहीं डालनी पड़ेगी. ऐसी जमीन में बीजी गई अगली फसल को भी कम पानी देना पड़ेगा.

Last Updated : Nov 13, 2020, 1:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.