पटना: बिहार में जूनियर डॉक्टर्स की स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल जारी है. हड़ताल के चलते पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच हॉस्पिटल में इलाज के अभाव में मरीज अब दम तोड़ रहे हैं. जो मरीज गंभीर स्थिति में है उनका उचित इलाज नहीं होने पर उनके परिजन उन्हें लेकर दूसरे अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. अस्पताल में कई तरह की सर्जरी और डायलिसिस नहीं हो पा रहे हैं.
'पैर में गंभीर फ्रैक्चर के चलते मरीज का अस्पताल में इलाज चल रहा है, मगर जब से जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल शुरु हुई है कोई भी डॉक्टर वार्ड में मरीजों की सुध लेने नहीं पहुंचा है'-चितरंजन दास, मरीज के परिजन
'पिता की रीड की हड्डी टूटने पर अस्पताल में ऑपरेशन हुआ है. ऑपरेशन हुए पांच दिन हो गए हैं. जब से ऑपरेशन हुआ है कोई भी डॉक्टर आकर उनके पिता का हाल-चाल नहीं जाने हैं जबकि उनके पिता कष्ट में है'-रामप्रवेश कुमार, मरीज के परिजन
'एक एक्सीडेंट में उनके पति के रीड का हड्डी टूट गई जिसके बाद पीएमसीएच में ऑपरेशन हुआ है और वह सर्जिकल इमरजेंसी के आईसीयू में एडमिट है. वार्ड में पिछले 5 दिनों से डॉक्टरों का कोई राउंड नहीं लगा है'-रिता देवी, मरीज के परिजन
पीएमसीएच के सर्जिकल इमरजेंसी में 123 मरीज पहुंचे. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अस्पताल के अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी काफी ज्यादा बढ़ गई है. जिसके चलते उन्हें एडमिट करने में एक घंटे तक का समय लग जा रहा है. आईसीयू में एडमिट मरीजों कि पिछले पांच दिनों से डॉक्टरों ने कोई सुध नहीं ली है. मरीज सिर्फ नर्सिंग स्टाफ के भरोसे हैं और नर्सिंग स्टाफ दिन में आकर दवाई देकर चले जाती हैं. लेकिन मरीज की तकलीफ की कोई सुध लेने वाला नहीं है.
'एक्सीडेंट में उनका पैर जख्मी हो गया, गलती से किसी ने उन्हें ऑर्थो वार्ड में पहुंचा दिया और वहां किसी ने बिना जांचे समझे प्लास्टर लगा दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि पांच-छह दिन बाद जख्म बहुत ज्यादा बढ़ गया और डॉक्टर जब देखे तो बताया कि पैर काटना ही एकमात्र ऑप्शन बच गया है जिसके बाद उनका बायां पैर घुटने के नीचे से काट दिया गया'-मोहम्मद आरिफ, मरीज के मरीज
10 साल के बच्चे की रीड की हड्डी में सूजन है और डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने की बात कही है. बीते मंगलवार को ऑपरेशन का डेट था मगर उस दिन ऑपरेशन नहीं हो पाया और उसके अगले दिन से डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं'-विमला देवी, मरीज के परिजन
ईटीवी भारत पर खबर चलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में टाटा इमरजेंसी वार्ड में एडमिट होने वाले मरीजों को हथवा वार्ड में एडमिट करना शुरू कर दिया. हथवा वार्ड में बेड पर रस्सी से बांधा हुआ इलाजरत एक कैदी नजर आया. सिपाही ने बताया कि कैदी को पीएमसीएच में इलाज के लिए लाए हैं लेकिन यहां कोई व्यवस्था ही नहीं नजर आ रही है. कई घंटे बीत जाने के बाद भी किसी भी डॉक्टर ने वार्ड में आकर कैदी का इलाज नहीं किया है.
'मोतिहारी से अपने पिता को लेकर पीएमसीएच पहुंचे हैं. पिता को किडनी की बीमारी है और अस्पताल में डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं. घंटों बाद उन्हें टाटा वार्ड से हथवा वार्ड में भर्ती कर दिया. उन्हें लगाने के लिए दवा और सुई खरीद कर बैठे हुए हैं, मगर कोई डॉक्टर यहां नहीं पहुंचे हैं'-उमेश महतो, मरीज के परिजन
अस्पतालों में गरीब मरीज और उनके परिजन खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रहे हैं. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टर्स दोनों ही अपनी जिद पर अड़े हैं. जिसका खामियाजा लाचार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.