पटनाः बिहार लोक सेवा आयोग की 75 वीं वर्षगांठ मनायी गयी. शनिवार को अधिवेशन भवन, सचिवालय सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर भी पहुंचे थे. उन्होंने इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम-सह-पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि परीक्षाओं का आयोजन युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए. परीक्षाओं के माध्यम से उनकी मेधा और प्रतिभा की पहचान होनी चाहिए, न कि सिर्फ स्मरण शक्ति की जांच.
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उचित मार्गदर्शन करना हमारा दायित्वः राज्यपाल ने कहा कि बच्चों की सोच और इच्छा से अवगत होकर उनका उचित मार्गदर्शन करना हमारा दायित्व है. हमें उनमें आत्मविश्वास पैदा करने की जरुरत है. बच्चों के सामने लक्ष्य की स्पष्टता होनी चाहिए. उन्होंने युवाओं को अलग ढंग से सोचने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि हमारी नई पीढ़ी को नौकरी की तलाश करने के बजाय रोजगारों का सृजन करने वाला बनना चाहिए. उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि अनेक चुनौतियों के बावजूद इसने अपनी विश्वसनीयता कायम रखी है.
आयोग के प्रतीक चिह्न का अनावरणः राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि आयोग आगामी वर्षों में नई सोच के साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए ठोस कार्य करेगा ताकि राष्ट्र निर्माण व इसके विकास में वे अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें. इस अवसर पर राज्यपाल ने बिहार लोक सेवा आयोग के प्रतीक चिह्न का अनावरण किया. आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं के स्वच्छ एवं कदाचारमुक्त आयोजन में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले पदाधिकारियों को भी सम्मानित किया.
"परीक्षाओं का आयोजन युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए. परीक्षाओं के माध्यम से उनकी मेधा और प्रतिभा की पहचान होनी चाहिए, न कि सिर्फ स्मरण शक्ति की जांच"- राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल