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पटना के रुबन हॉस्पिटल में शुरू हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट

7 वर्ष की बच्ची सर्वाइवर मीठी के पिता अजीत कुमार ने कहा कि समय पर सही इलाज कराने से जीवन बच जाती है. हमें इलाज की सुविधाओं पर जागरूक रहने की आवश्यकता है.

प्रेस वार्ता
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Published : Jul 28, 2019, 6:27 PM IST

पटना: पाटलिपुत्र स्थित रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का एक नया डिपार्टमेंट शुरू किया गया. इसे दिल्ली के धर्मशिला नारायण अस्पताल की मदद से शुरू किया गया. वहीं, इस मौके पर ब्लड कैंसर से जूझ रहे दो मरीज भी मौजूद रहे. उनमें से एक 7 वर्षीय बच्ची मीठी भी मौजूद रही.

सम्भव हुआ ब्लड कैंसर का इलाज
मरीज चंद्र भूषण ने बताया कि उनकी शादी के ठीक 2 महीने बाद पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर है. इसे जान वह इलाज के लिए 6 महीने तक दिल्ली एम्स के चक्कर लगाता रहा. फिर बाद में वह धर्मशिला नारायण अस्पताल के बीएमटी एंड हेमेटोलॉजी डॉक्टर सुपर्णों चक्रवर्ती से मिले. जिसके बाद वे 6 महीने रोजाना ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो गए और उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो गयी. अब 6 साल बाद उनकी 2 साल की बेटी भी है.

ब्लड कैंसर की जानकारी देते डाक्टर्स

अब बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी
मेमोरियल अस्पताल के डायरेक्टर सत्यजीत सिंह ने कहा कि ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी में आईजीआईएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट लिवर ट्रांसप्लांट होते हैं. बिहार में और भी कई तरह के ट्रांसप्लांट होते हैं. लेकिन बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी नहीं थी. इसके आने से बिहार के मरीजों को सुविधा मिलेगी.

ब्लड कैंसर के बारे में जानने की जरूरत
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और धर्मशिला नारायण अस्पताल के एचओडी डॉक्टर सुपर्णो चक्रवर्ती ने बताया कि सभी तरह के कैंसर की बीमारी बहुत गंभीर होती है. लेकिन ब्लड कैंसर के विषय में लोगों को यह जानने की जरूरत है कि इसका इलाज पूर्णत: संभव है और उन्हें ज्यादा घबराना नहीं चाहिए और ठीक होने का हौसला रखना चाहिए .क्योंकि कई लोग पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.

पटना: पाटलिपुत्र स्थित रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का एक नया डिपार्टमेंट शुरू किया गया. इसे दिल्ली के धर्मशिला नारायण अस्पताल की मदद से शुरू किया गया. वहीं, इस मौके पर ब्लड कैंसर से जूझ रहे दो मरीज भी मौजूद रहे. उनमें से एक 7 वर्षीय बच्ची मीठी भी मौजूद रही.

सम्भव हुआ ब्लड कैंसर का इलाज
मरीज चंद्र भूषण ने बताया कि उनकी शादी के ठीक 2 महीने बाद पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर है. इसे जान वह इलाज के लिए 6 महीने तक दिल्ली एम्स के चक्कर लगाता रहा. फिर बाद में वह धर्मशिला नारायण अस्पताल के बीएमटी एंड हेमेटोलॉजी डॉक्टर सुपर्णों चक्रवर्ती से मिले. जिसके बाद वे 6 महीने रोजाना ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो गए और उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो गयी. अब 6 साल बाद उनकी 2 साल की बेटी भी है.

ब्लड कैंसर की जानकारी देते डाक्टर्स

अब बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी
मेमोरियल अस्पताल के डायरेक्टर सत्यजीत सिंह ने कहा कि ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी में आईजीआईएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट लिवर ट्रांसप्लांट होते हैं. बिहार में और भी कई तरह के ट्रांसप्लांट होते हैं. लेकिन बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी नहीं थी. इसके आने से बिहार के मरीजों को सुविधा मिलेगी.

ब्लड कैंसर के बारे में जानने की जरूरत
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और धर्मशिला नारायण अस्पताल के एचओडी डॉक्टर सुपर्णो चक्रवर्ती ने बताया कि सभी तरह के कैंसर की बीमारी बहुत गंभीर होती है. लेकिन ब्लड कैंसर के विषय में लोगों को यह जानने की जरूरत है कि इसका इलाज पूर्णत: संभव है और उन्हें ज्यादा घबराना नहीं चाहिए और ठीक होने का हौसला रखना चाहिए .क्योंकि कई लोग पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.

Intro:राजधानी पटना के पाटलिपुत्र गोलंबर स्थित रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में दिल्ली की धर्मशिला नारायण अस्पताल ने पटना में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का एक नया स्पेशल डिपार्टमेंट शुरू किया. इस मौके पर ब्लड कैंसर सरवाइवर युवक चंद्रभूषण और 7 वर्षीय ब्लड कैंसर सर्वाइवर बच्ची मीठी भी मौजूद रहे.

सर्वाइवर चंद्र भूषण ने बताया कि शादी के ठीक 2 महीने बाद उन्हें पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर है और उसके बाद वह 6 महीने तक से दिल्ली एम्स की चक्कर लगाते रहे. बाद में वह धरमशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के बीएमटी एंड हेमेटोलॉजी डॉक्टर सुपर्णों चक्रवर्ती से मिले. जिसके बाद वह 6 महीने रोजाना के ट्रीटमेंट के बाद वह ठीक हो पाए. उन्होंने बताया कि ठीक होने के बाद जिंदगी फिर से पूरी तरह सामान्य है और शादी के 6 साल बाद उन्हें 2 साल की बेटी भी है.


Body:सर्वाइवर मीठी के पिता अजीत कुमार ने कहा कि समय पर सही इलाज कराने से जीवन बच जाती है. हमें इलाज की सुविधाओं पर जागरूक रहने की आवश्यकता है.

मेमोरियल अस्पताल के डायरेक्टर सत्यजीत सिंह ने कहा कि ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी में आईजीआईएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट लिवर ट्रांसप्लांट होते हैं और भी कई तरह के ट्रांसप्लांट होते हैं लेकिन बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी नहीं थी. इसके आने से बिहार के मरीजों को सुविधा मिलेगी.


Conclusion:कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और धरमशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के एचओडी बीएमडी एंड हेमेटोलॉजी डॉक्टर सुपर्णो चक्रवर्ती ने बताया कि सभी कैंसर बहुत गंभीर बीमारी है लेकिन ब्लड कैंसर के विषय में लोग यह जाने की जरूरत है कि इसका पूर्णत: इलाज संभव है और उन्हें ज्यादा घबराना नहीं चाहिए और ठीक होने का हौसला रखना चाहिए क्योंकि कई लोग पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.
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