पटना: पाटलिपुत्र स्थित रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का एक नया डिपार्टमेंट शुरू किया गया. इसे दिल्ली के धर्मशिला नारायण अस्पताल की मदद से शुरू किया गया. वहीं, इस मौके पर ब्लड कैंसर से जूझ रहे दो मरीज भी मौजूद रहे. उनमें से एक 7 वर्षीय बच्ची मीठी भी मौजूद रही.
सम्भव हुआ ब्लड कैंसर का इलाज
मरीज चंद्र भूषण ने बताया कि उनकी शादी के ठीक 2 महीने बाद पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर है. इसे जान वह इलाज के लिए 6 महीने तक दिल्ली एम्स के चक्कर लगाता रहा. फिर बाद में वह धर्मशिला नारायण अस्पताल के बीएमटी एंड हेमेटोलॉजी डॉक्टर सुपर्णों चक्रवर्ती से मिले. जिसके बाद वे 6 महीने रोजाना ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो गए और उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो गयी. अब 6 साल बाद उनकी 2 साल की बेटी भी है.
अब बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी
मेमोरियल अस्पताल के डायरेक्टर सत्यजीत सिंह ने कहा कि ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी में आईजीआईएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट लिवर ट्रांसप्लांट होते हैं. बिहार में और भी कई तरह के ट्रांसप्लांट होते हैं. लेकिन बिहार में बोन मैरो ट्रांसप्लांट टेक्नोलॉजी नहीं थी. इसके आने से बिहार के मरीजों को सुविधा मिलेगी.
ब्लड कैंसर के बारे में जानने की जरूरत
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और धर्मशिला नारायण अस्पताल के एचओडी डॉक्टर सुपर्णो चक्रवर्ती ने बताया कि सभी तरह के कैंसर की बीमारी बहुत गंभीर होती है. लेकिन ब्लड कैंसर के विषय में लोगों को यह जानने की जरूरत है कि इसका इलाज पूर्णत: संभव है और उन्हें ज्यादा घबराना नहीं चाहिए और ठीक होने का हौसला रखना चाहिए .क्योंकि कई लोग पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.