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मसौढ़ी में काले गेहूं की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं किसान, कई बीमारियों में है कारगर

पारंपरिक खेती से हटकर मसौढ़ी में किसान काले गेहूं की खेती कर रहे हैं. काले गेहूं में औषधीय गुण एवं पौष्टिक आहार पाया जाता है. इसके अलावा डायबिटीज मरीज एवं दिल के मरीजों के लिए रामबाण की तरह होता है.

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Published : Apr 28, 2022, 10:33 AM IST

काले गेहूं की खेती
काले गेहूं की खेती

पटना: पारंपरिक खेती से हटकर किसान मसौढ़ी में काले गेहूं की खेती (Black Wheat Cultivation in Masaurhi) कर रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड में जीविका के माध्यम से इस बार कई किसानों को काले गेहूं के बीज की आपूर्ति की गई थी. जीविकोपार्जन के माध्यम से किसानों के बीच जागरुकता फैलायी गई. उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हुए सभी किसानों को काले गेहूं की खेती करने के लिए जागरूक किया गया है. ऐसे में मसौढ़ी के भदौरा पंचायत में महिला किसान प्रतिमा कुमारी एवं सत्येंद्र नारायण दास, सोनू कुमार आदि किसानों ने कई एकड़ में काले गेहूं की खेती की है. अच्छी उपज होने के साथ-साथ मोटा मुनाफा भी मिल रहा है.

यह भी पढ़ें- कटिहार में काले गेहूं की खेती की शुरुआत, कई बीमारियों में है कारगर

फायदेमंद है काला गेहूंः भदौरा के किसान सत्येंद्र नारायण पांडे ने कहा कि 10 एकड़ में काले गेहूं की खेती किए थे. अच्छी उपज हुई है और इससे अच्छा मुनाफा हुआ है. हम अन्य सभी किसानों के बीच यह जागरुकता फैलाना चाहते हैं कि काले गेहूं की खेती करने से उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है. काला गेहूं डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण है. इसके अलावा दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. इस तरह की बीमारियों का भी इलाज होता है. ऐसे में काला गेहूं एक औषधीपूर्ण और पौष्टिक आहार है. सभी किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर काले गेहूं की खेती करनी चाहिए.

किसान कमा रहे हैं मुनाफाः मसौढ़ी प्रखंड के भदौरा पंचायत में कई किसान इस बार पारंपरिक खेती से हटकर काले गेहूं की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. काले गेहूं की खेती करने वाले किसानों की मानें तो काले गेहूं में कई तरह के औषधीय गुण हैं. पौष्टिक आहार है. इसके अलावा बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है. ऐसे में सभी किसानों को वह जागरूक कर रहे हैं. इसके अलावा जीविका भी लगातार लोगों के बीच जीविकोपार्जन के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं.

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पटना: पारंपरिक खेती से हटकर किसान मसौढ़ी में काले गेहूं की खेती (Black Wheat Cultivation in Masaurhi) कर रहे हैं. मसौढ़ी प्रखंड में जीविका के माध्यम से इस बार कई किसानों को काले गेहूं के बीज की आपूर्ति की गई थी. जीविकोपार्जन के माध्यम से किसानों के बीच जागरुकता फैलायी गई. उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हुए सभी किसानों को काले गेहूं की खेती करने के लिए जागरूक किया गया है. ऐसे में मसौढ़ी के भदौरा पंचायत में महिला किसान प्रतिमा कुमारी एवं सत्येंद्र नारायण दास, सोनू कुमार आदि किसानों ने कई एकड़ में काले गेहूं की खेती की है. अच्छी उपज होने के साथ-साथ मोटा मुनाफा भी मिल रहा है.

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फायदेमंद है काला गेहूंः भदौरा के किसान सत्येंद्र नारायण पांडे ने कहा कि 10 एकड़ में काले गेहूं की खेती किए थे. अच्छी उपज हुई है और इससे अच्छा मुनाफा हुआ है. हम अन्य सभी किसानों के बीच यह जागरुकता फैलाना चाहते हैं कि काले गेहूं की खेती करने से उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है. काला गेहूं डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण है. इसके अलावा दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. इस तरह की बीमारियों का भी इलाज होता है. ऐसे में काला गेहूं एक औषधीपूर्ण और पौष्टिक आहार है. सभी किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर काले गेहूं की खेती करनी चाहिए.

किसान कमा रहे हैं मुनाफाः मसौढ़ी प्रखंड के भदौरा पंचायत में कई किसान इस बार पारंपरिक खेती से हटकर काले गेहूं की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. काले गेहूं की खेती करने वाले किसानों की मानें तो काले गेहूं में कई तरह के औषधीय गुण हैं. पौष्टिक आहार है. इसके अलावा बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है. ऐसे में सभी किसानों को वह जागरूक कर रहे हैं. इसके अलावा जीविका भी लगातार लोगों के बीच जीविकोपार्जन के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं.

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