पटना : एक तरफ देश में जहां राम मंदिर को लेकर सियासत की जा रही है, तो दूसरी ओर नीतीश ने भी माता सीता का आंचल पकड़ लिया है. बीजेपी राम के सहारे 2024 की नैया पार लगाने की सोच रही है. ऐसे में नीतीश माता सीता की शरण में हैं. इसको लेकर बिहार में भी घमासन है. बीजेपी जहां राम और उनके मंदिर को लेकर दावे कर रही है तो दूसरी ओर जेडीयू भी मां जानकी की जन्मभूमि के विकास का बीड़ा उठाए हुए है.
दोनों ओर से हो रहे दावे : इस आरोप-प्रत्यारोप में दोनों ओर से शब्द बाण चलाए जा रहे हैं. भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि ''हमारे प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही घोषणा की है कि बिहार में भाजपा सत्ता में आई तो सबसे पहले जानकी का विकास करेगी और मां सीता का भव्य मंदिर बनाया जाएगा.'' इधर जदयू की तरफ से भाजपा नेताओं के बयान पर निशाना साधा जा रहा है.
'राम से नहीं सीताराम से चलेगा देश' : जदयू कोटे के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि सिर्फ राम कहने से नहीं होगा. सीताराम से ही देश चलेगा. सीता तो हमारी हैं. यदि मां सीता के धाम का विकास हो रहा है तो इन्हें प्रसन्नता होनी चाहिए. लेकिन, इनको हिंदू परंपरा और हिंदू धर्म से कोई लेना-देना तो है नहीं. सिर्फ राजनीति करना है.
''पटना सिटी में बीजेपी के विधायक मंत्री का वर्चस्व रहते हुए पटन देवी के गर्भ गृह को बदल दिया गया. 3 साल से बदला हुआ था लेकिन इन लोगों को कोई चिंता नहीं थी. मुख्यमंत्री जब वहां गए थे उन्होंने चिंता जताई और मुख्यमंत्री विकास फंड के साथ अपनी पार्टी के एमएलसी के फंड से मंदिर का निर्माण करा रहे हैं. अयोध्या में भाव राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होने वाला है लेकिन उससे पहले नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी के मां सीता के धाम के विकास की कई योजनाओं की शुरुआत कर दी है.'' - अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री
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