पटना: बिहार की राजनीति (Bihar Politics ) में इन दिनों शब्दों के बाण जमकर चलाए जा रहे हैं. राजनीतिक बयानबाजी से लेकर एक दूसरे पर छींटाकशी करने से भी नेता बाज नहीं आ रहे हैं. प्रशांत किशोर की पॉलिटिक्स में एंट्री ने आग में घी का काम कर दिया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने प्रशांत किशोर पर हमला करने के दौरान एक ऐसा बयान दे दिया जिसके बाद राजद खेमे में खलबली मच गई है. दरअसल संजय जायसवाल ने कहा कि 90 के दशक में लालू राज (lalu prasad yadav) के दौरान गुंडों मवालियों (Goons And Mawali Used To Become MLA) को विधायक सांसद बनाया जाता था.
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'लालू राज में गुंडे-मवाली बनते थे विधायक': संजय जायसवाल ने कहा कि 90 के दशक से पहले जो कांग्रेस के नेता होते थे उनमें एक तबका होता था वो बूथ लूटने आए थे. उसके बाद बूथ लुटेरे और गुंडों ने सोचा कि हम इनके लिए बूथ क्यों लुटे, इससे अच्छा हम विधायक सांसद क्यों ना बन जाए. 90 के दशक में लालू के राज में एक तबका आया किसी भी समाज का गुंडा मवाली हो वह विधायक और सांसद बनना शुरू हो गया. साल 2000 के दशक में एक और तबका आया जो कहता था हम जाति के नाम पर समाज सेवा करेंगे. हमें नेता नहीं बनना, लेकिन वे भी नेता बनते थे. अब राजनीतिक धंधेबाज समाज की सेवा करने की बात कहते हैं.
राजद का पलटवार: वहीं राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल द्वारा 1990 दशक के विधायकों और सांसदों को गुंडा और मवाली कहे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते की है उन्होंने कहा कि भाजपा के सिमटते जनाधार ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को मानसिक दिवालियापन का शिकार बना दिया है. उन्हें किसी अच्छे मनोचिकित्सक से इलाज की जरूरत है.
'तेजस्वी की लोकप्रियता से भाजपा में बेचैनी': राजद प्रवक्ता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की सर्व-स्वीकार्यता और जनाधार की बढ़ती व्यापकता से भाजपा नेताओं की बेचैनी इतनी बढ़ गई है कि बौखलाहट में वे क्या बोल रहे हैं, इसका भी ख्याल नहीं रहता. 1990 के दशक में सांसद और विधायक का चुनाव जीतने वाले यदि गुंडे और मवाली थे तो उनके पिता स्व. मदन प्रसाद जायसवाल भी 1990 में हीं बेतिया से विधायक बने थे.
'संजय जायसवाल के पिता क्या थे..गुंडा या मवाली'? राजद प्रवक्ता ने भाजपा अध्यक्ष को याद दिलाते हुए कहा है कि जिन्दगी भर भाजपा का झंडा ढोने वाले उनके स्वर्गवासी पिता मदन प्रसाद जायसवाल भाजपा द्वारा तिरस्कृत किये जाने के बाद जब राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के शरण में गये तो उन्होंने ही 2005 में बेतिया से राजद का टिकट देकर सबसे पहले उन्हें राजनीतिक पहचान दिलाई थी. संजय जायसवाल जी को बताना चाहिए कि उस समय वे क्या थे गुंडा या मवाली ? राजद प्रवक्ता ने कहा कि संजय जायसवाल जिम्मेवार पद पर हैं. उन्हें बोलने मे शब्द और भाषा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए. भ्रामक और अनर्गल बयानबाजी कर वे आज के युवा पीढ़ी को गुमराह नहीं कर सकते.
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