पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को हटाने में सरकार जितनी देर करेगी, उतनी फजीहत होगी. शिक्षा में सुधार के राजभवन के प्रयास में उतनी बाधाएँ आती रहेंगी. सुशील मोदी ने कहा कि एसीएस पाठक जब से शिक्षा विभाग में हैं, तब से विभाग किसी न किसी विवाद में है.
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'केके पाठक ने लिए विवादित फैसले' : आगे सुशील मोदी ने कहा कि पहले शिक्षा मंत्री से टकराए, जिसके कारण मंत्री जी 22 दिन तक कार्यालय नहीं आये. फिर 4 साल के डिग्री कोर्स का विरोध कर शिक्षा विभाग राजभवन से भिड़ गये. विश्वविद्यालय के कुलपति-प्रति कुलपति के वेतन रोक देना, 6 कुलपतियों की नियुक्ति के लिए राजभवन के विज्ञापन के दो सप्ताह बाद शिक्षा विभाग से भी विज्ञापन जारी करना, रक्षाबंधन सहित कई हिंदू त्योहारों की छुट्टी रद्द करना और कुलाधिपति-सह-राज्यपाल के अधिकार को चुनौती देना एक एसीएस के ऐसे आचरण हैं, जिन पर मुख्यमंत्री को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए.
'केके पाठक को हटाए सरकार' : सुशील मोदी ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अब यदि सरकार की मंशा शिक्षा मंत्री और राजभवन को काम न करने देने की ही हो, तब तो शिक्षा विभाग में किसी बदलाव की आशा करना व्यर्थ है. वीसी का वेतन रोकने से लेकर स्कूलों में छुट्टियाँ रद्द करने तक केके पाठक के कई विवादास्पद आदेश सरकार को अंतत: वापस लेने पड़े. 2010 में इन्हें शिक्षा विभाग से हटना पड़ा था. ये किसी विभाग में 8-10 माह से ज्यादा टिक नहीं पाते.
'सीएम से कहकर डिपार्टमेंट बदलवा लें केके पाठक' : सुशील मोदी ने कहा कि जब केके पाठक के आदेश बार-बार वापस लेने पड़े, तब उन्हें आत्म सम्मान की रक्षा के लिए स्वयं ही मुख्यमंत्री से किसी अन्य विभाग में तबादले का आग्रह करना चाहिए.