पटना: बिहार एनडीए (Controversy in Bihar NDA) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी और जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह लगातार बीजेपी के खिलाफ मुखर नजर आ रहे हैं. इन सबके बीच भाजपा प्रवक्ता संतोष पाठक (BJP leader calls Upendra Kushwaha Mukesh Sahni Duryodhana) ने तीनों पर निशाना साधते हुए इन्हें दुर्योधन करार दिया है. साथ ही बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि, उपेद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी के साथ जनता का आशीष नहीं है, फिर भी महत्वाकांक्षा पूर्ति के लिए गठबंधन को स्थिर रहने नहीं देना चाहते हैं.
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संतोष पाठक ने कहा कि, उपेंद्र कुशवाहा ने 2020 के चुनाव में रालोसपा के सिंबल पर 150 उम्मीदवारों को बिहार के अलग-अलग विधानसभाओं में उतारा था, उसमें से एक भी नहीं जीते. इसे हम ऐसे कह सकते हैं कि, उन्हें समाज का आशीष प्राप्त नहीं है. लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा उन्हें स्थिर नहीं बैठने दे रही है. अगर 10-20 उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के जीत जाते तो, मुख्यमंत्री पद के लिए भी वे अपनी लंगड़ी फंसाते.
"आपकी महत्वाकांक्षा आपको समाज में दुर्योधन बना रही है. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को बिहार की जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है. राजद की गुंडागर्दी और उसके शासनकाल के विरोध में यह बहुमत एनडीए को मिला. उस मैंडेट को धिक्कार देने वाले आप कौन हैं?" - संतोष पाठक, भाजपा प्रवक्ता
भाजपा प्रवक्ता संतोष पाठक ने कहा कि, "बीते कुछ समय से बिहार की राजनीति में उथल पुतल मची हुई है. रामधारी सिंह दिनकर ने कुछ पंक्तियां लिखी थीं. उसका संदर्भ महाभारत से था. पांडवों के पक्ष में दुर्योधन के दरबार में कृष्ण पहुंचते हैं और वे गुहार लगाते हैं कि, पांडवों को ज्यादा कुछ नहीं चाहिए उनको बस सिर्फ पांच गांव दे दीजिए और उनका सम्मान उन्हें वापस कर दीजिए. दुर्योधन अपने अहंकार में अपने घमंड में वो भी उसे न दे सका. उन्हीं पंक्तियों को जब रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपनी कविता में कटिबद्ध किया है, दुर्योधन वो भी दे न सका.. आशीष समाज की ले न सका.. उल्टे हरी को बांधने चला.. जो था असाध्य उसे साधने चला. जब नाश मनुष्य पर छाता है तो पहले विवेक मर जाता है."
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साथ ही भाजपा प्रवक्ता संतोष पाठक ने मुकेश सहनी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, "आपने 11 उम्मीदवार उतारे,स्वयं भी मैदान में उतरे लेकिन आप खुद चुनाव हार गए. आज पिछड़ों और मल्लाह समाज के नेता बने घूम रहे हैं. 165 सीटों पर आपको उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारी चाहिए. आपके समाज में आपकी खुद की स्वीकार्यता नहीं है,और आप बीजेपी के साथ बारगेन करना चाहते हैं. राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले हर व्यक्ति को अपनी स्थिति की जानकारी होनी चाहिए. आपने पिछड़ों को लामबंद जरूर किया है लेकिन समाज में आपका कोई योगदान नहीं है. कुछ पैसे आपने मुंबई में कमाए और उसे लेकर बिहार के राजनीतिक बाजार में उतर गए. उन पैसों से पार्टी खड़ी करके आप पिछड़ों को गुमराह कर रहे हैं."
उन्होंने कहा कि, 'मुकेश सहनी को बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ बयानबाजी करने से पहले समझना चाहिए कि, उनका कोई जनाधार नहीं है. अगर जनाधार होता तो अपनी खुद की सीट नहीं हारते. आप नहीं रहेंगे तो भी गठबंधन चलेगा. उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी की महत्वाकांक्षा नीतीश कुमार को अपदस्थ करने की है. इनकी कोशिश है कि, किसी प्रकार का एक गठजोड़ बनाए उसमें ललन सिंह को शामिल करें और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से अपदस्थ करें, उस कुर्सी पर स्वयं विराजमान हो जाए. जब आपको जनता का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है तो समाज आपको दुर्योधन के रूप में ही देखेगा. आप दोनों इस गठबंधन को तोड़ने का प्रयास न करें.'
संतोष पाठक ने ललन सिंह पर भी हमला करते हुए पूछा है कि, 'यूपी में आपको 51 सीटें क्यों चाहिए. ठीक पांच वर्ष पूर्व आपने कहा था कि, जेडीयू को वहां जानता कौन है, हमारे मांगने से या नीतीश कुमार के मांगने से कहां वोट मिलने वाला है. ये बातें आप ही ने कही थी. और आज किस प्रकार के गठबंधन की बात कर रहे हैं. आपका जनाधार बिहार में है. बीजेपी सभी राज्यों में अपने गठबंधन को बनाने में स्वतंत्र है. आप तीनों से अपेक्षा है कि, गठबंधन को यथावत रहने दें. समाज उपयोगी जो कार्य किए जा रहे हैं उसमें बाधा न डालें.'
बता दें कि, बिहार एनडीए में कड़वाहट (clash in Bihar NDA) दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. भाजपा और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के बीत तीखी बयानबाजी शुरू हो गयी है. सहनी ने तो यहां तक कह दिया था कि, बिहार में नीतीश कुमार की सरकार चल रही है ना कि भाजपा की. अगर भाजपा को कोई परेशानी है तो वह इससे अलग हो सकती है. इधर यूपी में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन (JDU and BJP Alliance in UP) को लेकर उपेंद्र कुशवाह भी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं.
इधर यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर जहां केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) चाहते हैं कि कुछ ही सीटों पर यूपी में बीजेपी और जेडीयू में गठबंधन (Alliance Between BJP and JDU in UP) तय हो जाए, वहीं जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) चाहते हैं कि पार्टी वहां 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े. जिस वजह से दोनों नेताओं के बीच अंतर्विरोध साफ दिख रहा है.
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