पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने भले ही दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बना लिया, लेकिन अल्पसंख्यकों के मामले में न सिर्फ भाजपा बल्कि जदयू की झोली भी खाली रह गई. अब इस कमी की भरपाई के लिए भाजपा शाहनवाज हुसैन के भरोसे है. भाजपा की नजर राजद के वोट बैंक पर है, लेकिन क्या अकेले शाहनवाज सीमांचल समेत बिहार के मुसलमानों का भरोसा बीजेपी के लिए जीत पाएंगे. यह आने वाला वक्त बताएगा.
न जीत सका था एनडीए का एक भी मुसलमान उम्मीदवार
चुनाव में अल्पसंख्यकों के 16% वोट बैंक ने सीमांचल में इस बार न तो पूरी तरह महागठबंधन का साथ दिया और न ही पूरी तरह एनडीए को समर्थन मिल पाया. विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ सत्ता में लौटे एनडीए के लिए सबसे बड़ा झटका यह रहा कि एक भी मुसलमान विधायक जीतकर विधानसभा नहीं पहुंच सका.
इसकी टीस किस हद तक बीजेपी और जदयू को साल रही है यह शाहनवाज हुसैन कि बिहार वापसी से पता चलता है. शाहनवाज हुसैन को बीजेपी ने विधान परिषद के रास्ते राज्य की राजनीति में लाकर अल्पसंख्यकों को रिझाने की पूरी तैयारी कर ली है. हालांकि इस तैयारी से बड़ा फर्क राष्ट्रीय जनता दल के वोट बैंक पर पड़ता दिख रहा है. राजद ने सीमांचल में इस बार चुनाव में एआईएमआईएम के हाथों करारी चोट खाई.
अल्पसंख्यकों के बड़े नेता नहीं हैं शाहनवाज: राजद
विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज की कुल सीटों में से महज एक सीट राजद के हिस्से में आई. ऐसे में शाहनवाज हुसैन की वापसी क्या राजद के लिए बड़ा खतरा हो सकती है? इस सवाल के जवाब में राजद प्रवक्ता अनवर हुसैन ने कहा "शाहनवाज हुसैन अपनी पार्टी का एक चेहरा जरूर हैं लेकिन अल्पसंख्यकों के बड़ा चेहरा नहीं हैं. बीजेपी ने शाहनवाज को बिहार में लाकर अल्पसंख्यक कार्ड खेला है लेकिन इसका फर्क राजद के वोट बैंक पर नहीं पड़ने वाला."
भाजपा प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि शहनवाज हुसैन को पार्टी ने प्रदेश में काम का मौका दिया है. यह हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है, लेकिन इसकी बेचैनी राजद में ज्यादा है. राजद और कांग्रेस ने हमेशा से अल्पसंख्यकों को सिर्फ ठगने का काम किया.
"जब राष्ट्रीय जनता दल के पास उपमुख्यमंत्री और यहां तक कि नेता प्रतिपक्ष के पद की दावेदारी थी तब भी वे अपने वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी या किसी अन्य अल्पसंख्यक चेहरे को सामने नहीं लाए बल्कि तेजस्वी यादव को आगे कर दिया. इसी से पता चलता है कि वे अल्पसंख्यकों के कितने हितैषी हैं."- संजय टाइगर, प्रवक्ता, बीजेपी
विधानसभा चुनाव के वक्त से ही एनडीए पर आरोप लगते रहे हैं उन्होंने अल्पसंख्यकों को आगे नहीं किया. अब शाहनवाज हुसैन के बहाने बीजेपी ने बिहार में अल्पसंख्यक कार्ड खेला है. इसे लेकर राजद खेमे में बेचैनी जरूर है, लेकिन यह देखने वाली बात होगी कि बीजेपी का यह अल्पसंख्यक कार्ड उनके कितना काम आता है.
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