पटना: बिहार डीजीपी पद से अचानक इस्तीफा देने वाले गुप्तेश्वर पांडेय का राजनीतिक भविष्य अधर में जाता दिख रहा है. दरअसल, वीआरस लेने के बाद पूर्व डीजीपी ने जदयू का दामन थामते हुए बक्सर से चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे. लेकिन बक्सर, आरा, सासाराम और पाली सीट भाजपा की पारंपरिक सीट रही है. बीजेपी अपने इन सीटों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. जिस वजह से गुप्तेश्वर पांडेय उहापोह की स्थिति हैं.
उहापोह की स्थिति में गुप्तेश्वर पांडेय
बता दें कि सरकारी नौकारी से दूसरी बार वीआरएस लेने वाले पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की नजर बक्सर विधानसभा सीट थी. इसी सीट के लिए उन्होंने नीतीश कुमार का दामन भी थामते हुए बक्सर सीट की मांग की थी. लेकिन, बक्सर भाजपा की परांपरिक सीट रही है. बीजेपी ने साफ तौर से बक्सर सीट को छोड़ने से मना कर दिया. ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
गुप्तेश्वर पांडेय के सामने दो विकल्प
बक्सर सीट के बाद पूर्व डीजीपी ने आरा और सासाराम सीट को प्रथमिकता दे रखी है. लेकिन सासाराम सीट से नीतीश कुमार राजद से शामिल हुए विधायक अशोक कुशवाहा को चुनाव लड़ाना चाहते है. वहीं, आरा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी दावा पेश कर रहे हैं. ऐसे में पूर्व डीजीपी के सामने अब दो विकल्प हैं. गुप्तेश्वर पांडेय या तो जदयू के टिकट पर शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ें या फिर बाल्मिकीनगर लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव के लिए अपना किस्मत आजमाएं.
शाहाबाद क्षेत्र के 3 सीटों पर भाजपा का दावा
भाजपा और जदयू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन चुकी है. पहले चरण के लिए होने वाले मतदान के लिए प्रत्याशियों के नाम पर मुहर भी लग चुकी है. इन सब के बीच कुछ सीटों पर भाजपा और जदयू के बीच अभी भी गतिरोध जारी है. बीजीपे ने अपने पारंपरिक सीट को किसी भी किमत पर नहीं छोड़ना चाह रही है. इसके अलावे भाजपा आरा, सासाराम, पाली जैसी कई सीटों पर भी दावा ठोक रही है.