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बिहार में भाजपा के सामने है एनडीए के कुनबे को बढ़ाने की चुनौती - जदयू महागठबंधन का हिस्सा

बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल चुका है. नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है और अब जदयू महागठबंधन का हिस्सा है.एक ओर नीतीश कुमार महागठबंधन को धार देने के लिए देश भर के नेताओं से मिल रहे हैं दूसरी तरफ भाजपा भी कुनबे को मजबूत करने में जुटी है. भाजपा की नजर बिहार के छोटे दलों पर है.

नीतीश कुमार और जेपी नड्डा
नीतीश कुमार और जेपी नड्डा
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Published : Sep 8, 2022, 10:54 PM IST

पटना : बिहार राजनीति का अखाड़ा बन चुका है. केंद्र में नीतीश कुमार हैं. नीतीश कुमार ने एनडीए को झटका देकर महागठबंधन का दामन थामा है. नीतीश कुमार राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. देश भर के नेताओं के साथ उनकी मुलाकात भी हो चुकी है. नीतीश कुमार सीधे पीएम मोदी को चुनौती देने की तैयारी कर चुके हैं. नीतीश कुमार के राजग से अलग होने के बाद से भाजपा खेमे में मंथन का दौर जारी है. भाजपा भी अपने कुनबे को मजबूत करने में जुटी (BJP to increase NDA clan in Bihar) है. पार्टी की नजर फिलहाल की बिहार पर है. सीमांचल से अमित शाह मिशन 2024 (Amit Shah Mission 2024) का आगाज भी कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी बिहार में 2014 के फार्मूले पर 35 सीटों के टारगेट को हासिल करना चाहती हैं.

ये भी पढ़ें :-BJP की खुली चुनौती- पॉलिटिकल टूरिस्ट नीतीश कुमार बिहार के किसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ कर दिखाएं

छोटे दलों ने नहीं खोलें पत्ते : आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ लोक जनशक्ति पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी और रालोसपा थी .हाल के कुछ वर्षों में भाजपा के कुनबे में भी खराब दौर आया. नीतीश कुमार के वजह से चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा. उनके चाचा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करा दिया गया, जिसके चलते चिराग पासवान और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ गई. मुकेश सहनी को भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से एनडीए छोड़ना पड़ा. बिहार से बाहर भाजपा को चुनौती देना मुकेश सहनी को महंगा पड़ा और उन्होंने मंत्री की कुर्सी भी गंवा दी. अब जबकि नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया है तो ऐसी स्थिति में चिराग पासवान और मुकेश सहनी को तवज्जो मिलना लाजिमी है.

भाजपा भी छोटे दलों को साथ लाना चाहती है. छोटे दल भी मौके की नजाकत को समझ रहे हैं और अब वे अपनी शर्तों के हिसाब से एनडीए में वापसी चाहते हैं. चिराग पासवान और मुकेश सहनी फिलहाल जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं. चिराग पासवान चाहते हैं कि चाचा पशुपति पारस को मंत्रिमंडल से बाहर किया जाए और उन्हें जगह दी जाए, लेकिन भाजपा ने बीच का रास्ता निकालने के संकेत दिए हैं और दोनों दलों के विलय की बात कही जा रही है. इसके अलावा चिराग पासवान चाहते हैं कि कितनी सीटें हमें दी जाएंगी, वह अभी स्पष्ट कर दिया जाए. झारखंड में भी एक लोक सभा सीट पर चिराग पासवान साथ लड़ना चाहते हैं.

मिल रही जानकारी के मुताबिक चिराग पासवान को एनडीए में जगह दी जा सकती है. फिलहाल चिराग पासवान ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.मुकेश सहनी ने अब तक यह फैसला नहीं लिया है कि वह किस गठबंधन में रहेंगे फिलहाल बहुत दूसरे राज्यों में पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. मुकेश सहनी को एनडीए में लाने के लिए रोड मैप पर मंथन जारी है. भाजपा नेताओं ने मुकेश सहनी को संकेत दिए हैं कि वह गठबंधन को लेकर जल्दबाजी में फैसला ना लें. मुकेश सहनी चाहते हैं कि उन्हें सम्मानजनक जगह दी जाए, इसके अलावा लोकसभा में कितनी सीटें वीआईपी के खाते में आएंगी, वह भी पहले ही तय कर दी जाए.

इधर आरसीपी सिंह पर भी सबकी नजर है. आरसीपी सिंह को भाजपा से उम्मीद है. वह भाजपा में शामिल होना चाहते हैं लेकिन भाजपा फिलहाल उन्हें शामिल कराने के मूड में नहीं दिखती. भाजपा को उम्मीद है कि आरसीपी सिंह अपनी पार्टी बनाकर संघर्ष करें और चुनाव के समय भाजपा उनके साथ गठबंधन करें.

भाजपा के शीर्ष नेता छोटे दलों के संपर्क में : वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा है कि हम अपनी पार्टी का विस्तार दूसरे राज्यों में कर रहे हैं और हर समय हम चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहते हैं. जहां तक भाजपा के साथ गठबंधन का सवाल है तो उस पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी को निर्णय लेना है.

लोजपा रामविलास के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा है कि गठबंधन को लेकर हम कोई जल्दी में नहीं हैं. हमारे नेता ने कहा है कि चुनाव करीब आने के बाद ही हम गठबंधन को लेकर कोई फैसला लेंगे. जहां तक एनडीए की बैठक में जाने का सवाल है तो मुद्दों के आधार पर हम एनडीए को समर्थन देते हैं.

गठबंधन को लेकर भाजपा आशान्वित दिखती है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि हमारे गठबंधन का आकार बड़ा होगा और समय आने पर सब को पता चल जाएगा. नरेंद्र मोदी की नीतियों से सहमति रखने वाले दल हमारे साथ आएंगे.

वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का मानना है कि बिहार में भाजपा एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कुनबे को बढ़ाना चाहती है. चिराग पासवान और मुकेश सहनी पर पार्टी की नजर है. संभव है दोनों नेता एनडीए में आ भी जाएं लेकिन शर्तों को लेकर मंथन चल रहा होगा.

ये भी पढ़ें :-बिहार को JDU मुक्त.. भारत को BJP मुक्त बनाने का दोनों पार्टियों का फार्मूला, यहां जानें

पटना : बिहार राजनीति का अखाड़ा बन चुका है. केंद्र में नीतीश कुमार हैं. नीतीश कुमार ने एनडीए को झटका देकर महागठबंधन का दामन थामा है. नीतीश कुमार राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. देश भर के नेताओं के साथ उनकी मुलाकात भी हो चुकी है. नीतीश कुमार सीधे पीएम मोदी को चुनौती देने की तैयारी कर चुके हैं. नीतीश कुमार के राजग से अलग होने के बाद से भाजपा खेमे में मंथन का दौर जारी है. भाजपा भी अपने कुनबे को मजबूत करने में जुटी (BJP to increase NDA clan in Bihar) है. पार्टी की नजर फिलहाल की बिहार पर है. सीमांचल से अमित शाह मिशन 2024 (Amit Shah Mission 2024) का आगाज भी कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी बिहार में 2014 के फार्मूले पर 35 सीटों के टारगेट को हासिल करना चाहती हैं.

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छोटे दलों ने नहीं खोलें पत्ते : आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ लोक जनशक्ति पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी और रालोसपा थी .हाल के कुछ वर्षों में भाजपा के कुनबे में भी खराब दौर आया. नीतीश कुमार के वजह से चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा. उनके चाचा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करा दिया गया, जिसके चलते चिराग पासवान और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ गई. मुकेश सहनी को भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से एनडीए छोड़ना पड़ा. बिहार से बाहर भाजपा को चुनौती देना मुकेश सहनी को महंगा पड़ा और उन्होंने मंत्री की कुर्सी भी गंवा दी. अब जबकि नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया है तो ऐसी स्थिति में चिराग पासवान और मुकेश सहनी को तवज्जो मिलना लाजिमी है.

भाजपा भी छोटे दलों को साथ लाना चाहती है. छोटे दल भी मौके की नजाकत को समझ रहे हैं और अब वे अपनी शर्तों के हिसाब से एनडीए में वापसी चाहते हैं. चिराग पासवान और मुकेश सहनी फिलहाल जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं. चिराग पासवान चाहते हैं कि चाचा पशुपति पारस को मंत्रिमंडल से बाहर किया जाए और उन्हें जगह दी जाए, लेकिन भाजपा ने बीच का रास्ता निकालने के संकेत दिए हैं और दोनों दलों के विलय की बात कही जा रही है. इसके अलावा चिराग पासवान चाहते हैं कि कितनी सीटें हमें दी जाएंगी, वह अभी स्पष्ट कर दिया जाए. झारखंड में भी एक लोक सभा सीट पर चिराग पासवान साथ लड़ना चाहते हैं.

मिल रही जानकारी के मुताबिक चिराग पासवान को एनडीए में जगह दी जा सकती है. फिलहाल चिराग पासवान ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.मुकेश सहनी ने अब तक यह फैसला नहीं लिया है कि वह किस गठबंधन में रहेंगे फिलहाल बहुत दूसरे राज्यों में पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. मुकेश सहनी को एनडीए में लाने के लिए रोड मैप पर मंथन जारी है. भाजपा नेताओं ने मुकेश सहनी को संकेत दिए हैं कि वह गठबंधन को लेकर जल्दबाजी में फैसला ना लें. मुकेश सहनी चाहते हैं कि उन्हें सम्मानजनक जगह दी जाए, इसके अलावा लोकसभा में कितनी सीटें वीआईपी के खाते में आएंगी, वह भी पहले ही तय कर दी जाए.

इधर आरसीपी सिंह पर भी सबकी नजर है. आरसीपी सिंह को भाजपा से उम्मीद है. वह भाजपा में शामिल होना चाहते हैं लेकिन भाजपा फिलहाल उन्हें शामिल कराने के मूड में नहीं दिखती. भाजपा को उम्मीद है कि आरसीपी सिंह अपनी पार्टी बनाकर संघर्ष करें और चुनाव के समय भाजपा उनके साथ गठबंधन करें.

भाजपा के शीर्ष नेता छोटे दलों के संपर्क में : वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा है कि हम अपनी पार्टी का विस्तार दूसरे राज्यों में कर रहे हैं और हर समय हम चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहते हैं. जहां तक भाजपा के साथ गठबंधन का सवाल है तो उस पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी को निर्णय लेना है.

लोजपा रामविलास के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा है कि गठबंधन को लेकर हम कोई जल्दी में नहीं हैं. हमारे नेता ने कहा है कि चुनाव करीब आने के बाद ही हम गठबंधन को लेकर कोई फैसला लेंगे. जहां तक एनडीए की बैठक में जाने का सवाल है तो मुद्दों के आधार पर हम एनडीए को समर्थन देते हैं.

गठबंधन को लेकर भाजपा आशान्वित दिखती है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि हमारे गठबंधन का आकार बड़ा होगा और समय आने पर सब को पता चल जाएगा. नरेंद्र मोदी की नीतियों से सहमति रखने वाले दल हमारे साथ आएंगे.

वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का मानना है कि बिहार में भाजपा एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कुनबे को बढ़ाना चाहती है. चिराग पासवान और मुकेश सहनी पर पार्टी की नजर है. संभव है दोनों नेता एनडीए में आ भी जाएं लेकिन शर्तों को लेकर मंथन चल रहा होगा.

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