पटना: देश कोरोना संक्रमण के दौर से गुजर रहा है. लोगों को मास्क लगाने के लिए निर्देश दिए जा रहे हैं, लेकिन इतनी बड़ी आबादी के लिए मास्क मुहैया कराना आसान नहीं है. ऐसे में गमछा लोगों की पसंद बन चुकी है. आम लोगों के बाद अब खास भी गमछा को अपनाने लगे हैं.
गमछा बिहार के लोगों का पारंपरिक परिधान रहा है. गांवों में गमछा का प्रचलन पहले से ही रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे के बाद शहर में भी लोगों ने गमछा को अपनाना शुरू कर दिया है.
धार्मिक आयोजन में होता है गमछा का उपयोग
बता दें कि गमछा का महत्व बिहार में पहले से ही है, जब लोग किसी को दान में कुछ देते थे, तो साथ में एक गमछा जरूरी होता था. अगर किसी कार्यक्रम का आयोजन होता है और अतिथियों को सम्मानित करने की बारी आती है तो उस समय भी अंग वस्त्र के रूप में गमछा से सम्मानित करने की परंपरा है. धार्मिक आयोजन के दौरान भी गमछा का उपयोग किया जाता है.
कोरोना से बचाव के लिए गमछा का उपयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने भी गमछा का इस्तेमाल कर लोगों को जागरूक किया और अब बिहार में राजनेताओं की पहली पसंद गमछा है. कोरोना से बचाव के लिए लोग अब गमछा का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे गमछा का इस्तेमाल करते हैं. घर से बाहर निकलने के बाद कैबिनेट मीटिंग हो या दफ्तर सभी जगह स्वास्थ्य मंत्री गमछा का सहारा लेते हैं. कोरोना से बचाव के लिए गमछा को वह सशक्त हथियार मान रहे हैं. मंगल पांडे का कहना है कि गमछा को पारंपरिक तौर पर बिहार के लोग पहले से इस्तेमाल करते आ रहे हैं और अब इसका महत्व और बढ़ गया है.
बिहारियों की पहचान है गमछा
बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि गमछा हम बिहारियों की पहचान है. हमारे नेता नीतीश कुमार ने तमाम कार्यकर्ताओं को गमछा बनाने को कहा है और हम लोगों को भी कार्यक्रम के दौरान गमछा से सम्मानित किया जाता है. गमछा को हम कार्यकर्ताओं के बीच वितरित भी करते हैं.
'हमारे संस्कृति में रचा बसा है गमछा'
हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव का मानना है कि गमछा हमारे संस्कृति में रची बसी है. बिहार के लोग पहले से गमछा का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इसके बहुत आयामी फायदे हैं. गर्मी में आप गमछा से पसीना पहुंच सकते हैं. जरूरत पड़ी तो कहीं स्नान भी कर सकते हैं और अगर नींद आ गई तो उसे बिछाकर सो भी सकते हैं.