बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने हत्या के आरोप में पिछले 11 साल से बंद एक दोषी को 90 दिन की पैरोल प्रदान की है. बता दें, कोर्ट ने दोषी को यह पैरोल सिर्फ इसलिए दी है ताकि वह अपनी पैतृक भूमि पर खेती कर सके.
जानकारी के मुताबिक रामनगर जिले के कनकपुरा तालुक के सिद्दीदेवराहल्ली निवासी चंद्रा (36) हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. चंद्रा ने हाई कोर्ट में पैरोल के लिए अर्जी दी. अर्जी में उसने कहा कि उसके पिता की उम्र 78 साल की हो गई है, इसलिए वह खेती करने में सक्षम नहीं हैं. परिवार में कोई और सदस्य भी नहीं है, इसलिए खेती बाड़ी का काम करने के लिए मुझे पैरोल की जरूरत है. याचिका पर सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति हेमंत चंदन गौदर की पीठ ने तुरंत पैरोल को मंजूरी दे दी.
याचिकाकर्ता चंद्रा 11 साल से जेल में है. इससे पहले उसने कभी भी पैरोल नहीं मांगी है. इस अपील पर सुनवाई करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि बेंगलुरु में परप्पना अग्रहारा केंद्रीय कारागार के मुख्य अधीक्षक उसे 90 दिनों के लिए पैरोल पर रिहा करें. इसके साथ-साथ कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि पैरोल अवधि के दौरान चंद्रा किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जैसे ही पैरोल समाप्त हो वैसे ही दोषी चंद्रा जेल वापस लौट आए. यदि इस शर्त का उल्लंघन किया गया, तो पैरोल का आदेश स्वतः ही रद्द हो जाएगा. बेंच ने चंद्रा को हर सप्ताह के पहले दिन स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने का भी आदेश दिया है.
बता दें, चंद्रा का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर था. इस अफेयर में बाधा बन रहे प्रेमिका के पति की उसने हत्या कर दी थी. इस आरोप में उसे 23 दिसंबर 2014 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वह 11 साल से परप्पना अग्रहारा में कारावास की सजा काट रहा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कानून के अनुसार किसी कैदी को उसकी सजा के दौरान अधिकतम 90 दिन के लिए पैरोल दी जा सकती है. कोर्ट अगर उसे पैरोल प्रदान करती है तो उसकी खेती बाड़ी का काम हो जाएगा.
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