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कौन है तहव्वुर राणा? 26/11 आतंकी हमले में क्या थी उसकी भूमिका, जिसे ट्रंप भारत को सौंपेंगे - TAHAWWUR RANA EXTRADITED TO INDIA

ताहव्वुर राणा, जो 26/11 के आतंकी हमले में शामिल था, उसके भारत आने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. ट्रंप ने खुद इसकी घोषणा की.

TAHAWWUR RANA EXTRADITED TO INDIA
2008 मुंबई आतंकी हमले की तस्वीर और तहव्वुर राणा की फाइल फोटो ((AFP and ANI))
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 14, 2025, 5:02 PM IST

Updated : Feb 14, 2025, 5:58 PM IST

हैदराबाद: प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. इस मुलाकात के साथ ही, 26/11 आतंकी हमले में शामिल तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता भी साफ हो गया. संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुद ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि राणा को न्याय का सामना करना पड़ेगा. भारत लंबे समय से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. पिछले साल नवंबर में, राणा ने प्रत्यर्पण के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

ट्रंप ने तहव्वुर को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी देते हुए कहा, "आज मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक और मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है. अब वह न्याय का सामना करने के लिए भारत वापस जा रहा है."

पाकिस्तान मूल का तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है. राणा के पास कनाडा की नागरिकता भी है. तहव्वुर राणा आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त है, जो 26/11 हमले का मुख्य साजिशकर्ता था और जिसकी मदद तहव्वुर राणा ने की थी.

कौन है तहव्वुर राणा और मुंबई के हमले में उसकी भूमिका क्या थी?
26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में आतंकी हमलों का सिलसिला शुरू हुआ था. पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने 60 घंटों तक पूरे देश को सदमे में डाले रखा. उन्होंने कई अहम ठिकानों पर हमले किए, जिसमें 166 लोगों की हत्या हुई. बाद में NSG कमांडोज को बुलाना पड़ा. पुलिस और कमांडोज की कार्रवाई में 9 आतंकी मारे गए और एक जिंदा पकड़ा गया, जिसका नाम अजमल आमिर कसाब था. उसे नवंबर 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई.

तहव्वुर राणा भी इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता है. आरोप हैं कि राणा को हमले की साजिश के बारे में पहले से पता था. सारी प्लानिंग उसकी नज़रों के सामने हुई थी और उसने टारगेट की रेकी भी की थी. वह पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर के तौर पर भी काम कर चुका है. तहव्वुर राणा मुंबई हमलों के सबसे संगीन किरदार का लंगोटिया दोस्त भी था, और उसी दोस्त ने उसका खेल बिगाड़ दिया.

तहव्वुर राणा की कहानी
9 अक्टूबर, 2009 को शिकागो के ओ'हेयर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर, एक व्यक्ति इस्लामाबाद जाने वाली उड़ान पकड़ने की जल्दी में था। वह पहले भी कई बार पाकिस्तान जा चुका था, लेकिन इस बार उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था. उसका डर सच हो गया जब एफबीआई एजेंटों ने उसे बोर्डिंग से पहले गिरफ्तार कर लिया. एफबीआई उस पर बहुत पहले से नजर रख रही थी, क्योंकि उसके आतंकी समूहों से संबंध थे.

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की एक पुरानी आदत थी: जब भी वह किसी मुश्किल परिस्थिति में फंसता था, तो वह तोते की तरह अपनी जुबान खोल देता था और सरकारी गवाह बनकर अपनी सजा कम करवा लेता था. उसका नाम डेविड कोलमैन हेडली था. हेडली ने एफबीआई के सामने भी अपनी पुरानी तरकीब अपनाई. उसने मुंबई सहित कई आतंकी हमलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के अंदर की खबरें बताईं. लेकिन एफबीआई इससे संतुष्ट नहीं थी. उस पर प्रत्यर्पण और मौत की सजा का खतरा मंडरा रहा था. इससे बचने के लिए वह बोला, "मैं आपको नाम बताता हूं. मुझे बचा लो. मैं गवाही दूंगा."

जिस नाम को उसने लिया वह उसके बचपन का सबसे खास दोस्त था: तहव्वुर हुसैन राणा. दोनों का परिवार प्रभावशाली था और उन्होंने पाकिस्तानी पंजाब के एक ही मिलिट्री कॉलेज से पढ़ाई की थी. उनके बीच दोस्ती हुई और कॉलेज की दोस्ती आगे भी कायम रही. जब हेडली हेरोइन के साथ पकड़ा गया, तो राणा ने अपना घर गिरवी रखकर उसे जमानत दिलवाई थी। लेकिन हेडली ने अपनी जान बचाने के लिए अपने दोस्त की कुर्बानी देने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। आगे चलकर वह राणा के केस का सबसे बड़ा गवाह बना। राणा पर तीन मुख्य आरोपों में मुकदमा चला:

  • पहला, डेनिश अखबार के दफ्तर पर आतंकी हमले में सहायता दी.
  • दूसरा, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट दिया.
  • तीसरा, मुंबई हमले की साजिश रचने में मदद की.

जून 2011 में शिकागो की एक अदालत ने राणा को तीसरे आरोप में बरी कर दिया, लेकिन पहले और दूसरे आरोप में उसे दोषी करार दिया गया. 2013 में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई. 2020 में वह कोविड पॉजिटिव हो गया, जिसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया.

भारत इससे खुश नहीं था. एनआईए ने कहा कि उसके पास राणा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उसे भारत भेजा जाना चाहिए, जहां उसे अपने हिसाब से सजा दी जाएगी.

रिहाई के तुरंत बाद भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण की याचिका लगाई. भारत की याचिका के बाद राणा को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. उसके प्रत्यर्पण पर अदालत का फैसला आया. कोर्ट ने कहा कि राणा भारत में हत्या, आतंकी साजिश रचने और आतंकी गतिविधियां करने का आरोपी है. यह दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में फिट बैठता है, इसलिए उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है. आखिरकार अब ट्रंप ने इसकी खुद घोषणा की.

16 मई, 2023: जज जैकलीन चूलजियान, यू.एस. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के यू.एस. मजिस्ट्रेट जज ने 48-पृष्ठ के आदेश में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को स्वीकार कर लिया. 15 अगस्त 2024 को, नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि वह दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है. 23 सितंबर, 2024 को सर्किट कोर्ट ने अन्य अदालतों के फैसलों पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने के विदेश विभाग के कदम को मंजूरी दी थी.

राणा के आपराधिक संबंधों का खुलासा तब हुआ जब उन्हें 17 जनवरी, 2013 को डेनमार्क में एक आतंकवादी साजिश में वित्तीय सहायता प्रदान करने और लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने की साजिश रचने के आरोप में 14 साल की सजा सुनाई गई, जो मुंबई में विनाशकारी हमलों के लिए जिम्मेदार समूह है। राणा को 9 जून, 2011 को मूल रूप से आरोपों का दोषी पाया गया था, जिससे उनके अपराध में उनकी भूमिका की गंभीरता का पता चला.

तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत प्रत्यर्पण मामला

  • 4 दिसंबर, 2019: भारत ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक रूप से अमेरिका को राजनयिक नोट सौंपा.
  • 10 जून, 2020: भारत ने प्रत्यर्पण के उद्देश्य से राणा की अनंतिम गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक शिकायत दर्ज की. प्रत्यर्पण उस द्विपक्षीय संधि के अंतर्गत मांगा गया जो भारत और अमेरिका के बीच 1997 में हस्ताक्षरित हुई थी.
  • जून 2020: राणा को अमेरिका में फिर से गिरफ़्तार किया गया और बिडेन प्रशासन ने औपचारिक रूप से राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया.
  • 2021: बिडेन प्रशासन ने एक संघीय अदालत से भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध को प्रमाणित करने का आग्रह किया.
  • 16 मई, 2023: जज जैकलीन चूलजियान, यू.एस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के यू.एस मजिस्ट्रेट जज ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को स्वीकार कर लिया.
  • 15 अगस्त, 2024: नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राणा को दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
  • 23 सितंबर, 2024: सर्किट कोर्ट ने अदालती फैसलों पर रोक लगाने की राणा की याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए विदेश विभाग के कदम को मंजूरी दी थी.
  • 13 नवंबर, 2024: राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष "प्रमाणपत्र के लिए याचिका" दायर की.
  • 20 दिसंबर, 2024: अमेरिकी सरकार ने 2008 के मुंबई हमलों के एक संदिग्ध तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण अनुरोध का समर्थन किया. अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से राणा की याचिका को अस्वीकार करने का आग्रह किया.
  • 25 जनवरी, 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी. नवंबर 2024 में दायर रिट याचिका को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के एक दिन बाद खारिज कर दिया गया था.
  • 13 फरवरी, 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में अपनी भूमिका के लिए भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा वांछित तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, ताकि "भारत में न्याय का सामना किया जा सके"

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु सहयोग पर आगे बढ़ने पर सहमत हुए

हैदराबाद: प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. इस मुलाकात के साथ ही, 26/11 आतंकी हमले में शामिल तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता भी साफ हो गया. संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुद ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि राणा को न्याय का सामना करना पड़ेगा. भारत लंबे समय से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था. पिछले साल नवंबर में, राणा ने प्रत्यर्पण के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

ट्रंप ने तहव्वुर को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी देते हुए कहा, "आज मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक और मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है. अब वह न्याय का सामना करने के लिए भारत वापस जा रहा है."

पाकिस्तान मूल का तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है. राणा के पास कनाडा की नागरिकता भी है. तहव्वुर राणा आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त है, जो 26/11 हमले का मुख्य साजिशकर्ता था और जिसकी मदद तहव्वुर राणा ने की थी.

कौन है तहव्वुर राणा और मुंबई के हमले में उसकी भूमिका क्या थी?
26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में आतंकी हमलों का सिलसिला शुरू हुआ था. पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने 60 घंटों तक पूरे देश को सदमे में डाले रखा. उन्होंने कई अहम ठिकानों पर हमले किए, जिसमें 166 लोगों की हत्या हुई. बाद में NSG कमांडोज को बुलाना पड़ा. पुलिस और कमांडोज की कार्रवाई में 9 आतंकी मारे गए और एक जिंदा पकड़ा गया, जिसका नाम अजमल आमिर कसाब था. उसे नवंबर 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई.

तहव्वुर राणा भी इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता है. आरोप हैं कि राणा को हमले की साजिश के बारे में पहले से पता था. सारी प्लानिंग उसकी नज़रों के सामने हुई थी और उसने टारगेट की रेकी भी की थी. वह पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर के तौर पर भी काम कर चुका है. तहव्वुर राणा मुंबई हमलों के सबसे संगीन किरदार का लंगोटिया दोस्त भी था, और उसी दोस्त ने उसका खेल बिगाड़ दिया.

तहव्वुर राणा की कहानी
9 अक्टूबर, 2009 को शिकागो के ओ'हेयर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर, एक व्यक्ति इस्लामाबाद जाने वाली उड़ान पकड़ने की जल्दी में था। वह पहले भी कई बार पाकिस्तान जा चुका था, लेकिन इस बार उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था. उसका डर सच हो गया जब एफबीआई एजेंटों ने उसे बोर्डिंग से पहले गिरफ्तार कर लिया. एफबीआई उस पर बहुत पहले से नजर रख रही थी, क्योंकि उसके आतंकी समूहों से संबंध थे.

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की एक पुरानी आदत थी: जब भी वह किसी मुश्किल परिस्थिति में फंसता था, तो वह तोते की तरह अपनी जुबान खोल देता था और सरकारी गवाह बनकर अपनी सजा कम करवा लेता था. उसका नाम डेविड कोलमैन हेडली था. हेडली ने एफबीआई के सामने भी अपनी पुरानी तरकीब अपनाई. उसने मुंबई सहित कई आतंकी हमलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के अंदर की खबरें बताईं. लेकिन एफबीआई इससे संतुष्ट नहीं थी. उस पर प्रत्यर्पण और मौत की सजा का खतरा मंडरा रहा था. इससे बचने के लिए वह बोला, "मैं आपको नाम बताता हूं. मुझे बचा लो. मैं गवाही दूंगा."

जिस नाम को उसने लिया वह उसके बचपन का सबसे खास दोस्त था: तहव्वुर हुसैन राणा. दोनों का परिवार प्रभावशाली था और उन्होंने पाकिस्तानी पंजाब के एक ही मिलिट्री कॉलेज से पढ़ाई की थी. उनके बीच दोस्ती हुई और कॉलेज की दोस्ती आगे भी कायम रही. जब हेडली हेरोइन के साथ पकड़ा गया, तो राणा ने अपना घर गिरवी रखकर उसे जमानत दिलवाई थी। लेकिन हेडली ने अपनी जान बचाने के लिए अपने दोस्त की कुर्बानी देने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। आगे चलकर वह राणा के केस का सबसे बड़ा गवाह बना। राणा पर तीन मुख्य आरोपों में मुकदमा चला:

  • पहला, डेनिश अखबार के दफ्तर पर आतंकी हमले में सहायता दी.
  • दूसरा, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट दिया.
  • तीसरा, मुंबई हमले की साजिश रचने में मदद की.

जून 2011 में शिकागो की एक अदालत ने राणा को तीसरे आरोप में बरी कर दिया, लेकिन पहले और दूसरे आरोप में उसे दोषी करार दिया गया. 2013 में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई. 2020 में वह कोविड पॉजिटिव हो गया, जिसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया.

भारत इससे खुश नहीं था. एनआईए ने कहा कि उसके पास राणा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और उसे भारत भेजा जाना चाहिए, जहां उसे अपने हिसाब से सजा दी जाएगी.

रिहाई के तुरंत बाद भारत सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण की याचिका लगाई. भारत की याचिका के बाद राणा को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. उसके प्रत्यर्पण पर अदालत का फैसला आया. कोर्ट ने कहा कि राणा भारत में हत्या, आतंकी साजिश रचने और आतंकी गतिविधियां करने का आरोपी है. यह दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में फिट बैठता है, इसलिए उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है. आखिरकार अब ट्रंप ने इसकी खुद घोषणा की.

16 मई, 2023: जज जैकलीन चूलजियान, यू.एस. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के यू.एस. मजिस्ट्रेट जज ने 48-पृष्ठ के आदेश में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को स्वीकार कर लिया. 15 अगस्त 2024 को, नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि वह दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है. 23 सितंबर, 2024 को सर्किट कोर्ट ने अन्य अदालतों के फैसलों पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने के विदेश विभाग के कदम को मंजूरी दी थी.

राणा के आपराधिक संबंधों का खुलासा तब हुआ जब उन्हें 17 जनवरी, 2013 को डेनमार्क में एक आतंकवादी साजिश में वित्तीय सहायता प्रदान करने और लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने की साजिश रचने के आरोप में 14 साल की सजा सुनाई गई, जो मुंबई में विनाशकारी हमलों के लिए जिम्मेदार समूह है। राणा को 9 जून, 2011 को मूल रूप से आरोपों का दोषी पाया गया था, जिससे उनके अपराध में उनकी भूमिका की गंभीरता का पता चला.

तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत प्रत्यर्पण मामला

  • 4 दिसंबर, 2019: भारत ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक रूप से अमेरिका को राजनयिक नोट सौंपा.
  • 10 जून, 2020: भारत ने प्रत्यर्पण के उद्देश्य से राणा की अनंतिम गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक शिकायत दर्ज की. प्रत्यर्पण उस द्विपक्षीय संधि के अंतर्गत मांगा गया जो भारत और अमेरिका के बीच 1997 में हस्ताक्षरित हुई थी.
  • जून 2020: राणा को अमेरिका में फिर से गिरफ़्तार किया गया और बिडेन प्रशासन ने औपचारिक रूप से राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया.
  • 2021: बिडेन प्रशासन ने एक संघीय अदालत से भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध को प्रमाणित करने का आग्रह किया.
  • 16 मई, 2023: जज जैकलीन चूलजियान, यू.एस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के यू.एस मजिस्ट्रेट जज ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को स्वीकार कर लिया.
  • 15 अगस्त, 2024: नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय ने फैसला सुनाया कि राणा को दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
  • 23 सितंबर, 2024: सर्किट कोर्ट ने अदालती फैसलों पर रोक लगाने की राणा की याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने उसे भारत प्रत्यर्पित करने के लिए विदेश विभाग के कदम को मंजूरी दी थी.
  • 13 नवंबर, 2024: राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष "प्रमाणपत्र के लिए याचिका" दायर की.
  • 20 दिसंबर, 2024: अमेरिकी सरकार ने 2008 के मुंबई हमलों के एक संदिग्ध तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण अनुरोध का समर्थन किया. अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से राणा की याचिका को अस्वीकार करने का आग्रह किया.
  • 25 जनवरी, 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी. नवंबर 2024 में दायर रिट याचिका को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के एक दिन बाद खारिज कर दिया गया था.
  • 13 फरवरी, 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में अपनी भूमिका के लिए भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा वांछित तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, ताकि "भारत में न्याय का सामना किया जा सके"

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Last Updated : Feb 14, 2025, 5:58 PM IST
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