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केरल: करोड़ों रुपये की साइबर धोखाधड़ी के मामले में मध्य प्रदेश से 2 गिरफ्तार

केरल में 4 करोड़ रुपये से अधिक के साइबर धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने दो शातिरों को गिरफ्तार किया.

2 arrested in cyber fraud case in Kerala
केरल में साइबर धोखाधड़ी के मामले में 2 गिरफ्तार (प्रतीकात्मक फोटो) (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 18 hours ago

कोझिकोड: कोझिकोड सिटी साइबर क्राइम पुलिस ने बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी के मामले में शामिल दो और लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में कोझिकोड निवासी से 4 करोड़ रुपये से अधिक की उगाही की गई. पुलिस ने मामले में मध्य प्रदेश के उज्जैन से दिनेश कुमार फुलवानी (48) और रतलाम जिले के आलोट के आलोट से शाहिद खान (52) को गिरफ्तार किया. ठगी की राशि मुख्य आरोपी सुनील डांगी द्वारा हस्तांतरित की गई थी. वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है.

पुलिस ने खुलासा किया कि डांगी ने फुलवानी और खान के खातों में धनराशि स्थानांतरित की, जिनसे लगभग 1.5 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं. घोटाले को फोन कॉल और व्हाट्सएप के जरिए अंजाम दिया गया और पुलिस ने गिरफ्तार किए गए दो संदिग्धों के मोबाइल फोन, बैंक खाते और दस्तावेज जब्त किए. फुलवानी और खान दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

कैसे देता था वारदात को अंजाम

धोखाधड़ी का शिकार मध्य प्रदेश का एक डॉक्टर 35 साल से कोझिकोड में रह रहा है. उससे सबसे पहले 31 जनवरी को अमित नाम के एक व्यक्ति ने संपर्क किया था. अमित (नकली नाम), जो उसी समुदाय से होने का दावा करता है. उसने शिकायतकर्ता से कहा कि वह कोविड महामारी के बाद भारी कर्ज में है और उसे तत्काल वित्तीय मदद की जरूरत है. यह घोटाला पैसे के लिए छोटे-छोटे अनुरोधों से शुरू हुआ. कथित तौर पर इलाज खर्ज और कर्ज के लिए. जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी, अमित ने पारिवारिक संकट, कानूनी परेशानियों और यहां तक ​​कि आत्महत्या के झूठे प्रयासों से जुड़े धोखे का जाल बुना.

अमित की हेराफेरी और भी जटिल हो गई, क्योंकि इसमें एक डॉक्टर, एक टाउन इंस्पेक्टर और एक निर्माण ठेकेदार (नकली) सहित अन्य नकली व्यक्ति शामिल थे. उसने शिकायतकर्ता को लगातार बड़ी रकम भेजने के लिए राजी किया. धोखाधड़ी की मांगों में चिकित्सा उपचार, कानूनी कार्यवाही और यहां तक ​​कि अमित के कथित अपहरण के लिए फिरौती की रकम भी शामिल थी. एक समय पर पीड़ित को यह विश्वास दिलाया गया कि उसका नाम मामले से जुड़े एक सुसाइड नोट में शामिल है. इससे और अधिक पैसे भेजने का दबाव और बढ़ गया.

पीड़ित जिसका धार्मिक संस्थाओं सहित अन्य संस्थाओं को काफी दान देने का इतिहास रहा है. उसने मांगों को पूरा किया और समय-समय पर बड़ी रकम भेजी. जालसाजों ने पैसे ऐंठने के लिए मीडिया का ध्यान आकर्षित करने, गिरफ्तारी की धमकी देने और संपत्ति के सौदे का भी झूठा दावा किया. पीड़ित ने मनगढ़ंत संकटों को हल करने की उम्मीद में किश्तों में लाखों रुपये भेजे.

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित के बेटे ने मामले की खुद जांच शुरू की. 31 अगस्त को कोझिकोड साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद जांच शुरू हुई और फुलवानी और खान को गिरफ्तार किया गया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब धोखाधड़ी की साजिश को उजागर करने और इसमें शामिल अन्य लोगों का पता लगाने में जुटे हैं.

ये भी पढ़ें- केरल: वालापट्टनम में एक करोड़ की चोरी के मामले में पकड़ा गया पड़ोसी

कोझिकोड: कोझिकोड सिटी साइबर क्राइम पुलिस ने बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी के मामले में शामिल दो और लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में कोझिकोड निवासी से 4 करोड़ रुपये से अधिक की उगाही की गई. पुलिस ने मामले में मध्य प्रदेश के उज्जैन से दिनेश कुमार फुलवानी (48) और रतलाम जिले के आलोट के आलोट से शाहिद खान (52) को गिरफ्तार किया. ठगी की राशि मुख्य आरोपी सुनील डांगी द्वारा हस्तांतरित की गई थी. वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है.

पुलिस ने खुलासा किया कि डांगी ने फुलवानी और खान के खातों में धनराशि स्थानांतरित की, जिनसे लगभग 1.5 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं. घोटाले को फोन कॉल और व्हाट्सएप के जरिए अंजाम दिया गया और पुलिस ने गिरफ्तार किए गए दो संदिग्धों के मोबाइल फोन, बैंक खाते और दस्तावेज जब्त किए. फुलवानी और खान दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

कैसे देता था वारदात को अंजाम

धोखाधड़ी का शिकार मध्य प्रदेश का एक डॉक्टर 35 साल से कोझिकोड में रह रहा है. उससे सबसे पहले 31 जनवरी को अमित नाम के एक व्यक्ति ने संपर्क किया था. अमित (नकली नाम), जो उसी समुदाय से होने का दावा करता है. उसने शिकायतकर्ता से कहा कि वह कोविड महामारी के बाद भारी कर्ज में है और उसे तत्काल वित्तीय मदद की जरूरत है. यह घोटाला पैसे के लिए छोटे-छोटे अनुरोधों से शुरू हुआ. कथित तौर पर इलाज खर्ज और कर्ज के लिए. जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ी, अमित ने पारिवारिक संकट, कानूनी परेशानियों और यहां तक ​​कि आत्महत्या के झूठे प्रयासों से जुड़े धोखे का जाल बुना.

अमित की हेराफेरी और भी जटिल हो गई, क्योंकि इसमें एक डॉक्टर, एक टाउन इंस्पेक्टर और एक निर्माण ठेकेदार (नकली) सहित अन्य नकली व्यक्ति शामिल थे. उसने शिकायतकर्ता को लगातार बड़ी रकम भेजने के लिए राजी किया. धोखाधड़ी की मांगों में चिकित्सा उपचार, कानूनी कार्यवाही और यहां तक ​​कि अमित के कथित अपहरण के लिए फिरौती की रकम भी शामिल थी. एक समय पर पीड़ित को यह विश्वास दिलाया गया कि उसका नाम मामले से जुड़े एक सुसाइड नोट में शामिल है. इससे और अधिक पैसे भेजने का दबाव और बढ़ गया.

पीड़ित जिसका धार्मिक संस्थाओं सहित अन्य संस्थाओं को काफी दान देने का इतिहास रहा है. उसने मांगों को पूरा किया और समय-समय पर बड़ी रकम भेजी. जालसाजों ने पैसे ऐंठने के लिए मीडिया का ध्यान आकर्षित करने, गिरफ्तारी की धमकी देने और संपत्ति के सौदे का भी झूठा दावा किया. पीड़ित ने मनगढ़ंत संकटों को हल करने की उम्मीद में किश्तों में लाखों रुपये भेजे.

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित के बेटे ने मामले की खुद जांच शुरू की. 31 अगस्त को कोझिकोड साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद जांच शुरू हुई और फुलवानी और खान को गिरफ्तार किया गया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब धोखाधड़ी की साजिश को उजागर करने और इसमें शामिल अन्य लोगों का पता लगाने में जुटे हैं.

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