पटना: जल जीवन हरियाली अभियान के तहत बिहार सरकार ने अतिक्रमित नदी, तालाब और पोखरों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है. इससे मत्स्य पालन के क्षेत्र में प्रदेश को काफी आत्मनिर्भरता मिलेगी. बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ लिमिटेड पटना के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप का कहना है कि अब प्रदेश के मछुआरों के दिन बहुरेंगे.
प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप की मानें तो बिहार सरकार ने राज्य के सभी 75,000 सरकारी तालाबों का जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जीर्णोद्धार करने का सोचा है. उन्होंने राज्य सरकार से डिमांड की थी कि बिहार में जितने भी तालाब हैं, मत्स्य जीवी सहकारी संघ से उनका जीर्णोद्धार कराया जाए. जिसके लिए बिहार सरकार ने मंजूरी दे दी है.
समिति टेंडर के माध्यम से कराएगी जीर्णोद्धार
बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ लिमिटेड के निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि सरकार ने यह प्रावधान किया है कि मत्स्य जीवी सहकारी समितियां टेंडर के माध्यम से अपने क्षेत्र के तालाबों का जीर्णोद्धार करा सकती हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी समितियों को जल संसाधन विभाग में जल्द से जल्द अपना निबंधन करना होगा. उसके बाद विधिवत प्रक्रिया अपनाकर टेंडर में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि मछुआ समिति बेहतर तरीके से यह जानता है कि तालाब कहां से उथला और कहां बांध बनाना है.
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बिहार में बढ़ेगा मछली उत्पादन
ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि अगर मछुआ समितियों की ओर से सही तरीके से तालाबों का जीर्णोद्धार होता है तो तालाबों में मछली का उत्पादन बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी बिहार आंध्र प्रदेश के मछलियों पर निर्भर है. लेकिन, अगर तालाबों के जीर्णोद्धार से राज्य में मछली के उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि तालाबों के सही तरीके से जीर्णोद्धार होने के बाद बिहार 1 साल में ही मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा.