पटना: पुलिस को अत्याधुनिक बनाने के लिए लगातार बिहार सरकार काम कर रही है. पुलिस अपराध पर अंकुश लगाने में सक्षम हो इसके लिए बिहार सरकार कई योजनाएं चला कर पुलिस को हाईटेक बनाने में जुटी हुई है. इसी कड़ी में पटना के एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट में प्रोफेसर विद्यार्थी विकास (Professor Vidyarthi Vikas ) के नेतृत्व में बिहार पुलिस के वरीय पदाधिकारियों को भूमि विवाद से निपटारा (bihar police training) के लिए प्रशिक्षण दिया गया, ताकि समाज में बढ़ रहे भूमि विवाद का निष्पादन किया जा सके.
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भूमि विवाद निपटाने के लिए प्रशिक्षण: बिहार में बढ़ते भूमि विवाद के कारण लगातार हत्याएं होती हैं. पुलिस प्रशासन कहीं ना कहीं भूमि विवाद के मामले के निपटारे में सफल नहीं हो पा रहे हैं जिसको लेकर पटना के एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट में तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. बिहार पुलिस के आरक्षी उपाधीक्षक से लेकर अवर निरीक्षक तक के लोगों को ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई थी. इस प्रशिक्षण में कई आईपीएस, आईएएस से लेकर विशेषज्ञों के द्वारा ट्रेनिंग दी गई. प्रशिक्षण मुख्य रूप से इस बात पर फोकस रहा कि किस तरीके से भूमि विवाद से लोगों को मुक्त किया जाए. साथ ही भूमि विवाद में हो रहे आपराधिक घटनाओं पर अंकुश कैसे लगाया जा सके.
40 पुलिस पदाधिकारी की ट्रेनिंग: इस प्रशिक्षण की शुरुआत 18 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल तक की गयी. सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम के 6:00 बजे तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें बिहार के 40 पुलिस पदाधिकारी ट्रेनिंग ले रहे हैं. प्रशिक्षण देने के लिए कई गणमान्य व्यक्ति पहुंच रहे हैं. पुलिस प्रशिक्षण के आयोजनकर्ता एवं अनुग्रह नारायण सिंह संस्थान के विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास ने बताया कि इन दिनों भूमि विवाद के मामले काफी बढ़ गए हैं और पुलिस को नॉलेज के अभाव में केस का निपटारा करने में काफी समस्याएं आ रही है.
"हाल के दिनों में समीक्षा में पाया गया है और राज्य और न्यायपालिका के द्वारा भी ये चिंता व्यक्त की गई है कि बिहार में भूमि विवाद के कारण क्राइम बहुत तेजी से बढ़ रहा है. अधिकांश मर्डर की जड़ में भूमि विवाद होता है. इसलिए प्रशिक्षण के माध्यम से पुलिस पदाधिकारियों को इससे जड़ी सभी जानकारी दी जा रही है."- विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ व ट्रेनिंग आयोजनकर्ता
तीन दिनों की ट्रेनिंग का आखिरी दिन आज: उन्होंने कहा कि 3 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है. जिससे कि समाज में बढ़ते भूमि विवाद के मामलों को जल्द से जल्द निष्पादित किया जा सके. साथ ही मामलों में कमी आ सके. जिसको लेकर यह 3 दिवसीय पुलिस प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है और अब समय समय पर इस तरह की ट्रेंनिग का आयोजन करके प्रशिक्षण दिया जाएगा.
'भूमि विवाद केस सुलझाने में मिलेगी मदद': वहीं ट्रेनिंग लेने पहुंचे इंस्पेक्टर रोहन कुमार ने बताया कि हाल के दिनों में भूमि संबंधित मामले ज्यादा आते हैं. ऐसे में ट्रेनिंग का आयोजन किया गया है. इसमें भूमि संबंधित मामलों के निपटारे को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो भूमि संबंधित केस को सुलझाने में काम आएगा. ट्रेंनिग के बाद से ज्यादा से ज्यादा भूमि संबंधित मामलों का निपटारा किया जा सकेगा, जिससे कि आम जनमानस को भी लाभ मिलेगा.
"हम लोग भूमि विवाद के निराकरण के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं. भूमि विवाद के कारण ही बहुत से क्राइम हो रहे हैं. इसके लिए मुख्यालय ने बहुत अच्छी पहल की है. ट्रेनिंग में बहुत सी जानकारी मिली है."- रोहन कुमार इंस्पेक्टर
भूमि विवाद में हत्या की घटनाएं: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का मानना है कि बिहार में जो क्राइम की घटनाएं होती हैं, उनमें ज्यादातर घटनाएं भूमि विवाद के कारण होती हैं. ये बात उन्होंने कई बार दोहराई है. इसे लेकर कई बार समीक्षा बैठक भी की गई. एक बार फिर बिहार में अपराध चरम पर है. आए दिन हत्या और लूट की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिस पर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गई है. ईटीवी भारत संवाददाता ने बढ़ते अपराध को लेकर अर्थशास्त्री विद्यार्थी विकास से बात की. अर्थशास्त्री विकास भी ये मानते हैं कि भूमि विवाद भी अपराध का सबसे बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद बढ़ने का कारण (Reason Of Crime Increase In Bihar) संस्थागत है, जिसके सही नहीं होने के कारण पूरा सिस्टम गड़बड़ है और अपराध में वृद्धि हो रही है.
सरकार ने भी माना जमीन विवाद को बड़ा कारणः आपको बता दें कि राज्य सरकार भी मानती है कि बिहार में जमीन विवाद के कारण कहीं ना कहीं आपराधिक वारदातों में वृद्धि हुई है. जिस वजह से राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने एसपी और डीएम लेवल पर महीने में एक बार अनुमंडल स्तर पर 15 दिन पर और थाना स्तर पर हफ्ते में एक बार बैठक कर जगत ज्यादा भूमि विवाद के मामलों को समाधान करने का निर्देश दिया है. आंकड़ों की बात करें तो साल 2000-21 में कुल जिला स्तर पर अनुमंडल स्तर पर और प्रखंड स्तर पर 28875 बैठक की गई थी. वहीं, साल 2022 के जनवरी माह में कुल 4034 बैठक की गई और फरवरी माह में 3318 बैठक की गई.
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