मोतिहारी: बिहार के मठ मंदिरों में भी पुजारियों को वेतन (Salary For Temple Priests) देने की मांग जोर पकड़ने लगी है. मौलवियों के तर्ज पर पुजारी को भी वेतन मिले यह मांग बिहार सरकार के मंत्री ने उठाई है. पुजारियों को वेतन दिए जाने का मामला सामने आने के बाद इस पर सियासत शुरू हो गई है. बता दें कि बिहार सरकार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने पुजारी को भी तनख्वाह देने की व्यवस्था हो यह मांग उठाई है.
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'पुजारियों के लिए हो वेतन व्यवस्था': पुजारियों की अगर बात करें तो उनका खर्चा भगवान भरोसे है. दान से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है. बिहार के धार्मिक न्यास बोर्ड में लगभग 4 हजार मंदिर निबंधित हैं और लगभग 4 हजार मंदिर निबंधन के लिए प्रक्रियाधीन है. बिहार सरकार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा है कि मंदिरों के पुजारियों के लिए भी वेतन की व्यवस्था होनी चाहिए. अभी तक ऐसी व्यवस्था बिहार में कायम नहीं है. मंदिर से जो आमदनी होती है उससे एक निश्चित राशि वेतन के तौर पर मंदिर के पुजारियों को दिया जाना चाहिए ताकि उनका जीवन का भरण पोषण हो सके.
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'बिहार सरकार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने बताया कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में करीब चार हजार मंदिर निबंधित हैं और इतने ही प्रक्रियाधीन हैं. इनके पुजारियों को सरकार के तरफ से तो मानदेय देने की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी भी निबंधित मंदिर की कमेटी को मंदिर की आमदनी से ही एक निश्चित राशि मंदिर के पुजारी को देनी चाहिए. कुछ दिन पहले ही मंदिरों की रजिष्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हुई है और अभी भी काफी काम बाकी है. लेकिन अब उनकी कोशिश रहेगी कि मंदिर जो बड़ी आमदनी देते हैं उनके पुजारियों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता है. मंदिर प्रशासन को उन्हें भी वेतन की व्यवस्था करनी होगी.'' - प्रमोद कुमार, कानून मंत्री, बिहार सरकार
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मंदिर के पुजारियों को वेतन देने की मांग: बिहार के मठ मंदिर और वक्फ बोर्ड के पास अरबों रुपए की संपत्ति है. मठ मंदिरों के परिसंपत्तियों के देखरेख का जिम्मा जहां न्यास बोर्ड के पास है वहीं मस्जिदों की संपत्तियों के देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पास है. मस्जिद में काबिज मौलाना को तनख्वाह तो मिलती है लेकिन मंदिर के पुजारी के लिए तनख्वाह की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में प्रमोद कुमार ने इस दिशा में पहल करने की मांग की है.
मौलवियों को दी जाती है वेतन: बता दें कि बिहार में लगभग 10 हजार मस्जिद हैं. बड़ी संख्या में मस्जिदों में नमाज पढ़ने वाले मौलवी और मोअज्जिन अजान देने वाले नियुक्त किए गए हैं. 5 हजार से 8 हजार प्रति माह उनको वेतन दी जाती है. बिहार के सुन्नी वक्फ बोर्ड उनके वेतन की व्यवस्था करती है. इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड भी है बोर्ड के जरिए भी मौलवी को वेतन दिया जाता है. पटना में करीब 100 मस्जिद सिया वक्फ बोर्ड के तहत निबंधित हैं.
प्रति वर्ष तीन करोड़ का अनुदान : बिहार के मस्जिदों में जहां दुकान या अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान है या फिर दान मिलता है उसी रकम से मौलवी के मानदेय या वेतन की व्यवस्था होती है. मगर ज्यादातर मस्जिदों में मौलवी के वेतनमान की व्यवस्था सुन्नी वक्फ बोर्ड के जरिए होती है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को बिहार सरकार की ओर से हर साल 3 करोड़ रुपए अनुदान मिलते हैं और इसी से कर्मचारियों का वेतन भी चलता है. पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में वहां के सुन्नी बोर्ड मानदेय दे रहे हैं.
मध्य प्रदेश में पुजारी को कितना मानदेय? : बता दें कि मध्य प्रदेश में मंदिर के पुजारी को मानदेय मंदिरों की जमीन के अनुपात में दिया जाता है. यानि जिस मंदिर के पास जमीन कम है उन्हें कम और जिन पर जमीन न के बराबर है उन्हें सबसे अधिक मानदेय मिलता है. यानी, जिन मंदिरों की जमीन नहीं है, उनके पुजारियों को 3000 रुपए महीना, जिन मंदिरों की 5 एकड़ या कम जमीन है, उनके पुजारियों को 2100 रुपए और जिन मंदिरों की 5 एकड़ से ज्यादा जमीन है, उनके पुजारियों को 1500 रुपए महीना मानदेय दिया जाता है.
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