पटना: बिहार सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 45 लाख मेट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है. 15 फरवरी तक बिहार में धान की खरीद होगी. धान खरीद का रेट 2183 रुपए प्रति क्विंटल सरकार की ओर से तय किया गया है, लेकिन बिहार सरकार की ओर से अभी तक बोनस की घोषणा नहीं की गई है.
बिहार में धान की खरीदी की रफ्तार काफी धीमी: वहीं पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में किसानों को अच्छी राशि मिल रही है. छत्तीसगढ़ में प्रति क्विंटल 917 रुपए और झारखंड में प्रति क्विंटल 117 रुपए बोनस किसानों को मिल रहा है. 15 नवंबर 2023 से बिहार में धान खरीद शुरू हुई है और अब तक केवल 28% ही धान की खरीद हो पाया है.
बोनस की घोषणा नहीं होने पर लेसी सिंह: खाद्य आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह का कहना है अभी तक 25 लाख 61 हजार मैट्रिक टन के करीब ही धान की खरीद हुई है. हम लोगों का लक्ष्य इस बार भी 45 लाख मैट्रिक टन का है. दूसरे राज्यों में बोनस की घोषणा किए जाने पर लेसी सिंह सफाई देते हुए कहती हैं कि हर राज्य की अपनी परिस्थिति है.
"सरकार की ओर से पूरी कोशिश है कि लक्ष्य के अनुरूप धान की खरीद हो जाए. हालांकि इस बार बोनस अभी तक घोषणा नहीं की गई है. बाजार में सरकार की तय से अधिक राशि किसानों को मिल रही है. 15 फरवरी तक धान खरीदना है और किसानों को बाजार में अच्छा मूल्य मिल रहा है."- लेसी सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री, बिहार
15 नवंबर से धान की खरीद: बिहार सरकार की ओर से पिछले साल ही नया कृषि रोड मैप जारी किया गया है. इसमें किसानों की आमदनी बढ़ाने की बात कही गई है, लेकिन बिहार में 15 नवंबर से धान की खरीद हो रही है. अब तक सरकार की ओर से बोनस तक की घोषणा नहीं हुई है.
किस जिले में कितनी फीसदी हुई धान खरीद: धान खरीद में बिहार के अव्वल जिलों की बात करें तो सुपौल में 53.5%, बेगूसराय में 41.6%, मधेपुरा में 36.70%, सीतामढ़ी में 36.62% और बांका में 35.94% धान की खरीद हुई है. वहीं बक्सर, दरभंगा, गोपालगंज, मधुबनी, पश्चिम चंपारण जैसे जिले धान खरीद में फिसड्डी है और यहां 20% से भी काम धान की खरीद हुई है.
बिचौलियों के माध्यम से बेचा जा रहा धान: किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह का कहना है कि बिहार सरकार की मंशा नहीं है कि किसान को उचित राशि मिले. इसलिए किसान बिचौलियों के माध्यम से अपना धान बेच रहे हैं. दूसरे राज्यों से व्यापारी आकर खरीद रहे हैं.
"पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ से व्यापारी आ रहे हैं. यहां सस्ता धन उन्हें मिल जा रहा है. सरकार का किसानों पर कोई ध्यान नहीं है."- रंजीत कुमार, उपाध्यक्ष किसान मोर्चा
राष्ट्रीय किसान महासभा का तर्क: राष्ट्रीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव उमेश सिंह ने फोन से हुई बातचीत में कहा कि बिहार सरकार का किसानों के प्रति रवैया ठीक नहीं है. इस बार बोनस तक की घोषणा नहीं की है. बिहार में किसान सस्ते दामों पर अपना धान बेच रहे हैं और इसलिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ झारखंड के व्यापारी यहां से धान खरीद कर ले जा रहे हैं. क्योंकि वहां उन्हें किसानों से महंगा धान खरीदना पड़ता है.
"बिहार में नमी के नाम पर भी प्रति क्विंटल 5 किलो तक धान काटा जाता है. समय पर पैक्स के तरफ से भुगतान भी नहीं होता है और इस तरह की कई समस्या है. इसके कारण किसान सस्ते दाम पर दूसरे राज्यों के व्यापारियों को अपना धान दे देते हैं."- उमेश सिंह, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय किसान महासभा
दूसरे राज्य के व्यापारी बिहार से खरीदी करते हैं: ऐसे कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक प्रस्ताव बोनस के लिए तैयार किया गया है. अब इस पर फैसला सरकार के स्तर पर ही हो सकता है. अभी केंद्र सरकार ने जो धान की राशि प्रति क्विंटल तय की है उसी पर खरीदारी हो रही है. पंजाब, हरियाणा में मंडी में किसानों को अच्छी कीमत मिलता है. इसलिए वहां के व्यापारी बिहार आते हैं सस्ता धान खरीदते हैं.
धान की खरीदी में समस्या: छत्तीसगढ़ में किसानों को 917 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया जा रहा है, इसलिए वहां के व्यापारी भी बिहार आ रहे हैं. बिहार में नमी के कारण किसानों को प्रति क्विंटल 5 किलो तक धान ले लिया जाता है. समय पर किसानों को राशि भी नहीं दी जाती है. 45 लाख मैट्रिक टन इस बार धान खरीदने का 15 फरवरी तक लक्ष्य है. 30% से भी कम धान की अब तक हुई है खरीदारी, बोनस की भी घोषणा नहीं हुई है.
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