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सालों से अटका पड़ा है सेवा शर्त, नियोजित शिक्षकों की आखिर क्यों नहीं सुन रही सरकार!

बता दें कि इस बारे में सदन में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं. लेकिन, अब तक इस बात को लेकर कोई चर्चा नहीं है.

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Published : Jul 9, 2019, 9:51 PM IST

पटना: बिहार में वर्ष 2006 से ही नियोजित शिक्षकों का नियोजन हो रहा है. लाखों की संख्या में नियोजित शिक्षक बिहार में काम कर रहे हैं. लेकिन अब तक इनकी सेवा शर्त नियमावली नहीं बन पाई है. इसे लेकर कई बार शिक्षकों ने हंगामा किया. विपक्ष के सदस्यों ने भी इस मुद्दे को कई बार उठाया.

अब तो सरकार यानी बीजेपी और जदयू से जुड़े नेता भी इस मामले को प्रमुखता से उठा रहे हैं. लेकिन, अब भी सरकार इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचती दिख रही है. ऐसे में लोगों का यही सवाल है कि आखिर क्यों सेवा शर्त मामले पर सरकार कुंडली मारकर बैठी है?

ईटीवी भारत संवाददाता अमित वर्मा की रिपोर्ट

लगभग 2 महीने पहले आया था SC का फैसला
'समान काम, समान वेतन' पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आए लगभग 2 महीने हो चुके हैं. बीते 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने नियोजित शिक्षकों के खिलाफ फैसला दिया था. इसके बाद सरकार चाहती तो नियोजित शिक्षकों का सेवा शर्त लागू कर सकती थी. लेकिन, अब तक इस बात को लेकर कोई चर्चा नहीं है. सेवा शर्त लागू नहीं होने के कारण नियोजित शिक्षकों को ना तो ट्रांसफर की फैसिलिटी मिल रही है, ना ही उनका प्रमोशन हो रहा है. ऐसे में वह अन्य तमाम सुविधाएं से भी वंचित होते जा रहे हैं.

PATNA
नेता

क्या कहते हैं नेता?
बता दें कि इस बारे में सदन में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं. सदन में सवाल उठाने वाले बीजेपी के विधान पार्षद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने कहा कि यह बहुत पुराना मामला है. वर्ष 2015 में बिहार सरकार ने 3 सदस्यों की कमेटी बनाई थी, जिसे सेवा शर्त लागू करना था. लेकिन 4 साल के बाद भी सरकार अब तक इसे लेकर स्पष्ट उत्तर नहीं दे रही है.

बीजेपी नेता ने कहा कि अगर शिक्षा मंत्री अपने बूते यह काम नहीं करा सकते तो मुख्यमंत्री को खुद इस मामले को देखना चाहिए. इधर शिक्षा मंत्री का हर बार की तरह फिर वही रटा-रटाया जवाब दे रहें हैं. उनका कहना है कि बहुत जल्द इस पर काम पूरा होगा और इसे लागू कर दिया जाएगा.

पटना: बिहार में वर्ष 2006 से ही नियोजित शिक्षकों का नियोजन हो रहा है. लाखों की संख्या में नियोजित शिक्षक बिहार में काम कर रहे हैं. लेकिन अब तक इनकी सेवा शर्त नियमावली नहीं बन पाई है. इसे लेकर कई बार शिक्षकों ने हंगामा किया. विपक्ष के सदस्यों ने भी इस मुद्दे को कई बार उठाया.

अब तो सरकार यानी बीजेपी और जदयू से जुड़े नेता भी इस मामले को प्रमुखता से उठा रहे हैं. लेकिन, अब भी सरकार इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचती दिख रही है. ऐसे में लोगों का यही सवाल है कि आखिर क्यों सेवा शर्त मामले पर सरकार कुंडली मारकर बैठी है?

ईटीवी भारत संवाददाता अमित वर्मा की रिपोर्ट

लगभग 2 महीने पहले आया था SC का फैसला
'समान काम, समान वेतन' पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आए लगभग 2 महीने हो चुके हैं. बीते 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने नियोजित शिक्षकों के खिलाफ फैसला दिया था. इसके बाद सरकार चाहती तो नियोजित शिक्षकों का सेवा शर्त लागू कर सकती थी. लेकिन, अब तक इस बात को लेकर कोई चर्चा नहीं है. सेवा शर्त लागू नहीं होने के कारण नियोजित शिक्षकों को ना तो ट्रांसफर की फैसिलिटी मिल रही है, ना ही उनका प्रमोशन हो रहा है. ऐसे में वह अन्य तमाम सुविधाएं से भी वंचित होते जा रहे हैं.

PATNA
नेता

क्या कहते हैं नेता?
बता दें कि इस बारे में सदन में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं. सदन में सवाल उठाने वाले बीजेपी के विधान पार्षद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने कहा कि यह बहुत पुराना मामला है. वर्ष 2015 में बिहार सरकार ने 3 सदस्यों की कमेटी बनाई थी, जिसे सेवा शर्त लागू करना था. लेकिन 4 साल के बाद भी सरकार अब तक इसे लेकर स्पष्ट उत्तर नहीं दे रही है.

बीजेपी नेता ने कहा कि अगर शिक्षा मंत्री अपने बूते यह काम नहीं करा सकते तो मुख्यमंत्री को खुद इस मामले को देखना चाहिए. इधर शिक्षा मंत्री का हर बार की तरह फिर वही रटा-रटाया जवाब दे रहें हैं. उनका कहना है कि बहुत जल्द इस पर काम पूरा होगा और इसे लागू कर दिया जाएगा.

Intro:बिहार में वर्ष 2006 से ही नियोजित शिक्षकों का नियोजन हो रहा है। लाखों की संख्या में नियोजित शिक्षक बिहार में काम कर रहे हैं। लेकिन अब तक नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली नहीं बन पाई है। इसे लेकर कई बार शिक्षकों ने मामला उठाया विपक्ष के सदस्यों ने भी उठाया और अब तो सरकार यानी बीजेपी और जदयू से जुड़े नेता ही इस मामले को प्रमुखता से उठा रहे हैं। लेकिन अब भी सरकार इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रही है। आखिर क्यों सेवा शर्त मामले पर कुंडली मारकर बैठी है सरकार। पेश है खास रिपोर्ट

बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों


Body:सरकार आखिर क्या चाहती है सुप्रीम कोर्ट का समान काम समान वेतन पर निर्णय आए 2 महीने हो चुके हैं 10 मई को सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के खिलाफ फैसला दिया था। इसके बाद सरकार चाहती तो नियोजित शिक्षकों का सेवा शर्त लागू कर सकती थी लेकिन अब भी इस बात को लेकर कोई चर्चा नहीं है। सेवा शर्त लागू नहीं होने के कारण नियोजित शिक्षकों को ना तो ट्रांसफर की फैसिलिटी मिल रही है ना तो उनके प्रमोशन का मामला शुरू हो रहा है और अन्य तमाम सुविधाएं जो शिक्षकों को मिलनी चाहिए थी वह भी उन्हें नहीं मिल पा रही हैं।
लेकिन सरकार इन सारी बातों से बिल्कुल जैसे निश्चिंत बैठी है। इस बारे में सदन में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। सदन में सवाल उठाने वाले बीजेपी के विधान पार्षद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने कहा कि यह बहुत पुराना मामला है। वर्ष 2015 में बिहार सरकार ने 3 सदस्यों की कमेटी बनाई थी जिसे सेवा शर्त लागू करना था। लेकिन 4 साल के बाद भी सरकार अब तक इसे लेकर स्पष्ट उत्तर नहीं दे रही है। बीजेपी नेता ने कहा कि अगर शिक्षा मंत्री अपने बूते यह काम नहीं करा सकते तो मुख्यमंत्री को खुद इस मामले को देखना चाहिए। इधर शिक्षा मंत्री फिर वही रटा रटाया जवाब दे रहे हैं। उनका कहना है कि बहुत जल्द इस पर काम पूरा होगा और इसे लागू कर दिया जाएगा। लेकिन उनकी बातों से साफ है कि शिक्षक जब बिहार सरकार से समान काम समान वेतन मामले को लेकर लड़ाई लड़ने सुप्रीम कोर्ट चले गए, यह सरकार को अच्छा नहीं लगा और इसी का खामियाजा नियोजित शिक्षक आज तक भुगत रहे हैं।


Conclusion:सुबोध कुमार राजद नेता
संजय पासवान बीजेपी नेता
कृष्ण नंदन वर्मा शिक्षा मंत्री बिहार
पीटीसी
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