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बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स ने FRDI बिल से बेल-इन प्रावधान को वापस लेने की अपील - पटना

बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पत्र लिखकर बेल- इन प्रावधान को वापस लेने का अनुरोध किया है.

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Published : Oct 16, 2020, 6:41 PM IST

पटना: बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पत्र लिखकर बेल-इन प्रावधान को वापस लेने का अनुरोध किया है. पत्र में कहा गया है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित फाइनेंशियल रेज़्यूलेशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल 2017 से बेल-इन प्रावधान को वापस लिया जाए.

चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने बताया कि वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक वित्तीय समस्याओं से निपटने वाला विधेयक है. इस बिल के संसद से पास होने के बाद एक समिति का गठन किया जाएगा. जिसका नाम रेज्यूलेशन कॉरपोरेशन होगा. इसका नियंत्रण देश के सभी बैंक कंपनियों और वित्तीय संस्थानों पर होगा.

इस प्रावधान से जमाकर्ता को होगा भारी आर्थिक नुकसान
बैंकों में पैसा रखने वाले जमा कर्ता की सबसे बड़ी चिंता इस विधेयक के बेल इन प्रावधान से है. इस प्रावधान के अनुसार यदि किसी जमा कर्ता का बैंक में एक करोड़ रुपया है तो उसकी बीमित राशि जो कि वर्तमान में 5 लाख है का भुगतान कर डूबने वाली वित्तीय संस्था छुटकारा पा जाएगा. लेकिन मेहनत मजदूरी करके कमाई करने वाले जमा कर्ता को इससे भारी आर्थिक नुकसान पहुंचेगा. इसलिए हमने सरकार को पत्र लिखकर उनसे मांग की है कि इस प्रावधान को वापस लिया जाए.

पटना: बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पत्र लिखकर बेल-इन प्रावधान को वापस लेने का अनुरोध किया है. पत्र में कहा गया है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित फाइनेंशियल रेज़्यूलेशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल 2017 से बेल-इन प्रावधान को वापस लिया जाए.

चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने बताया कि वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक वित्तीय समस्याओं से निपटने वाला विधेयक है. इस बिल के संसद से पास होने के बाद एक समिति का गठन किया जाएगा. जिसका नाम रेज्यूलेशन कॉरपोरेशन होगा. इसका नियंत्रण देश के सभी बैंक कंपनियों और वित्तीय संस्थानों पर होगा.

इस प्रावधान से जमाकर्ता को होगा भारी आर्थिक नुकसान
बैंकों में पैसा रखने वाले जमा कर्ता की सबसे बड़ी चिंता इस विधेयक के बेल इन प्रावधान से है. इस प्रावधान के अनुसार यदि किसी जमा कर्ता का बैंक में एक करोड़ रुपया है तो उसकी बीमित राशि जो कि वर्तमान में 5 लाख है का भुगतान कर डूबने वाली वित्तीय संस्था छुटकारा पा जाएगा. लेकिन मेहनत मजदूरी करके कमाई करने वाले जमा कर्ता को इससे भारी आर्थिक नुकसान पहुंचेगा. इसलिए हमने सरकार को पत्र लिखकर उनसे मांग की है कि इस प्रावधान को वापस लिया जाए.

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