पटना: जाति आधारित गणना रोकने के हाईकोर्ट के फैसले से नीतीश कुमार की सरकार को बड़ा झटका लगा है. बिहार में जातीय गणना नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले साल ही शुरू कराने का फैसला लिया था. 9 जून 2022 को बिहार सरकार की ओर से बिहार में जाति आधारित गणना कराने की अधिसूचना जारी की गई थी. सरकार की ओर से कैबिनेट में 500 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी. 7 जनवरी 2023 से जाति आधारित गणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी.
इसे भी पढ़ेंः Bihar Cast Census: बिहार में जातीय गणना पर रोक, हाईकोर्ट ने डाटा संरक्षित रखने को कहा
कोर्ट के फैसले पर नजरः पहले चरण में मकानों की गणना की गई और यूनिक नंबर दिया गया. दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ. 15 मई तक पूरा कर लेना था. दूसरे चरण की शुरुआत मुख्यमंत्री ने खुद अपनी पूरी जानकारी बख्तियारपुर में परिवार के साथ देकर की थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने फिलहाल गणना कार्य पर रोक लगा दी है. पटना हाईकोर्ट के फैसले से बिहार सरकार और नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है. अगली सुनवाई 3 जुलाई को होने वाली है. कोर्ट क्या फैसला लेती है, सरकार की तरफ से क्या कुछ कदम उठाया जाता है उस पर सब की नजर रहेगी.
हो रही सियासत: जातीय गणना को लेकर शुरू से सियासत होती रही है. पिछले 2 सालों से जाति आधारित गणना को लेकर चर्चा होती रही है. बिहार विधान मंडल में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराया गया था. सर्वदलीय शिष्टमंडल नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी. उस समय बिहार में एनडीए की सरकार थी. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जातीय गणना कराने से मना करने के बाद बिहार सरकार ने जातीय गणना करने का फैसला लिया था.
कोर्ट पहुंचा मामलाः जातीय गणना रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला ले जाया गया था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से 20 जनवरी 2023 को याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया गया. हाल में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पटना हाई कोर्ट को सुनवाई कर दो दिनों में फैसला देने का निर्देश दिया था. पटना हाईकोर्ट ने 2 दिनों में सुनवाई पूरी की और आज गुरुवार को फैसला दिया है. लेकिन इस बीच जातीय गणना का दूसरे चरण का लगभग आधा कार्य हो चुका है. 215 जातियों को कोड देकर गिनती की जा रही है. जातीय गणना को लेकर कई जाति वर्ग की ओर से विरोध भी जताया जाता रहा है. अलग से कोड की मांग की जाती रही है.