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Mangal Pandey : बार-बार चुनाव आचार संहिता विकास में बाधक, वन नेशन वन इलेक्शन देश के लिए जरूरी - Bengal BJP In Charge Mangal Pandey

बीजेपी के बंगाल प्रभारी मंगल पांडेय से ईटीवी भारत के संवाददाता ने देश के तमाम चुनावी मुद्दों पर बात की. अभी हाल को दो मुद्दे जिसमें महिला आरक्षण और वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर भी उन्होंने अपने बेबाक अंदाज में तर्क दिये और कांग्रेस और लेफ्ट विंग को घेरा.

पूर्व मंत्री मंगल पांडेय से खास बातचीत
पूर्व मंत्री मंगल पांडेय से खास बातचीत
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 26, 2023, 3:46 PM IST

Updated : Sep 26, 2023, 3:57 PM IST

पूर्व मंत्री मंगल पांडेय से खास बातचीत

पटना : देश चुनावी मोड में है और राजनीति मुद्दों के इर्द गिर्द घूमने लगी है. बंगाल प्रभारी मंगल पांडेय का मानना है कि महिला आरक्षण बिल लाकर भाजपा ने एक लकीर खींच दी है. वहीं, 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर भी बहस छिड़ी हुई है. वन नेशन वन इलेक्शन को भी मंगल पांडेय देश की जरूरत बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Nalanda News: पूर्व स्वास्थ मंत्री मंगल पांडे ने कहा, अपराधियों के आगे कमजोर हो गए हैं नीतीश कुमार

बीजेपी बंगाल प्रभारी मंगल पांडे से ईटीवी भारत संवाददाता ने इन्हीं मुद्दों पर खास बातचीत की. विपक्ष महिला आरक्षण बिल का इस रूप में विरोध कर रहा है कि पिछड़ी जाति से आने वाली महिलाओं को जगह मिले. इस मांग को किस तरीके से देख रहे हैं. तो मंगल पांडेय ने कहा कि देश की आधी आबादी प्रधानमंत्री जी को हृदय से आभार व्यक्त कर रही है. आजादी के 76 साल के बाद जो अधिकार उनको मिलना चाहिए था वह अधिकार और सम्मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उनको दिया.

''जब कांग्रेस पार्टी देश के अंदर शासन और सत्ता में थी तो वह ऐसी बातें महिला आरक्षण की बात जरूर करती थी, लेकिन उन लोगों ने महिला आरक्षण लागू करने का ईमानदार प्रयास नहीं किया. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लागू किया है तो उनके पेट में दर्द हो रहा है.''- मंगल पांडेय, बंगाल बीजेपी प्रभारी

नरेंद्र मोदी ने आधी आबादी को सम्मान दिलाया : आज पीएम नरेंद्र मोदी जी ने देश की महिलाओं को मान सम्मान प्रतिष्ठा और राजनीतिक महत्व दिलाया है. राजनीतिक कर्म से उनके पेट में दर्द हो रहा है. राजनीतिक कारणों से इनको दिक्कतें हो रहीं हैं, जबकि समाज के सभी वर्ग के लोग, सभी वर्ग की महिलाएं इस कानून के लागू हो जाने से खुश हैं. लोकसभा के अंदर सदन के अंदर विभिन्न विधानसभाओं के अंदर उन्हें भागीदारी मिलेगी. विकास की नीतियां भी बनेंगी. उन नीतियों में भी जो हमारी आधी आबादी है. उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी होगी.


कांग्रेस और लेफ्ट विंग ने अपना बिल पास क्यों नहीं कराया? : सुभाषिनी अली ने कहा है कि सरकार की मनसा आरक्षण देने की नहीं है केंद्र की सरकार वोट बैंक की राजनीति करती है कोई समय सीमा तय नहीं किया गया है. एक समय ऐसा था जब मनमोहन सिंह जी की सरकार में एक कम्युनिस्ट पार्टियों सहयोगी दल के रूप में थी, तो उसे वक्त कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों को तो यह याद भी नहीं आया कि सदन के अंदर इस प्रकार का बिल लाया जाए? आज उन्हें पेट में दर्द हो रहा है. दर्द इसी बात का है कि वह सरकार में रहते नहीं कर पाए और नरेंद्र मोदी जी ने कर दिया.


वन नेशन वन इलेक्शन पर मंगल पांडेय : वर्तमान परिस्थितियों में वन नेशन वन इलेक्शन कितना प्रासंगिक है? इस सवाल के जवाब में मंगल पांडेय ने कहा कि ''वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. आज हम देखते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों में पूरे 5 साल तक चुनाव चलता रहता है. लोकसभा के चुनाव होते हैं, राज्यों के चुनाव होते रहते हैं. उसके कारण उन राज्यों में चुनाव आचार संहिता लगती है. इस कारण विकास की योजनाएं रुक जाती हैं.''

'आचार संहिता से रुक जाता है विकास' : हर राज्य के अंदर जब लोकसभा का चुनाव होता है तो आचार संहिता, विधानसभा का चुनाव होता है तो अचार संहिता, जिला परिषद और स्थानीय निकाय का चुनाव होगा तो आचार संहिता लग जाती है. राज्यों में विधान परिषद जो स्थानीय निकाय से निर्वाचित होकर आते हैं उनका चुनाव होता है तो राज्यों में 12 से 15 महीने तक चुनाव आचार संहिता लगी रहती है. विकास का कार्य बाधित होता है. विकास की गति रुक जाती है.


देश के विकास कार्यों में खर्च होगी राशि : कुल मिलाकर जो राशि खर्च होती है वह अतिरिक्त बोझ की तरह है. राशि अगर बचेगी तो देश के विकास में काम आएगी. साथ ही साथ राज्यों के अंदर जो विकास की राशि खर्च नहीं हो पाती है, वह विकास कार्यों में लगेगी.

पूर्व मंत्री मंगल पांडेय से खास बातचीत

पटना : देश चुनावी मोड में है और राजनीति मुद्दों के इर्द गिर्द घूमने लगी है. बंगाल प्रभारी मंगल पांडेय का मानना है कि महिला आरक्षण बिल लाकर भाजपा ने एक लकीर खींच दी है. वहीं, 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर भी बहस छिड़ी हुई है. वन नेशन वन इलेक्शन को भी मंगल पांडेय देश की जरूरत बता रहे हैं.

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बीजेपी बंगाल प्रभारी मंगल पांडे से ईटीवी भारत संवाददाता ने इन्हीं मुद्दों पर खास बातचीत की. विपक्ष महिला आरक्षण बिल का इस रूप में विरोध कर रहा है कि पिछड़ी जाति से आने वाली महिलाओं को जगह मिले. इस मांग को किस तरीके से देख रहे हैं. तो मंगल पांडेय ने कहा कि देश की आधी आबादी प्रधानमंत्री जी को हृदय से आभार व्यक्त कर रही है. आजादी के 76 साल के बाद जो अधिकार उनको मिलना चाहिए था वह अधिकार और सम्मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उनको दिया.

''जब कांग्रेस पार्टी देश के अंदर शासन और सत्ता में थी तो वह ऐसी बातें महिला आरक्षण की बात जरूर करती थी, लेकिन उन लोगों ने महिला आरक्षण लागू करने का ईमानदार प्रयास नहीं किया. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लागू किया है तो उनके पेट में दर्द हो रहा है.''- मंगल पांडेय, बंगाल बीजेपी प्रभारी

नरेंद्र मोदी ने आधी आबादी को सम्मान दिलाया : आज पीएम नरेंद्र मोदी जी ने देश की महिलाओं को मान सम्मान प्रतिष्ठा और राजनीतिक महत्व दिलाया है. राजनीतिक कर्म से उनके पेट में दर्द हो रहा है. राजनीतिक कारणों से इनको दिक्कतें हो रहीं हैं, जबकि समाज के सभी वर्ग के लोग, सभी वर्ग की महिलाएं इस कानून के लागू हो जाने से खुश हैं. लोकसभा के अंदर सदन के अंदर विभिन्न विधानसभाओं के अंदर उन्हें भागीदारी मिलेगी. विकास की नीतियां भी बनेंगी. उन नीतियों में भी जो हमारी आधी आबादी है. उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी होगी.


कांग्रेस और लेफ्ट विंग ने अपना बिल पास क्यों नहीं कराया? : सुभाषिनी अली ने कहा है कि सरकार की मनसा आरक्षण देने की नहीं है केंद्र की सरकार वोट बैंक की राजनीति करती है कोई समय सीमा तय नहीं किया गया है. एक समय ऐसा था जब मनमोहन सिंह जी की सरकार में एक कम्युनिस्ट पार्टियों सहयोगी दल के रूप में थी, तो उसे वक्त कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों को तो यह याद भी नहीं आया कि सदन के अंदर इस प्रकार का बिल लाया जाए? आज उन्हें पेट में दर्द हो रहा है. दर्द इसी बात का है कि वह सरकार में रहते नहीं कर पाए और नरेंद्र मोदी जी ने कर दिया.


वन नेशन वन इलेक्शन पर मंगल पांडेय : वर्तमान परिस्थितियों में वन नेशन वन इलेक्शन कितना प्रासंगिक है? इस सवाल के जवाब में मंगल पांडेय ने कहा कि ''वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. आज हम देखते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों में पूरे 5 साल तक चुनाव चलता रहता है. लोकसभा के चुनाव होते हैं, राज्यों के चुनाव होते रहते हैं. उसके कारण उन राज्यों में चुनाव आचार संहिता लगती है. इस कारण विकास की योजनाएं रुक जाती हैं.''

'आचार संहिता से रुक जाता है विकास' : हर राज्य के अंदर जब लोकसभा का चुनाव होता है तो आचार संहिता, विधानसभा का चुनाव होता है तो अचार संहिता, जिला परिषद और स्थानीय निकाय का चुनाव होगा तो आचार संहिता लग जाती है. राज्यों में विधान परिषद जो स्थानीय निकाय से निर्वाचित होकर आते हैं उनका चुनाव होता है तो राज्यों में 12 से 15 महीने तक चुनाव आचार संहिता लगी रहती है. विकास का कार्य बाधित होता है. विकास की गति रुक जाती है.


देश के विकास कार्यों में खर्च होगी राशि : कुल मिलाकर जो राशि खर्च होती है वह अतिरिक्त बोझ की तरह है. राशि अगर बचेगी तो देश के विकास में काम आएगी. साथ ही साथ राज्यों के अंदर जो विकास की राशि खर्च नहीं हो पाती है, वह विकास कार्यों में लगेगी.

Last Updated : Sep 26, 2023, 3:57 PM IST
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