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Bageshwar Baba: जहां बागेश्वर बाबा सुनाएंगे हनुमत कथा, जानिए उस स्थान की खासियत

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Published : May 6, 2023, 8:22 PM IST

बागेश्वर बाबा के कार्यक्रम को लेकर नौबतपुर तरेत पाली मठ इन दिनों चर्चा में है. बाबा के आगमन को लेकर खूब सियासी बयानबाजी हो रही है. लेकिन, यहां हम आपको कोई सियासी कहानी नहीं बताएंगे. हम आपको बताने जा रहे हैं कि तरेत पाली मठ का इतिहास क्या है. क्यों, बाबा के कार्यक्रम के लिए इस जगह को चुना गया और इसकी खासियत क्या है. पढ़ें, विस्तार.

Bageshwar Baba
Bageshwar Baba
तरेत पाली मठ में बागेश्वर बाबा का होगा कार्यक्रम.

पटना: बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 12 मई को पटना पहुंच रहे हैं. 13 मई से नौबतपुर तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम के बाबा का कथावाचन होगा. बिहार बागेश्वर फाउंडेशन के पदाधिकारियों की मानें तो तरेत पाली स्थान के पास लगभग 3 लाख वर्ग फीट में कार्यक्रम के लिए पंडाल तैयार कराया जा रहा है. तरेत पाली मठ का इतिहास 400 साल पुराना है. इस मठ के पास 600 एकड़ जमीन है. राजधानी पटना से 27 किलोमीटर दूरी पर तरेत पाली मठ है. मठ के गुरुकुल में बच्चों को निशुल्क कर्मकांड और वेद का पाठ पढ़ाया जाता है.

इसे भी पढ़ेंः Bageshwar Baba: बागेश्वर बाबा के कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर, सिटी एसपी ने लिया जायजा

सनातन धर्म का प्रचार प्रसार उद्देश्यः ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान तरेत मठ के मठाधीश स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि आज भी यहां पर बच्चे निशुल्क संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करते हैं, जहां बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का आगमन हो रहा है. महंत ने साफ तौर पर कहा कि इस मठ की सोच है कि 'दान दिए सोच से मानवीय सोच में मानव को लाया जाए' जो भी भागवत गीता का पाठ कराया जाता है लोगों को यही संदेश दिया जाता है. इसका मूल मकसद सनातन धर्म का पूरे देश में प्रचार प्रसार करना है.

तरेत पाली मठ
तरेत पाली मठ

मठ की गरिमा बढ़ा रहे हैंः स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि इस मठ के साथ-साथ पूरे देश में 100 मठ हैं, जहां पर बच्चों को निःशुल्क संस्कृत का पाठ पढ़ाया जाता है. छात्रों को रहना खाना-पीना तमाम व्यवस्थाएं मठ की तरफ से की जाती है. उन्होंने कहा कि मठ में फिलहाल 60 बच्चे कर्मकांड, ज्योतिष, संस्कृत व्याकरण की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. ये बच्चे आचार्य बनेंगे. कई लोग संस्कृत से ही कर्मकांड करा कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उन्होंने कहा कि इस गुरुकुल के 6 से 7 छात्र वर्तमान में कुलपति बने हुए हैं. पूर्व में कई छात्र ज्योतिष, कर्मकांड, वेद पुराण के विशेषज्ञ हैं. साथ ही साथ कई लोग शिक्षक बनकर इस मठ की गरिमा बढ़ा रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः Bageshwar Baba : 'जेल में होने चाहिए बागेश्वर बाबा जैसे संत'.. जगदानंद सिंह

रिजल्ट में देरी पर जताई चिंताः स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा कि यहां पर अभी 60 बच्चे वेद पुराण का पाठ पढ़ रहे हैं. कई सालों से परीक्षा होती है रिजल्ट समय पर नहीं आता है. जिस कारण से परेशानी होती है. स्वामी ने बताया कि मठ में किसी जाति धर्म के लोग जो अपने बच्चों को मध्यमा से शास्त्रीय का पढ़ाई कराना चाहते हैं वह यहां पर लाते हैं. 4 साल से लेकर 25 वर्ष तक बच्चों की शिक्षा दीक्षा, रहने खाने की व्यवस्था की जाती है. मठ की देख रेख में जनरल डिग्री महाविद्यालय चिरौरा में खुला है. वर्तमान में अस्पताल खोलने की तैयारी है. 100 बेड का अस्पताल खोला जाएगा, जिसमें गरीब से लेकर अमीर तक का इलाज होगा. जो गरीब होंगे उनको मठ की तरफ से सहयोग किया जाएगा.

कोई शुल्क नहीं देना होताः मठ में संस्कृत कर्मकांड का शिक्षा ग्रहण कर रहे गौरव कुमार ने कहा कि यहां सुबह में भगवान की प्रार्थना से कक्षा शुरू होती है. 6:00 से लेकर 11:30 तक संस्कृत की पढ़ाई होती है. सुबह-शाम मठ में भगवान की पूजा अर्चना की जाती है. मठ की तरफ से राघवेंद्र संस्कृत महाविद्यालय में 60 छात्र मध्यमा उप शास्त्रीय और आचार्य की डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं. यहां पर कोई शुल्क नहीं लगता है. गया के रहने वाले दीपक कुमार ने बताया कि दरभंगा यूनिवर्सिटी से मठ को जोड़ा गया है. जो छात्र यहां पढ़ते हैं उनको तमाम सुविधाएं दी जाती हैं.

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तेरत पाली मठ को क्यों चुना गयाः बागेश्वर बाबा का कार्यक्रम पहले गांधी मैदान में होना था. लेकिन, प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी. प्रशासन की ओर से बताया गया कि 10 मई से गांधी मैदान में डिज्नीलैंड मेला का आयोजन होना है. यह कार्यक्रम पहले से तय था. डिज्नीलैंड में भी लोगों की भीड़ जुटेगी और धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में भी बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे. ऐसे में दो-दो कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती. जिसके बाद नौबतपुर के तेरत पाली मठ को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए चुना गया.

तरेत पाली मठ में बागेश्वर बाबा का होगा कार्यक्रम.

पटना: बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 12 मई को पटना पहुंच रहे हैं. 13 मई से नौबतपुर तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम के बाबा का कथावाचन होगा. बिहार बागेश्वर फाउंडेशन के पदाधिकारियों की मानें तो तरेत पाली स्थान के पास लगभग 3 लाख वर्ग फीट में कार्यक्रम के लिए पंडाल तैयार कराया जा रहा है. तरेत पाली मठ का इतिहास 400 साल पुराना है. इस मठ के पास 600 एकड़ जमीन है. राजधानी पटना से 27 किलोमीटर दूरी पर तरेत पाली मठ है. मठ के गुरुकुल में बच्चों को निशुल्क कर्मकांड और वेद का पाठ पढ़ाया जाता है.

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सनातन धर्म का प्रचार प्रसार उद्देश्यः ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान तरेत मठ के मठाधीश स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि आज भी यहां पर बच्चे निशुल्क संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करते हैं, जहां बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का आगमन हो रहा है. महंत ने साफ तौर पर कहा कि इस मठ की सोच है कि 'दान दिए सोच से मानवीय सोच में मानव को लाया जाए' जो भी भागवत गीता का पाठ कराया जाता है लोगों को यही संदेश दिया जाता है. इसका मूल मकसद सनातन धर्म का पूरे देश में प्रचार प्रसार करना है.

तरेत पाली मठ
तरेत पाली मठ

मठ की गरिमा बढ़ा रहे हैंः स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने बताया कि इस मठ के साथ-साथ पूरे देश में 100 मठ हैं, जहां पर बच्चों को निःशुल्क संस्कृत का पाठ पढ़ाया जाता है. छात्रों को रहना खाना-पीना तमाम व्यवस्थाएं मठ की तरफ से की जाती है. उन्होंने कहा कि मठ में फिलहाल 60 बच्चे कर्मकांड, ज्योतिष, संस्कृत व्याकरण की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. ये बच्चे आचार्य बनेंगे. कई लोग संस्कृत से ही कर्मकांड करा कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उन्होंने कहा कि इस गुरुकुल के 6 से 7 छात्र वर्तमान में कुलपति बने हुए हैं. पूर्व में कई छात्र ज्योतिष, कर्मकांड, वेद पुराण के विशेषज्ञ हैं. साथ ही साथ कई लोग शिक्षक बनकर इस मठ की गरिमा बढ़ा रहे हैं.

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रिजल्ट में देरी पर जताई चिंताः स्वामी सुदर्शनाचार्य ने कहा कि यहां पर अभी 60 बच्चे वेद पुराण का पाठ पढ़ रहे हैं. कई सालों से परीक्षा होती है रिजल्ट समय पर नहीं आता है. जिस कारण से परेशानी होती है. स्वामी ने बताया कि मठ में किसी जाति धर्म के लोग जो अपने बच्चों को मध्यमा से शास्त्रीय का पढ़ाई कराना चाहते हैं वह यहां पर लाते हैं. 4 साल से लेकर 25 वर्ष तक बच्चों की शिक्षा दीक्षा, रहने खाने की व्यवस्था की जाती है. मठ की देख रेख में जनरल डिग्री महाविद्यालय चिरौरा में खुला है. वर्तमान में अस्पताल खोलने की तैयारी है. 100 बेड का अस्पताल खोला जाएगा, जिसमें गरीब से लेकर अमीर तक का इलाज होगा. जो गरीब होंगे उनको मठ की तरफ से सहयोग किया जाएगा.

कोई शुल्क नहीं देना होताः मठ में संस्कृत कर्मकांड का शिक्षा ग्रहण कर रहे गौरव कुमार ने कहा कि यहां सुबह में भगवान की प्रार्थना से कक्षा शुरू होती है. 6:00 से लेकर 11:30 तक संस्कृत की पढ़ाई होती है. सुबह-शाम मठ में भगवान की पूजा अर्चना की जाती है. मठ की तरफ से राघवेंद्र संस्कृत महाविद्यालय में 60 छात्र मध्यमा उप शास्त्रीय और आचार्य की डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं. यहां पर कोई शुल्क नहीं लगता है. गया के रहने वाले दीपक कुमार ने बताया कि दरभंगा यूनिवर्सिटी से मठ को जोड़ा गया है. जो छात्र यहां पढ़ते हैं उनको तमाम सुविधाएं दी जाती हैं.

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तेरत पाली मठ को क्यों चुना गयाः बागेश्वर बाबा का कार्यक्रम पहले गांधी मैदान में होना था. लेकिन, प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी. प्रशासन की ओर से बताया गया कि 10 मई से गांधी मैदान में डिज्नीलैंड मेला का आयोजन होना है. यह कार्यक्रम पहले से तय था. डिज्नीलैंड में भी लोगों की भीड़ जुटेगी और धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में भी बड़ी संख्या में लोग जुटेंगे. ऐसे में दो-दो कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती. जिसके बाद नौबतपुर के तेरत पाली मठ को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए चुना गया.

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