पटना: बिहार में 30 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा की 2 सीटों पर उपचुनाव (By Election) को लेकर खासी सरगर्मी है, लेकिन उपचुनाव से ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) में दोनों भाइयों के बीच छिड़ा विवाद क्या लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) के पटना वापसी से खत्म हो पाएगा. 20 अक्टूबर को लालू पटना आने वाले हैं और चुनाव प्रचार भी करेंगे लेकिन उसके पहले तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने जिस तरह सबको चैलेंज किया है, उसके बाद राजद (RJD) नेताओं के भी सुर तेज प्रताप को लेकर बदल गए हैं.
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तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के बीच छिड़ा विवाद क्या समाप्त होने की कगार पर है. राबड़ी देवी से मुलाकात के बाद तेज प्रताप यादव तो चुपचाप निकल गए, लेकिन उसके पहले उन्होंने कुछ ऐसी बातें कही हैं, जिसके बाद राजद नेताओं के सुर तेज प्रताप को लेकर बदल गए हैं.
जेपी जयंती के मौके पर पैदल मार्च कर खुद को साबित करने की कोशिश में लगे तेज प्रताप यादव ने मीडिया के सामने यह कह दिया कि पार्टी से उन्हें निकालने की हिम्मत किसी में नहीं है. उन्होंने विरोधियों को ये कहकर चेताया कि उन्हें राजद से कोई बाहर नहीं कर सकता है. वो तो यहां तक कह गए कि उनका अपने भाई से कोई विवाद भी नहीं है.
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लेकिन, दोनों भाइयों के विवाद को लेकर बिहार की सियासत में जितनी सरगर्मी है, उतनी चर्चा तो 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भी नहीं है. दरअसल, दोनों भाइयों के बीच का विवाद तब चरम पर पहुंच गया, जब शिवानंद तिवारी ने यह कह दिया कि तेजप्रताप जी पार्टी में कहां हैं? पार्टी से अलग उन्होंने एक नया संगठन बनाया है. पार्टी में नहीं हैं वो अब. निष्कासित करने की क्या जरूरत है, वो खुद ही निष्कासित हो चुके हैं. उन्होंने जो संगठन बनाया है, उसमें उन्होंने लालटेन का सिम्बल लगाया था, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें मना कर दिया था.
इसके बाद राबड़ी देवी जब पटना पहुंचीं, तो पहले तेज प्रताप और राबड़ी की मुलाकात नहीं हो पाई. लेकिन, एक दिन बाद तेज प्रताप पदयात्रा के बाद उनसे मिलने पहुंच गए.
अब 20 अक्टूबर को लालू यादव पटना आने वाले हैं और वो 25 से 27 अक्टूबर तक तारापुर और कुशेश्वरस्थान में उपचुनाव के लिए प्रचार भी कर सकते हैं. लालू के आने से पहले क्या तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच का विवाद सुलझ गया.
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''अगर कोई नेता किसी कार्यक्रम को मूर्त रूप देता है तो ये स्वागत योग्य कदम है. जेपी जयंती पर तेज प्रताप का स्वायत्त संगठन का कार्यक्रम था. पार्टी में परेशानी पहले भी नहीं थी और अब भी नहीं है. तेज प्रताप यादव हमारे नेता हैं और कहीं कोई विवाद नहीं है''- शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
''तेज प्रताप की अब और कोई दुर्गति होना बाकी है क्या. अब उनके लिए पार्टी में बचा ही क्या है.पार्टी ने तो आपको आईना दिखाने का काम किया है, अब आप उसे समझ नहीं पा रहे हैं तो उसमें आपकी परिपक्वता की कमी है. बीजेपी के पास इतना समय नहीं है कि तेजप्रताप के लिए अपना समय बर्बाद करें. लालू तो पहले भी थे उनके रहने से क्या फर्क पड़ता है.''- नितिन नवीन, मंत्री, बिहार सरकार
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''बतौर माता पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी कभी नहीं चाहेंगे कि दोनों के बीच विवाद हो. हालांकि, इसमें कहीं कोई शक नहीं कि दोनों भाइयों के बीच का विवाद चरम पर है. अगर दोनों के बीच का विवाद सुलझ जाएगा तो पार्टी के लिए अच्छा होगा और लालू और राबड़ी भी यही चाहते हैं. लेकिन, तेज प्रताप यादव की नाराजगी को देखते हुए विवाद सुलझना इतना आसान भी नहीं है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
बता दें कि तेजस्वी के साथ अघोषित तौर पर तेजप्रताप का मतभेद लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि दोनों में से कोई भी खुलकर एक-दूसरे की मुखालफत नहीं करते हैं, लेकिन बयान और फैसले बताते हैं कि किस कदर दोनों भाइयों के बीच विवाद गहराता जा रहा है. पिछले दिनों तो तेजप्रताप ने बिना नाम लिए यहां तक आरोप लगा दिया था कि कुछ लोग आरजेडी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहते हैं. इसलिए उनके पिता लालू यादव को दिल्ली में बंधक बनाकर रखा गया है. वहीं, आरजेडी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी तेज प्रताप यादव का नाम शामिल नहीं है.