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आम बजट से बिहार को बड़ी उम्मीद, क्या इस बार भी केंद्र सरकार खोलेगी खजाना? - UNION BUDGET 2025

मोदी सरकार उन राज्यों के लिए खजाना खोल सकती है, जहां 2025 में चुनाव होने हैं. ऐसे में बिहार की उम्मीदें काफी बढ़ गईं हैं.

UNION BUDGET 2025
आम बजट से बिहार को बड़ी उम्मीद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 22, 2025, 8:00 PM IST

पटना: केंद्र की सरकार आम बजट पेश करने जा रही है. बिहार में डबल इंजन की सरकार को केंद्रीय बजट से काफी उम्मीदें हैं. पिछले साल के बजट में बिहार को केंद्र की ओर से अतिरिक्त सहायता मिला था. इस बार के बजट से भी बिहार उम्मीद लगाए बैठा है. खास तौर पर बाढ़ से निपटने के लिए सरकार अतिरिक्त मदद की आस में है.

पिछले बजट में बिहार को मिली थी अतिरिक्त सहायता: बिहार के आधे जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, तो आधे जिले सूखे के प्रभाव में है. बाढ़ और सूखे के चलते बिहार को और किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हर साल होता है. बिहार में डबल इंजन की सरकार है और नीतीश कुमार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार से काफी उम्मीदें हैं. पिछले बजट में केंद्र की सरकार ने बिहार को लगभग 63000 करोड़ का अतिरिक्त सहायता दिया था.

आम बजट से बिहार को बड़ी उम्मीदें (ETV Bharat)

चौथे स्थान पर है बिहार: बिहार विकासशील राज्य है और राज्य का विकास दर प्रतिवर्ष डबल डिजिट में आता है. लैंडलॉक्ड होने के चलते बिहार के विकास के लिए बहुत संभावनाएं नहीं है, लेकिन सीमित संसाधन में बिहार विकास कर रहा है. साल 2023- 24 में बिहार का विकास दर 14.47% है. विकास दर के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार चौथे स्थान पर है.

जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से बिहार ऊपर: प्रति व्यक्ति आय की अगर बात करें तो 2023-24 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 66828 रुपए रही है. जनसंख्या वृद्धि दर भी बिहार के लिए चुनौती है. 2021 से लेकर 2025 तक बिहार के अनुमानित जनसंख्या वृद्धि दर 14.4% है.

Union Budget 2025
बजट से बिहार की उम्मीद बढ़ी (FILE PHOTO)

जनसंख्या घनत्व 11106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी: जनसंख्या घनत्व के लिहाज से भी बिहार टॉप है. राज्य का जनसंख्या घनत्व 11106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. यह भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में एक है.

केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों की बढ़ रही हिस्सेदारी: केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को 40 से 50% तक हिस्सेदारी देनी पड़ रही है. कुछ योजनाओं में 25% तक की भी हिस्सेदारी राज्यों को देना पड़ता है. अधिकांश योजनाओं में 50% के आसपास पहुंच गया है.

इस कारण अटक जाता है मामला: बिहार जैसे राज्यों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कई बार योजनाएं इसी कारण लटक जाती है कि राज्य अपनी हिस्सेदारी सही समय पर नहीं दे पाता है. एक दशक पहले तक केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या 27 के आसपास थी लेकिन अब यह बढ़कर 107 पहुंच गई है. केंद्रीय योजना में बिहार को हर साल 30000 करोड़ से अधिक की राशि देनी पड़ती है.

Union Budget 2025
केंद्र में नीतीश की भूमिका से बढ़ी उम्मीद (FILE PHOTO)

बिहार को है अतिरिक्त सहयोग की उम्मीद: बिहार सरकार का बजट 278000 करोड़ का है. सरकार बजट के आकार को और बढ़ाना चाहती है. इसके लिए केंद्र से अतिरिक्त सहायता की उम्मीद बिहार सरकार को है. गत वर्ष लगभग 63000 करोड़ का सहयोग केंद्र की ओर से बिहार को मिला था. इस बार बाढ़ और सूखा के चलते बिहार अतिरिक्त सहयोग की उम्मीद कर रहा है.

अर्थशास्त्री की राय: अर्थशास्त्री डॉक्टर विद्यार्थी विकास का मानना है कि जिस तरीके से आंध्र प्रदेश को प्रधानमंत्री मोदी ने अतिरिक्त सहायता दी है, उसी तरीके से बिहार को भी अतिरिक्त सहायता की दरकार है. पटना यूनिवर्सिटी को जहां केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाना चाहिए .वहीं कृषि, विधि और सोशल साइंस में अतिरिक्त यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत है.

"मेट्रो का विस्तार जहानाबाद तक किया जाना चाहिए ताकि पटना शहर का विस्तार हो सके. इसके अलावा बाढ़ से निपटने के लिए बिहार सरकार को स्पेशल पैकेज देना चाहिए. सूखा से निपटने के लिए बिहार में वन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत है. फिलहाल 6% के आसपास राज्य के अंदर वन क्षेत्र है."- डॉक्टर विद्यार्थी विकास,अर्थशास्त्री

'एक्शन प्लान की जरूरत': विद्यार्थी विकास का मानना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. इसके लिए एपीएमसी एक्ट को लागू किया जाना चाहिए. राज्य के अंदर हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की जरूरत है. गरीबों को पक्का मकान मिले और भूमिहीनों को सरकार को जमीन देना चाहिए. टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए.

UNION BUDGET 2025
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

वरिष्ठ पत्रकार की राय: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि बिहार डेवलपिंग स्टेट है और लैंडलॉक्ड होने के चलते बिहार को अतिरिक्त सहायता की जरूरत है. बिहार को पिछले साल लगभग 63000 करोड़ की सहायता मिली थी ,लेकिन यह सहायता नाकाफी है.

"जिस तरीके से केंद्र की सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य को 2 लाख करोड़ की सौगात दी है. उसी तर्ज पर बिहार को भी सौगात की जरूरत है. बिहार सरकार को भी चाहिए कि अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को दे ताकि केंद्र सरकार बिहार को सहायता दे सके."- अरुण पांडे,वरिष्ठ पत्रकार

केंद्र सरकार ने बिहार के लिए खोल दिया था खजाना: साल 2023-24 के लिए केंद्र सरकार की ओर से बिहार को 63000 करोड़ का पैकेज मिला था. 63000 करोड़ में 13000 करोड़ बाढ़ राहत के लिए दिया गया था तो 26000 करोड़ रोड और एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए स्वीकृत किया गया था. इसके अलावा 8000 करोड़ रुपए की राशि विशेष सहायता के रूप में थी.

बिहार सरकार ने बाढ़ राहत के लिए 13000 करोड़ रुपए खर्च कर दिए. 26000 करोड़ में से ज्यादातर राशि रोड और एक्सप्रेसवे के लिए थी जो की ऑनगोइंग प्रोजेक्ट का हिस्सा है. विशेष सहायता मद में केंद्र की सरकार ने अगस्त महीने में 5 हज़ार 500 करोड़ की राशि को स्वीकृत किया गया था जिसमे कि 3651 करोड़ की राशि को रिलीज कर दिया गया था. अब तक कुल 45000 करोड़ रुपए बिहार सरकार को मिल चुके हैं.

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पटना: केंद्र की सरकार आम बजट पेश करने जा रही है. बिहार में डबल इंजन की सरकार को केंद्रीय बजट से काफी उम्मीदें हैं. पिछले साल के बजट में बिहार को केंद्र की ओर से अतिरिक्त सहायता मिला था. इस बार के बजट से भी बिहार उम्मीद लगाए बैठा है. खास तौर पर बाढ़ से निपटने के लिए सरकार अतिरिक्त मदद की आस में है.

पिछले बजट में बिहार को मिली थी अतिरिक्त सहायता: बिहार के आधे जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, तो आधे जिले सूखे के प्रभाव में है. बाढ़ और सूखे के चलते बिहार को और किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हर साल होता है. बिहार में डबल इंजन की सरकार है और नीतीश कुमार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार से काफी उम्मीदें हैं. पिछले बजट में केंद्र की सरकार ने बिहार को लगभग 63000 करोड़ का अतिरिक्त सहायता दिया था.

आम बजट से बिहार को बड़ी उम्मीदें (ETV Bharat)

चौथे स्थान पर है बिहार: बिहार विकासशील राज्य है और राज्य का विकास दर प्रतिवर्ष डबल डिजिट में आता है. लैंडलॉक्ड होने के चलते बिहार के विकास के लिए बहुत संभावनाएं नहीं है, लेकिन सीमित संसाधन में बिहार विकास कर रहा है. साल 2023- 24 में बिहार का विकास दर 14.47% है. विकास दर के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार चौथे स्थान पर है.

जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से बिहार ऊपर: प्रति व्यक्ति आय की अगर बात करें तो 2023-24 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 66828 रुपए रही है. जनसंख्या वृद्धि दर भी बिहार के लिए चुनौती है. 2021 से लेकर 2025 तक बिहार के अनुमानित जनसंख्या वृद्धि दर 14.4% है.

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बजट से बिहार की उम्मीद बढ़ी (FILE PHOTO)

जनसंख्या घनत्व 11106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी: जनसंख्या घनत्व के लिहाज से भी बिहार टॉप है. राज्य का जनसंख्या घनत्व 11106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. यह भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में एक है.

केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों की बढ़ रही हिस्सेदारी: केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को 40 से 50% तक हिस्सेदारी देनी पड़ रही है. कुछ योजनाओं में 25% तक की भी हिस्सेदारी राज्यों को देना पड़ता है. अधिकांश योजनाओं में 50% के आसपास पहुंच गया है.

इस कारण अटक जाता है मामला: बिहार जैसे राज्यों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि कई बार योजनाएं इसी कारण लटक जाती है कि राज्य अपनी हिस्सेदारी सही समय पर नहीं दे पाता है. एक दशक पहले तक केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या 27 के आसपास थी लेकिन अब यह बढ़कर 107 पहुंच गई है. केंद्रीय योजना में बिहार को हर साल 30000 करोड़ से अधिक की राशि देनी पड़ती है.

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केंद्र में नीतीश की भूमिका से बढ़ी उम्मीद (FILE PHOTO)

बिहार को है अतिरिक्त सहयोग की उम्मीद: बिहार सरकार का बजट 278000 करोड़ का है. सरकार बजट के आकार को और बढ़ाना चाहती है. इसके लिए केंद्र से अतिरिक्त सहायता की उम्मीद बिहार सरकार को है. गत वर्ष लगभग 63000 करोड़ का सहयोग केंद्र की ओर से बिहार को मिला था. इस बार बाढ़ और सूखा के चलते बिहार अतिरिक्त सहयोग की उम्मीद कर रहा है.

अर्थशास्त्री की राय: अर्थशास्त्री डॉक्टर विद्यार्थी विकास का मानना है कि जिस तरीके से आंध्र प्रदेश को प्रधानमंत्री मोदी ने अतिरिक्त सहायता दी है, उसी तरीके से बिहार को भी अतिरिक्त सहायता की दरकार है. पटना यूनिवर्सिटी को जहां केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाना चाहिए .वहीं कृषि, विधि और सोशल साइंस में अतिरिक्त यूनिवर्सिटी बनाने की जरूरत है.

"मेट्रो का विस्तार जहानाबाद तक किया जाना चाहिए ताकि पटना शहर का विस्तार हो सके. इसके अलावा बाढ़ से निपटने के लिए बिहार सरकार को स्पेशल पैकेज देना चाहिए. सूखा से निपटने के लिए बिहार में वन क्षेत्र बढ़ाने की जरूरत है. फिलहाल 6% के आसपास राज्य के अंदर वन क्षेत्र है."- डॉक्टर विद्यार्थी विकास,अर्थशास्त्री

'एक्शन प्लान की जरूरत': विद्यार्थी विकास का मानना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. इसके लिए एपीएमसी एक्ट को लागू किया जाना चाहिए. राज्य के अंदर हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की जरूरत है. गरीबों को पक्का मकान मिले और भूमिहीनों को सरकार को जमीन देना चाहिए. टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक्शन प्लान तैयार करना चाहिए.

UNION BUDGET 2025
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

वरिष्ठ पत्रकार की राय: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का मानना है कि बिहार डेवलपिंग स्टेट है और लैंडलॉक्ड होने के चलते बिहार को अतिरिक्त सहायता की जरूरत है. बिहार को पिछले साल लगभग 63000 करोड़ की सहायता मिली थी ,लेकिन यह सहायता नाकाफी है.

"जिस तरीके से केंद्र की सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य को 2 लाख करोड़ की सौगात दी है. उसी तर्ज पर बिहार को भी सौगात की जरूरत है. बिहार सरकार को भी चाहिए कि अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को दे ताकि केंद्र सरकार बिहार को सहायता दे सके."- अरुण पांडे,वरिष्ठ पत्रकार

केंद्र सरकार ने बिहार के लिए खोल दिया था खजाना: साल 2023-24 के लिए केंद्र सरकार की ओर से बिहार को 63000 करोड़ का पैकेज मिला था. 63000 करोड़ में 13000 करोड़ बाढ़ राहत के लिए दिया गया था तो 26000 करोड़ रोड और एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए स्वीकृत किया गया था. इसके अलावा 8000 करोड़ रुपए की राशि विशेष सहायता के रूप में थी.

बिहार सरकार ने बाढ़ राहत के लिए 13000 करोड़ रुपए खर्च कर दिए. 26000 करोड़ में से ज्यादातर राशि रोड और एक्सप्रेसवे के लिए थी जो की ऑनगोइंग प्रोजेक्ट का हिस्सा है. विशेष सहायता मद में केंद्र की सरकार ने अगस्त महीने में 5 हज़ार 500 करोड़ की राशि को स्वीकृत किया गया था जिसमे कि 3651 करोड़ की राशि को रिलीज कर दिया गया था. अब तक कुल 45000 करोड़ रुपए बिहार सरकार को मिल चुके हैं.

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