पटनाः बख्तियारपुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को (CM attacked in Bakhtiyarpur) एक सिरफिरे युवक द्वारा मुक्का चलाने की घटना चर्चा में है. सभी दलों के नेता इस घटना की निंदा कर रहे हैं. सीएम की सुरक्षा में चूक और लापरवाही की ये घटना कोई पहली बार नहीं हुई है. नीतीश कुमार पर पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं. कभी चप्पल से तो कभी पत्थर से हमले की कोशिश की गयी है. हमेशा की तरह इस बार भी सीएम ने अधिकारियों को बख्तियारपुर के इस सिरफिरे युवक पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है. आईये अपको बताते हैं सीएम पर इससे पहले कब-कब हमले हुए हैं.
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2012 में सेवा यात्रा के दौरान बक्सर में हमलाः सबसे पहले मई 2012 में सीएम पर हमले की घटना हुई थी. जब वे अपनी सेवा यात्रा के दौरान जिले के चौसा स्थित ऐतिहासिक स्थल का निरीक्षण कर लौट रहे थे. विकास कार्यक्रमों का जायजा लेने पहुंचे सीएम पर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर चौसा के समीप बिजली-पानी की समस्या को लेकर आक्रोशित लोगों ने हंगामा करते हुए काफिले में शामिल गाड़ियों पर हमला कर दिया था. इस घटना में हालांकि मुख्यमंत्री की गाड़ी को कोई नुकसान नहीं हुआ और वो बाल-बाल बच गए.
2016 में जनता दरबार में हुआ था हमलाः बात 2016 की है, जब जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान भी एक युवक ने मुख्यमंत्री पर चप्पल चला दिया था. मुख्यमंत्री को चप्पल लगी भी थी. युवक मुख्यमंत्री के उस फैसले से नाराज था जिसमें दिन में धार्मिक कार्यों के लिए हवन पर सरकार ने रोक लगाया था. असल में अगलगी की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया था और इसी फैसले से युवक नाराज था. मुख्यमंत्री ने युवक पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश उस समय भी दिया था.
2018 में आरक्षण के विरोध में CM पर हुआ हमला: 2018 में पटना के बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एक युवक ने सीएम को चप्पल फेंक कर मारने की कोशिश की थी. इसके बाद उसने आरक्षण के विरोध में नारेबाजी भी की थी. हालांकि सीएम को चप्पल नहीं लगी थी, लेकिन घटना से नाराज जोडीयू नेताओं ने युवक की जमकर पिटाई कर दी थी. उसके बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया था.
2018 में बक्सर में पत्थर से हमला: घटना 2018 की ही है, जब सीएम बक्सर जिले के नंदर इलाके में विकास यात्रा पर थे. इसी दौरान कुछ लोगों ने सीएम के काफिले पर पत्थर फेंके थे. हमले में नीतीश कुमार को तो बचा लिया गया था, लेकिन उनके कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे. इस हमले में सीएम के काफिले में शामिल कारों के शीशे तोड़ दिए गए थे.
2020 में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान हमलाः ये घटना 2020 में हुई, जब बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान CM नीतीश कुमार मधुबनी के हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित कर रहे थे. तभी कुछ लोगों ने उनपर प्याज और कंकड़-पत्थर से हमला किया. तब सिक्योरिटी गार्ड ने रोकने की कोशिश की लेकिन नीतीश कुमार ने कहा कि फेंकने दो, जितना फेंकना है फेंकने दो. युवक शराबबंदी के बाद हो रही तस्करी का विरोध कर रहा था.
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इसके अलावा कई जगह मुख्यमंत्री को काला कपड़ा दिखाने की घटना भी हो चुकी है. इसको रोकने के लिए पुलिस की तरफ से हर बार बड़े पैमाने पर सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है. कई तरह की कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह नगर बख्तियारपुर में जिस प्रकार से घटना हुई है कहीं ना कहीं सुरक्षा में चूक साफ दिख रही है.
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मुख्यमंत्री जन संपर्क यात्रा के दौरान अपने पुराने संसदीय क्षेत्र बाढ़ के कई इलाकों में लगातार भ्रमण कर रहे हैं. वे जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं, उनकी शिकायतें सुन रहे हैं. बख्तियारपुर में भी मुख्यमंत्री ने जनसंपर्क अभियान चलाया है. यहां जिस युवक शंकर प्रसाद वर्मा ने मुख्यमंत्री पर हमले की कोशिश की, उसे विक्षिप्त बताया जा रहा है. पहले डीजे में काम करता था. लेकिन बाद में आभूषण की दुकान में काम करने की बात भी सामने आ रही है.
परिवार वाले का कहना है कि घर में इसे बंद कर रखा जाता था लेकिन घटना के दिन कैसे निकल गया, पता नहीं. उसके परिवारिक कलह की भी खबर आ रही है. लेकिन युवक जिस प्रकार से सुरक्षाकर्मियों को चीरते हुए मुख्यमंत्री के पास पहुंच गया और मुक्का चला दिया, सुरक्षा में भी यह बड़ी चूक है. यह तो गनीमत है कि उस युवक के पास कोई हथियार नहीं था, अन्यथा कोई बड़ी घटना हो सकती थी. मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मियों ने उसे तुरंत हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ भी की.
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