पटना: 2024 लोकसभा का चुनाव बिहार के लिए एक नया उपलब्धि लेकर आया. 2024 लोकसभा चुनाव में सबसे कम उम्र का सांसद बिहार ने जिताकर भेजने का काम किया. वहीं सबसे उम्रदराज सांसदों में भी दूसरे नंबर के सांसद को बिहार की जनता ने सदन में भेजने का काम किया.
सबसे कम उम्र की महिला सांसद शांभवी : सबसे कम उम्र 25 वर्ष की सांसद बनने का सौभाग्य बिहार की समस्तीपुर (सु) लोकसभा क्षेत्र से शांभवी चौधरी को हासिल हुआ. वहीं 79 वर्ष में गया (सु) क्षेत्र से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जीत दर्ज की.
शांभवी का राजनीतिक परिवार: समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वो बिहार सरकार के मंत्री और जेडीयू नेता अशोक चौधरी की बेटी हैं. उनके दादाजी महावीर चौधरी भी सूबे के कद्दावर नेता रहे हैं. कांग्रेस की सरकार में उनके दादाजी कई बार मंत्री रह चुके थे. शांभवी की शादी पूर्व आईपीएस और पटना स्थित महावीर मंदिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल के बेटे सायण कुणाल से हुई है.
समस्तीपुर लोकसभा सीट से जीत: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर समस्तीपुर सुरक्षित सीट से चुनाव जीतने वाली शांभवी चौधरी देश की सबसे कम उम्र की महिला सांसद बन गईं. 25 साल 11 महीने और 20 दिन की उम्र में उनको सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. 2024 लोकसभा चुनाव में शांभवी सबसे युवा सांसद भी बन गईं.
प्रधानमंत्री ने की थी अपील: लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के लिए दरभंगा आए हुए थे. दरभंगा के राज मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा की सभा से समस्तीपुर से चुनाव लड़ रही देश की सबसे कम उम्र की बिटिया को जिताकर भेजने की अपील की थी. प्रधानमंत्री ने कहा था कि 'पूरे हिन्दुस्तान में सबसे छोटी उम्र की बेटी चुनाव लड़ रही है. आप आशीर्वाद दीजिए, हमारी बेटी तो जीतनी ही चाहिए.'
कांग्रेस प्रत्याशी को दी मात: बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपना उम्मीदवार बनाया. इंडिया गठबंधन के तरफ से भी कांग्रेस ने बिहार सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सनी हजारी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके बाद इलाके में चर्चा होने लगी कि बिहार सरकार के दो मंत्रियों के बेटे और बेटी की लड़ाई है. लेकिन चुनाव में शांभवी चौधरी ने कांग्रेस कैंडिडेट सन्नी हजारी को एक लाख 87 हजार 537 वोट से शिकस्त दी.
यूपी के पुष्पेंद्र सरोज सबसे कम उम्र के सांसद: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चंद्राणी मुर्मू देश की सबसे युवा सांसद बनी थीं. वहीं 2024 में पुष्पेंद्र सरोज सबसे कम उम्र के सांसद बने हैं. कौशाम्बी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की है.
बिहार के सबसे उम्रदराज सांसद: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी गया(सु) से चुनाव में जीत दर्ज की. वह पहली बार लोकसभा चुनाव जीते. 79 साल की उम्र में उन्होंने यह जीत दर्ज की. 24 में लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा उम्र के सांसदों में उनका नंबर दूसरा है. सबसे ज्यादा उम्र में तमिलनाडु के श्रीपेरंपुदुर निर्वाचन क्षेत्र से डीएमके उम्मीदवार टीआर बालू ने 82 साल की उम्र में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की.
राजद प्रत्याशी की दी मात: जीतन राम मांझी ने गया(सु) लोकसभा सीट से राजद के प्रत्याशी और पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत पर 1 लाख 1 हजार और 812 वोटों से जीत हासिल की है. जीतन राम मांझी को कुल 4 लाख 94 हजार 960 वोट मिला. वहीं इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और आरजेडी नेता कुमार सर्वजीत को 3 लाख 93 हजार 148 वोट मिला.
2 चुनावों में मिली थी हार: जीतनराम मांझी पिछले तीन लोकसभा चुनाव से गया(सु) से चुनाव लड़ रहे थे. वह 2014 में जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते हुए तीसरे स्थान पर रहे थे, जबकि 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी हम (एस) से चुनाव लड़ा, लेकिन इन दोनों चुनाव में उनकी हार हुई थी. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत उन्होंने चुनाव लड़ा और पहली बार सांसद का चुनाव जीता.
जीतन राम मांझी का राजनीतिक जीवन: जीतन राम मांझी राजनीति में 45 वर्षों से ज्यादे से सक्रिय हैं. वह पहली बार साल 1980 में कांग्रेस के टिकट पर गया के फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर विधायक बने थे. वो पहली बार चंद्रशेखर सिंह के नेतृत्व वाली बिहार सरकार में मंत्री भी बन गए थे. अपने राजनीतिक जीवन में जीतन राम मांझी ने कई दलों के साथ राजनीति की वो जनता दल के साथ - 1990 -1996 तक राष्ट्रीय जनता दल- 1996 - 2005 तक और जेडीयू में 2005 - 2015 तक रहे हैं. साल 2015 में जेडीयू से अलग होकर उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा का गठन किया.
बिहार के CM भी रहे: 2014 में जीतन राम मांझी राष्ट्रीय स्तर पर अचानक सुर्खियों में आए थे. 2014 में बिहार में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया लेकिन इस चुनाव में जदयू की करारी हार हुई. 2014 में नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी जगह जीतन राम मांझी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बना दिया.
10 महीने बाद ही देना पड़ा इस्तीफा: नीतीश कुमार के करीबी और भरोसेमंद रहे जीतन राम मांझी को 10 महीने बाद ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन पर प्रशासनिक कौशल न होने का आरोप लगा. सीएम पद को लेकर नीतीश कुमार से उनके रिश्ते में भी तल्खी आ गई थी. इसके बाद मांझी ने जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी का गठन किया.
राजनीति उपलब्धि पर जानकार की राय: 2024 लोकसभा चुनाव में देश के सबसे कम उम्र की सांसद और बिहार के सबसे उम्रदराज सांसद की जीत पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का मानना है कि राजनीति में कम उम्र और अधिक उम्र के लोगों को राजनीतिक दल जगह देती है. देश में बुजुर्गों की राजनीति में अहमियत नहीं देने का प्रयोग राहुल गांधी ने किया, जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा.
"वह (राहुल गांधी) चाह रहे थे कि युवाओं को राजनीति में आगे लाएं. राजनीति में नई पीढ़ी को जगह मिलनी चाहिए,लेकिन राजनीति में अनुभवी लोगों की भी जरूरत होती है. जैसे किसी बाराती में नवयुवक भी जाते हैं तो कुछ बुजुर्गों को भी ले जाया जाता है."-अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
'नए चेहरे और अनुभवी चेहरे दोनों पसंद': बिहार की बात करते हुए अरुण पांडेय ने बताया कि समस्तीपुर से शांभवी चौधरी कम उम्र की महिला सांसद और सबसे अधिक उम्र के गया के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी हैं. 2024 लोकसभा चुनाव का परिणाम यह दर्शाता है कि बिहार की जनता को दोनों पसंद हैं.
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह रहे हैं कि पूरे देश में 1 लाख नौजवानों को राजनीति में लाया जाएगा, जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है. राजनीति में युवाओं एवं बुजुर्गों का समिश्रण होना चाहिए."- अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
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