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पटना: आर्ट कॉलेज में टोनी मॉरीसन पर व्याख्यान का आयोजन, नस्लभेद के खिलाफ की थी आवाज बुलंद

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Published : Sep 22, 2019, 10:28 AM IST

Updated : Sep 22, 2019, 10:45 AM IST

पटना के कला और शिल्प महाविद्यालय में नोबेल लॉरेट टोनी मॉरिसन की याद में प्रोग्राम का आयोजन किया गया.कार्यक्रम में टोनी मॉरीसन के साहित्य में योगदान और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी किताबों के बारे में चर्चा की गई.

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पटना: राजधानी के विद्यापति मार्ग स्थित कला और शिल्प महाविद्यालय में नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन की याद में व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग और कला शिल्प महाविद्यालय की ओर से किया गया था. इस मौके पर प्रेम कुमार मणि, डॉक्टर श्रेया भट्टाचार्य और 'टीआइएसएस' से पुष्पेंद्र मौजूद थे.

ईटीवी से बात करते कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य अजय पांडे
अजय पांडे, प्रिंसिपल, कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना

टोनी मॉरीसन ने समाज में हो रहे नस्लभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. कार्यक्रम में मॉरीसन के साहित्य में योगदान और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी किताबों के बारे में चर्चा की गई. महान साहित्यकार ने समाज में मौजूद नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और पूरे विश्व में इसके खिलाफ अपने लेखों के जरिए लोगों को जागरूक करने में अपना अहम योगदान दिया.

बेहतरीन साहित्यकार थी टोनी मॉरीसन ​​​​​​
कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य अजय पांडे ने कहा कि 5 अगस्त को नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन का निधन हो गया था. उनकी याद में यह इस सभा का आयोजन किया गया है. उन्होंने कहा कि मॉरीसन की साहित्य रचनाएं अपने आप में एक तस्वीर बनाती है. साहित्य के जरिए जो चित्र उभरते हैं वह कला के छात्रों लिए मददगार है. आर्ट मुकम्मल तभी होता है जब सभी विधाएं जोड़कर एक साथ संदेश देती है.

टोनी मॉरीसन की याद में सभा का आयोजन

साहित्य की दुनिया का बड़ा नाम 'टोनी मॉरीसन'
बता दें कि टोनी मॉरीसन नोबेल पुरस्कार पाने वाली दुनिया की पहली अश्वेत महिला थीं. उन्हें 1993 में साहित्य का नोबेल मिला था. इसके पहले उनके उपन्यास 'बीलव्ड' के लिए उन्हें 1988 में 'पुलित्जर पुरस्कार' भी मिला था. इस उपन्यास में एक मां की कहानी थी, जो जिस्मफरोशी के धंधे से बचाने के लिए अपनी बेटी का कत्ल कर देती है. ओहियो के लॉरियान कस्बे में 1931 में पैदा मॉरीसन के परिवार को भारी नस्लभेद का सामना करना पड़ा था. उनके परिवार के सामने कई लोगों की लिंचिंग तक कर दी गई थी. इन घटनाओं का मॉरीसन के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा. जिसके बाद उन्होंने नस्लभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.

पटना: राजधानी के विद्यापति मार्ग स्थित कला और शिल्प महाविद्यालय में नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन की याद में व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग और कला शिल्प महाविद्यालय की ओर से किया गया था. इस मौके पर प्रेम कुमार मणि, डॉक्टर श्रेया भट्टाचार्य और 'टीआइएसएस' से पुष्पेंद्र मौजूद थे.

ईटीवी से बात करते कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य अजय पांडे
अजय पांडे, प्रिंसिपल, कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना

टोनी मॉरीसन ने समाज में हो रहे नस्लभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. कार्यक्रम में मॉरीसन के साहित्य में योगदान और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी किताबों के बारे में चर्चा की गई. महान साहित्यकार ने समाज में मौजूद नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और पूरे विश्व में इसके खिलाफ अपने लेखों के जरिए लोगों को जागरूक करने में अपना अहम योगदान दिया.

बेहतरीन साहित्यकार थी टोनी मॉरीसन ​​​​​​
कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य अजय पांडे ने कहा कि 5 अगस्त को नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन का निधन हो गया था. उनकी याद में यह इस सभा का आयोजन किया गया है. उन्होंने कहा कि मॉरीसन की साहित्य रचनाएं अपने आप में एक तस्वीर बनाती है. साहित्य के जरिए जो चित्र उभरते हैं वह कला के छात्रों लिए मददगार है. आर्ट मुकम्मल तभी होता है जब सभी विधाएं जोड़कर एक साथ संदेश देती है.

टोनी मॉरीसन की याद में सभा का आयोजन

साहित्य की दुनिया का बड़ा नाम 'टोनी मॉरीसन'
बता दें कि टोनी मॉरीसन नोबेल पुरस्कार पाने वाली दुनिया की पहली अश्वेत महिला थीं. उन्हें 1993 में साहित्य का नोबेल मिला था. इसके पहले उनके उपन्यास 'बीलव्ड' के लिए उन्हें 1988 में 'पुलित्जर पुरस्कार' भी मिला था. इस उपन्यास में एक मां की कहानी थी, जो जिस्मफरोशी के धंधे से बचाने के लिए अपनी बेटी का कत्ल कर देती है. ओहियो के लॉरियान कस्बे में 1931 में पैदा मॉरीसन के परिवार को भारी नस्लभेद का सामना करना पड़ा था. उनके परिवार के सामने कई लोगों की लिंचिंग तक कर दी गई थी. इन घटनाओं का मॉरीसन के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा. जिसके बाद उन्होंने नस्लभेद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.

Intro:राजधानी पटना के विद्यापति मार्ग स्थित कला एवं शिल्प महाविद्यालय में नोबेल लॉरेट टोनी मेरिसन के ऊपर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस और पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग और कला शिल्प महाविद्यालय की ओर से यह व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. टोनी मॉरीसन पर बोलने के लिए प्रेम कुमार मणि, डॉक्टर श्रेया भट्टाचार्य और टीस से पुष्पेंद्र वक्ता के तौर पर मौजूद रहे.


Body:कार्यक्रम में टोनी मॉरीसन के साहित्य में योगदान और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी किताबों के बारे में चर्चा की गई. किस तरह उन्होंने असमानता के खिलाफ लड़ा और पूरे विश्व में असमानता के खिलाफ लिखा और काम किया.


Conclusion:कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य अजय पांडे ने कहा कि 5 सितंबर को नोबेल लॉरेट टोनी मॉरीसन का निधन हो गया जिसके बाद आज उनकी याद में उनके साहित्य में योगदान के बारे में चर्चा की जा रही है. टोनी मॉरीसन के जो साहित्य होते है वह अपने आप में एक चित्र बनाती हैं. साहित्य के जरिए जो चित्र उभरता है कला के छात्रों लिए मददगार है. उन्होंने कहा कि आर्ट मुकम्मल तभी होता है जब सभी विधाएं जोड़कर एक साथ एक संदेश देती है. टोनी मॉरीसन ने जो साहित्य लिखे हैं वह समाज के चित्र को दर्शाता है.
Last Updated : Sep 22, 2019, 10:45 AM IST
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