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बिहार में पहली बार इस तकनीक से बड़े पशु की हुई सर्जरी, डॉक्टरों ने गर्भवती गाय का किया सफल ऑपरेशन

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Published : Mar 19, 2022, 6:11 PM IST

किसी बड़े जानवर में बिहार में इस प्रकार की अब तक की यह पहली सर्जरी है. सर्जरी में डेढ़ घंटे से 2 घंटे का समय लगता है. लेकिन बिहार में इस तकनीक की फैसिलिटी नहीं है, इसलिए तमाम चीजों को अरेंज करने में 5 घंटे से अधिक का समय ऑपरेशन में लग गया. आगे पढ़ें पूरी खबर..

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पटनाः प्रदेश में पहली बार बिहार वेटनरी कॉलेज (Bihar Veterinary College) में बड़े पशु की आधुनिक तकनीक से सर्जरी (Animal Surgery With Circular External Fixator Machine In Patna) की गई. जिन मामलों में पहले पशुओं की जान बचाने के लिए उनके पैर काटने पड़ते थे, आज उसी केस में तीन डॉक्टरों ने मिलकर एक पशु को उसके पैर पर खड़ा कर दिया. दरअसल आरा जिले के एक पशुपालक की गाय का बिहार वेटरनरी कॉलेज में तीन चिकित्सकों की टीम ने सफल ऑपरेशन कर गाय के टूटे हुए पैर को ठीक कर दिया. सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन से ये सर्जरी बिहार में पहली बार की गई.

यह भी पढ़ें - VIDEO: पहले कभी नहीं देखा होगा सांप का ऐसा ऑपरेशन, बिहार में बचाई गई जान

इस सर्जरी में गाय के पैर में एक्सटर्नल फिक्सेटर इक्विपमेंट लगाकर चिकित्सकों ने गाय को खड़ा कर दिया और इस पूरी सर्जरी प्रक्रिया के दौरान लगभग 5 घंटे का समय लगा. चिकित्सकों की टीम में डॉ राजेश कुमार, डॉक्टर जी डी सिंह और डॉक्टर रमेश तिवारी मौजूद रहे. सर्जरी की टीम में वेटरनरी कॉलेज के 3 जूनियर डॉक्टर डॉ पल्लवी, डॉ निशा और डॉ आदित्य ने भी सपोर्ट किया. ऑपरेशन के बाद ईटीवी से बातचीत में डॉक्टर राजेश कुमार ने बताया कि आरा जिले की एक पशुपालक की गाय के आगे के दाहिने पैर की हड्डी टूट गई थी. यह कंपाउंड फ्रैक्चर था. लेकिन पशु शांत नहीं बैठते हैं और उठकर अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करते हैं. इसी प्रयास में गाय के पैर का टूटा हुआ हड्डी चमड़े के बाहर निकल गया था और जख्म काफी बढ़ गए थे.

ये भी पढ़ेंः बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय में भेड़ बकरी प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन

'इन मामलों में गाय की जान बचाने के लिए पहले गाय के पैर काटने पड़ जाते थे. लेकिन हाल ही में मैनें इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट से सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन का प्रयोग सीखा था और एक इक्विपमेंट लेकर पटना वेटनरी कॉलेज में आए हुए थे. ऐसे में उन्होंने इस तकनीक का प्रयोग कर जानवर को बचाना उचित समझा और इसके लिए पशुपालक को कहा कि अपनी गाय को किसी प्रकार लेकर के पटना स्थित बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय पहुंचे. जिसके बाद पशु यहां आ गया. इस प्रकार के कंडीशन में फ्रैक्चर के ऊपर जॉइंट और लोअर जॉइंट दोनों को इमोबिलाइज करना पड़ता है. इस सर्जरी में सबसे पहले बोन को रिड्यूज करके उसके शेप में लाया जाता है, जहां उसको होना चाहिए. उसके बाद एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन लगाया जाता है'- डॉ राजेश कुमार, वेटरनरी डॉक्टर

डॉ राजेश कुमार (Dr Rajesh Kumar) ने बताया कि इस टनल फिक्सेटेड मशीन में 8 पीन होते हैं. जिसमें 4 पीन अपर जॉइंट में और 4 पीन लोअर जॉइंट में बोन से अटैच कर लगाए जाते हैं. ताकि यह बोन के फ्रैक्चर को हिलने डुलने ना दे. इस तकनीक का फायदा यह है कि पशु जिस गांव का है, वहां पर आसानी से ड्रेसिंग किया जा सकता है. क्योंकि एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन बाहर से लगाया जाता है. इस कंडीशन में गाय जल्दी स्वस्थ होगी क्योंकि ड्रेसिंग के माध्यम से इंफेक्शन फैलने से रोका जा सकता है. किसी बड़े जानवर में बिहार में इस प्रकार की अब तक की यह पहली सर्जरी है. सर्जरी में डेढ़ घंटे से 2 घंटे का समय लगता है. लेकिन बिहार में ये तकनीक नहीं है और पहली बार सर्जरी थी. इसलिए तमाम चिजों को अरेंज करने में ज्यादा समय लग गया. लगभग 5 घंटे से अधिक ऑपरेशन चला. अगर यह इक्विपमेंट यहां आसानी से उपलब्ध होता तो इस प्रकार की सर्जरी बहुत आसान हो जाएगी और प्रदेश के पशुपालकों को बहुत फायदा होगा.

टीम के सदस्य और वेटरनरी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर जी डी सिंह ने कहा कि यह सर्जरी अपने आप में अनोखी है, क्योंकि गाय गर्भवती थी. ऐसे में सर्जरी के लिए गाय को जनरल एनएसथीसिया नहीं दिया जा सकता था क्योंकि इससे फीटस की जान को खतरा था. ऐसे में पशु के रेडियल नर्व को ब्लॉक किया गया और इसके बाद इंट्रावेनस रीजनल एनसथीसिया दिया गया जो प्रेगनेंसी के स्थिति में पशु के लिए सेफ है. इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया शुरू की गई. क्योंकि फ्रैक्चर हुए बहुत दिन हो गया था, ऐसे में हड्डी ओवरराइड कर गया था और इस स्थिति में हड्डी को शेप में लाने के लिए थोड़ा कट करना पड़ा. जब सर्जरी पूरी हुई और गाय को टेबल पर से उतारा गया तो देखा गया कि गाय अपने पैरों पर आसानी से खड़ी हो गई.

डॉक्टर जी डी सिंह ने कहा कि सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन लगाने का फायदा ये है कि जब पशु खड़ा होगा तो फैक्चर की जगह पर उसके शरीर का वेट नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि हड्डी बाहर निकल जाने की वजह से जो जख्म है, वह लगभग 15 दिनों में ठीक हो जाएगा और फ्रैक्चर का पॉइंट 45 दिनों में पूरी तरह जुड़ जाएगा. जिसके बाद सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन को आसानी से निकाल दिया जाएगा. गाय अभी आराम से खड़ी हो रही है. इस तकनीक को और अधिक यहां विकसित किया गया तो प्रदेश में पशुपालकों को इसका काफी लाभ होगा.

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पटनाः प्रदेश में पहली बार बिहार वेटनरी कॉलेज (Bihar Veterinary College) में बड़े पशु की आधुनिक तकनीक से सर्जरी (Animal Surgery With Circular External Fixator Machine In Patna) की गई. जिन मामलों में पहले पशुओं की जान बचाने के लिए उनके पैर काटने पड़ते थे, आज उसी केस में तीन डॉक्टरों ने मिलकर एक पशु को उसके पैर पर खड़ा कर दिया. दरअसल आरा जिले के एक पशुपालक की गाय का बिहार वेटरनरी कॉलेज में तीन चिकित्सकों की टीम ने सफल ऑपरेशन कर गाय के टूटे हुए पैर को ठीक कर दिया. सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन से ये सर्जरी बिहार में पहली बार की गई.

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इस सर्जरी में गाय के पैर में एक्सटर्नल फिक्सेटर इक्विपमेंट लगाकर चिकित्सकों ने गाय को खड़ा कर दिया और इस पूरी सर्जरी प्रक्रिया के दौरान लगभग 5 घंटे का समय लगा. चिकित्सकों की टीम में डॉ राजेश कुमार, डॉक्टर जी डी सिंह और डॉक्टर रमेश तिवारी मौजूद रहे. सर्जरी की टीम में वेटरनरी कॉलेज के 3 जूनियर डॉक्टर डॉ पल्लवी, डॉ निशा और डॉ आदित्य ने भी सपोर्ट किया. ऑपरेशन के बाद ईटीवी से बातचीत में डॉक्टर राजेश कुमार ने बताया कि आरा जिले की एक पशुपालक की गाय के आगे के दाहिने पैर की हड्डी टूट गई थी. यह कंपाउंड फ्रैक्चर था. लेकिन पशु शांत नहीं बैठते हैं और उठकर अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करते हैं. इसी प्रयास में गाय के पैर का टूटा हुआ हड्डी चमड़े के बाहर निकल गया था और जख्म काफी बढ़ गए थे.

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'इन मामलों में गाय की जान बचाने के लिए पहले गाय के पैर काटने पड़ जाते थे. लेकिन हाल ही में मैनें इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट से सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन का प्रयोग सीखा था और एक इक्विपमेंट लेकर पटना वेटनरी कॉलेज में आए हुए थे. ऐसे में उन्होंने इस तकनीक का प्रयोग कर जानवर को बचाना उचित समझा और इसके लिए पशुपालक को कहा कि अपनी गाय को किसी प्रकार लेकर के पटना स्थित बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय पहुंचे. जिसके बाद पशु यहां आ गया. इस प्रकार के कंडीशन में फ्रैक्चर के ऊपर जॉइंट और लोअर जॉइंट दोनों को इमोबिलाइज करना पड़ता है. इस सर्जरी में सबसे पहले बोन को रिड्यूज करके उसके शेप में लाया जाता है, जहां उसको होना चाहिए. उसके बाद एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन लगाया जाता है'- डॉ राजेश कुमार, वेटरनरी डॉक्टर

डॉ राजेश कुमार (Dr Rajesh Kumar) ने बताया कि इस टनल फिक्सेटेड मशीन में 8 पीन होते हैं. जिसमें 4 पीन अपर जॉइंट में और 4 पीन लोअर जॉइंट में बोन से अटैच कर लगाए जाते हैं. ताकि यह बोन के फ्रैक्चर को हिलने डुलने ना दे. इस तकनीक का फायदा यह है कि पशु जिस गांव का है, वहां पर आसानी से ड्रेसिंग किया जा सकता है. क्योंकि एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन बाहर से लगाया जाता है. इस कंडीशन में गाय जल्दी स्वस्थ होगी क्योंकि ड्रेसिंग के माध्यम से इंफेक्शन फैलने से रोका जा सकता है. किसी बड़े जानवर में बिहार में इस प्रकार की अब तक की यह पहली सर्जरी है. सर्जरी में डेढ़ घंटे से 2 घंटे का समय लगता है. लेकिन बिहार में ये तकनीक नहीं है और पहली बार सर्जरी थी. इसलिए तमाम चिजों को अरेंज करने में ज्यादा समय लग गया. लगभग 5 घंटे से अधिक ऑपरेशन चला. अगर यह इक्विपमेंट यहां आसानी से उपलब्ध होता तो इस प्रकार की सर्जरी बहुत आसान हो जाएगी और प्रदेश के पशुपालकों को बहुत फायदा होगा.

टीम के सदस्य और वेटरनरी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर जी डी सिंह ने कहा कि यह सर्जरी अपने आप में अनोखी है, क्योंकि गाय गर्भवती थी. ऐसे में सर्जरी के लिए गाय को जनरल एनएसथीसिया नहीं दिया जा सकता था क्योंकि इससे फीटस की जान को खतरा था. ऐसे में पशु के रेडियल नर्व को ब्लॉक किया गया और इसके बाद इंट्रावेनस रीजनल एनसथीसिया दिया गया जो प्रेगनेंसी के स्थिति में पशु के लिए सेफ है. इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया शुरू की गई. क्योंकि फ्रैक्चर हुए बहुत दिन हो गया था, ऐसे में हड्डी ओवरराइड कर गया था और इस स्थिति में हड्डी को शेप में लाने के लिए थोड़ा कट करना पड़ा. जब सर्जरी पूरी हुई और गाय को टेबल पर से उतारा गया तो देखा गया कि गाय अपने पैरों पर आसानी से खड़ी हो गई.

डॉक्टर जी डी सिंह ने कहा कि सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन लगाने का फायदा ये है कि जब पशु खड़ा होगा तो फैक्चर की जगह पर उसके शरीर का वेट नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि हड्डी बाहर निकल जाने की वजह से जो जख्म है, वह लगभग 15 दिनों में ठीक हो जाएगा और फ्रैक्चर का पॉइंट 45 दिनों में पूरी तरह जुड़ जाएगा. जिसके बाद सर्कुलर एक्सटर्नल फिक्सेटर मशीन को आसानी से निकाल दिया जाएगा. गाय अभी आराम से खड़ी हो रही है. इस तकनीक को और अधिक यहां विकसित किया गया तो प्रदेश में पशुपालकों को इसका काफी लाभ होगा.

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