पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर 1 अप्रैल 2016 को पूरे बिहार में शराबबंदी लागू की गई थी. इसके बाद शराब दुकानदारों का व्यवसाय अचानक बंद हो गया था. हालांकि सीएम ने शराब का व्यवसाय कर रहे लोगों को नए रोजगार के रूप में दूध का बूथ और अन्य रोजगार के लिए आर्थिक मदद का भरोसा दिया था. लेकिन, 4 साल बीतने के बाद भी सीएम का भरोसा धरातल पर नहीं उतर सका.
'शराबबंदी का मार अब भी झेल रहा'
इसको लेकर पूर्व शराब कारोबारी जितेंद्र गुप्ता बताते हैं कि वे पिछले 35 सालों से शराब के धंधे से जुड़े थे. उनकी दुकान एग्जीबिशन रोड के रामगुलाम चौक पर थी. अचानक मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पूर्ण रूप से शराबबंदी को लागू कर दिया. इसके बाद 6 महीने तक उन्हें जीवन-यापने के लिए कोई अन्य साधन नहीं सूझा. सीएम के आर्थिक मदद की घोषणा के बाद कुछ राहत मिली थी. लेकिन बीतते दिनों के साथ वादें धुंधले होते चले गए.
'सरकार केवल बंदी के बारे में जानती है'
वहीं, राजधानी के कदमकुंआ में दवा की दुकान चला रहे हैं 65 वर्षीय रामजी चौधरी बताते है कि शराब की दुकान बंद होने के बाद इस बुढ़ापे में उन्हें अन्य कोई व्यवसाय नहीं समझ आया. कुछ दिनों बाद उन्होंने जीवन-यापन के लिए दवा दुकान खोल ली. रामजी चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार केवल बंदी के बारे में सोचती है, पिछले 15 साल से शासन चला रहे नीतीश कुमार ने एक भी नए कारखाने नहीं खोले हैं. मुख्यमंत्री के तुगलकी फरमान के बाद लाखों लोगों का रोजगार छिन गया.