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Politics Of Bihar: सत्ता परिवर्तन की आयी नौबत तो AIMIM का मिल सकता है साथ

बिहार के सियासती मैदान में एक अलग ही पिच तैयार किया जा रहा है. लालू के जेल से बाहर आते ही इस पिच का निर्माण होना शुरू हो चुका है. सत्ता को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं. इसी बीच एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष का समर्थन वाला बयान पिच ही नहीं, पूरे मैदान बनाने की तैयारी जैसा प्रतीत हो रहा है.

अख्तरुल इमान
अख्तरुल इमान
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Published : Jun 13, 2021, 8:26 PM IST

Updated : Jun 13, 2021, 8:43 PM IST

पटनाः लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने के बाद से बिहार में जोड़-तोड़ की राजनीति (Manipulation Politics In Bihar) शुरू हो गई है. दावा यह किया जा रहा है कि बिहार में जल्द सत्ता बदलेगी. अगर सत्ता या सरकार बदलती है, तो ऐसी स्थिति में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की भूमिका निर्णायक होगी. पार्टी के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष ने ईटीवी भारत के समक्ष अपने इरादे भी जाहिर कर दिए.

यह भी पढ़ें- दिल्ली में लालू, बिहार में खेला चालू! मांझी-सहनी को साथ लेकर तेजस्वी को 'ताज' पहनाने की तैयारी

समान विचारधारा वाली सरकार को देंगे समर्थन
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और सरकार बिल्कुल बहुमत के करीब है. राजनीतिक संकट की स्थिति में वीआईपी, हम और एआईएमआईएम पार्टी की भूमिका अहम होने वाली है. तीनों छोटे दल सरकार का भविष्य और स्थायित्व भी तय करेंगे. वीआईपी और हम पार्टी के जहां चार-चार विधायक हैं. वहीं एआईएमआईएम के 5 विधायक हैं. एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि बिहार में अगर सरकार बदलने की नौबत आएगी, तो हम वैसी सरकार को समर्थन देंगे जो हमारे एजेंडे के करीब होगी.

यह भी पढ़ें- कैबिनेट बर्थ की चाहत में तेज हुई सियासत, नीतीश की मुखालफत के कारण क्या पूरी होगी चिराग की हसरत?

मौका मिला तो सरकार में शामिल होगी एआईएमआईएम
'बिहार में अगर राजनीतिक संकट होगी और सरकार बदलने की नौबत आएगी, तो वैसी स्थिति में हमारी पार्टी भी सरकार में शामिल हो सकती है. भाजपा और जदयू में सांप-छछुंदर का खेल चल रहा है. सरकार संकटकाल में असफल साबित हुई है. अलग-अलग दलों के नेता अगर एमएलए फंड की मांग कर रहे हैं तो विधायकों के अनुशंसा पर ही पैसे खर्च होने चाहिए. राजनीतिक संकट की स्थिति में हम हालात को देखते हुए निर्णय लेंगे. जो हमारी पार्टी की विचारधारा और एजेंडे के करीब होगा, उसी सरकार को हम समर्थन देंगे और जरूरत पड़ी तो हम सरकार में भी शामिल होंगे.' -अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

बिहार विधानसभाः आंकड़ों पर एक नजर

  • एनडीए
बीजेपी74
जेडीयू45
हम04
वीआईपी04
कुल -127
  • महागठबंधन
आरजेडी75
कांग्रेस19
एमएल12
सीपीआई02
सीपीएम02
कुल -110

यह भी पढ़ें- Dy CM रेणू देवी का दावा, 'विपक्ष भी जानता है, सरकार को कोई नहीं हिला सकता'

242 रह गई हैं सीटों की संख्या
पूर्व शिक्षा मंत्री और जदयू नेता मेवालाल चौधरी के निधन के बाद विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 242 रह गई है. बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत होगी. फिलहाल जदयू के पास कुल 127 विधायकों का समर्थन है. अगर वीआईपी और हम पार्टी के आठ विधायक पाला बदल लेते हैं, तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खेमे में विधायकों की संख्या 119 रह जाएगी. जो बहुमत से तीन कम होगी.

यह भी पढ़ें- अ'विश्वसनीय' नीतीश! RJD का दावा, जनता का विश्वास खो चुके CM पर अब सहयोगियों को भी भरोसा नहीं

ऐसे बदल सकते हैं समीकरण
आठ विधायक अगर महागठबंधन खेमे में आ जाते हैं तो विधायकों की संख्या 118 रह जाएगी और इन्हें अगर ओवैसी की पार्टी के 5 विधायकों का समर्थन मिल जाता है, तो इनकी कुल संख्या 123 हो जाएगी. जो बहुमत से एक ज्यादा है. अगर ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक वोटिंग में सदन से वाकआउट करते हैं, तो वैसे ही स्थिति में सदन के अंदर विधायकों की संख्या सदन में 237 रह जाएगी और बहुमत के लिए 120 विधायकों की जरूरत होगी. इस परिस्थिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला होगा. संभव है कि अध्यक्ष की भूमिका अहम हो जाएगी. ऐसी स्थिति में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन दोनों में कोई भी बाजी मार सकता है.

यह भी पढ़ें- नीतीश के नेतृत्व में 5 साल चलेगी NDA की सरकार, RJD का सपना न होगा पूरा

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समान विचारधारा वाली सरकार को देंगे समर्थन
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और सरकार बिल्कुल बहुमत के करीब है. राजनीतिक संकट की स्थिति में वीआईपी, हम और एआईएमआईएम पार्टी की भूमिका अहम होने वाली है. तीनों छोटे दल सरकार का भविष्य और स्थायित्व भी तय करेंगे. वीआईपी और हम पार्टी के जहां चार-चार विधायक हैं. वहीं एआईएमआईएम के 5 विधायक हैं. एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि बिहार में अगर सरकार बदलने की नौबत आएगी, तो हम वैसी सरकार को समर्थन देंगे जो हमारे एजेंडे के करीब होगी.

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मौका मिला तो सरकार में शामिल होगी एआईएमआईएम
'बिहार में अगर राजनीतिक संकट होगी और सरकार बदलने की नौबत आएगी, तो वैसी स्थिति में हमारी पार्टी भी सरकार में शामिल हो सकती है. भाजपा और जदयू में सांप-छछुंदर का खेल चल रहा है. सरकार संकटकाल में असफल साबित हुई है. अलग-अलग दलों के नेता अगर एमएलए फंड की मांग कर रहे हैं तो विधायकों के अनुशंसा पर ही पैसे खर्च होने चाहिए. राजनीतिक संकट की स्थिति में हम हालात को देखते हुए निर्णय लेंगे. जो हमारी पार्टी की विचारधारा और एजेंडे के करीब होगा, उसी सरकार को हम समर्थन देंगे और जरूरत पड़ी तो हम सरकार में भी शामिल होंगे.' -अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

बिहार विधानसभाः आंकड़ों पर एक नजर

  • एनडीए
बीजेपी74
जेडीयू45
हम04
वीआईपी04
कुल -127
  • महागठबंधन
आरजेडी75
कांग्रेस19
एमएल12
सीपीआई02
सीपीएम02
कुल -110

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242 रह गई हैं सीटों की संख्या
पूर्व शिक्षा मंत्री और जदयू नेता मेवालाल चौधरी के निधन के बाद विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 242 रह गई है. बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत होगी. फिलहाल जदयू के पास कुल 127 विधायकों का समर्थन है. अगर वीआईपी और हम पार्टी के आठ विधायक पाला बदल लेते हैं, तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खेमे में विधायकों की संख्या 119 रह जाएगी. जो बहुमत से तीन कम होगी.

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आठ विधायक अगर महागठबंधन खेमे में आ जाते हैं तो विधायकों की संख्या 118 रह जाएगी और इन्हें अगर ओवैसी की पार्टी के 5 विधायकों का समर्थन मिल जाता है, तो इनकी कुल संख्या 123 हो जाएगी. जो बहुमत से एक ज्यादा है. अगर ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक वोटिंग में सदन से वाकआउट करते हैं, तो वैसे ही स्थिति में सदन के अंदर विधायकों की संख्या सदन में 237 रह जाएगी और बहुमत के लिए 120 विधायकों की जरूरत होगी. इस परिस्थिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला होगा. संभव है कि अध्यक्ष की भूमिका अहम हो जाएगी. ऐसी स्थिति में महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन दोनों में कोई भी बाजी मार सकता है.

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Last Updated : Jun 13, 2021, 8:43 PM IST
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