पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव (Kurhani By Election 2022) को लेकर मैदान सज गए हैं. हालांकि हाल ही में हुए गोपालगंज उपचुनाव के परिणाम से उत्साहित एआईएमआईएम (AIMIM) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रत्याशी निलाभ कुमार के उतार देने से एनडीए और महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई है. कहा जा रहा है कि एआईएमआईएम जहां महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाएगी वहीं वीआईपी (VIP) भूमिहार समाज से आने वाले नीलाभ कुमार को चुनावी मैदान में उतारकर एनडीए और महागठबंधन दोनो के गणित को गड़बड़ा (nitish kumar and tejashwi yadav plan in Kurhani) दिया है.
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कुढ़नी उप चुनाव में ओवैसी की पार्टी पर नजर : कुढ़नी उपचुनाव में अभी 20 दिन का समय है और मतदाता चुप्पी साधे हुए है. बीजेपी ने यहां से केदार प्रसाद गुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि महागठबंधन की ओर से जेडीयू के मनोज कुशवाहा ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है. एआईएमआईएम (AIMIM in Kurhani By Election) ने गुलाम मुर्तजा अंसारी को उम्मीदवार बनाया है, जिससे जेडीयू की बेचैनी बढ़ गई है. हाल ही में गोपालगंज में हुए उप चुनाव में एआईएमआईएम के उम्मीदवार अब्दुल सलाम को 12,214 वोट मिले थे, जिसने महागठबंधन का खेल बिगाड़ दिया था. मैदान में उतरे योद्धाओं को देखने से साफ का है कि कुढ़नी का मुकाबला दिलचस्प होगा.
आरजेडी के कब्जे में थी कुढ़नी सीट : मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी सीट पिछले चुनाव के आधार पर आरजेडी के कब्जे में थी. आरजेडी के अनिल सहनी के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद खाली हुई है. सांसद रहते हुए फर्जी यात्रा भत्ता के मामले में अदालत ने उन्हें दोषी पाया था. इसके बाद उनकी सदस्यता खत्म हो गयी थी. पांच दिसंबर को कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के लिए होने वाले उप चुनाव की वोटिंग होनी है.
कुढ़वी में आरजेडी के वोट बैंक जेडीयू की नजर : बताया जा रहा है कि जेडीयू की नजर जहां आरजेडी के वोट बैंक मुस्लिम, यादव सहित पिछड़ों और वाम कैडरों पर है. वहीं बीजेपी सवर्ण और अति पिछड़ों, वैश्य के जरिए चुनावी वैतरणी पार करने के जुगाड़ में है. इधर, कहा जा रहा है कि सहनी निषादों के आलावा उम्मीदवार के जरिए सवर्ण मतदाताओं को आकर्षित कर सकते हैं.
बीजेपी को लोजपा (रामविलास) का समर्थन : माना जा रहा है कि अगर सहनी अपनी कार्ययोजना में सफल हो जाते हैं तो बीजेपी को नुकसान पहुंच सकता है. वैसे, बीजेपी के लिए राहत की बात है कि लोजपा (रामविलास) का समर्थन मिल गया है. तय माना जा रहा है कि चिराग पासवान के प्रचार में उतरने से पासवान मतदाता भाजपा की ओर जा सकते हैं. इधर, एआईएमआईएम के उम्मीदवार होने से मुस्लिम मतदाताओं का वोट बंटने की संभावना बढ़ी है. दूसरी तरफ, बीजेपी भी कुढ़नी में जीत के प्रति आश्वस्त है.
''असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर गोपालगंज की तरह कुढ़नी में बीजेपी को फायदा पहुंचाने और महागठबंधन को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रत्याशी उतारा है. यह सभी लोग अब जान चुके है. इस कारण अब उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.'' - चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी
''कुढ़नी में बीजेपी की जीत तय है. यहां की जनता बीजेपी के साथ है. सभी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने का अधिकार है. किसी के चुनाव लड़ने से बीजेपी को फर्क नहीं पड़ता. बीजेपी को सर्व समाज के मतदाताओं पर भरोसा है.'' - राजीव रंजन, उपाध्यक्ष, बीजेपी
क्या है जातीय समीकरण: कुढ़नी में कुल 3 लाख 10 हजार 987 मतदाता हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो पिछड़े वर्ग में पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति है. दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनकी संख्या करीब 33 हजार के आसपास है. इसके अलावा 25 हजार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर है. चौथे नम्बर पर करीब 23 हजार मतदाताओं के साथ यादव जाति के लोग हैं.
इसके अलावा कुर्मी जाति के वोटर भी अच्छी खासी संख्या में हैं. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है. इसमें 15,000 से अधिक पासवान जाति के लोग हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 25 हज़ार के आसपास है. इस विधानसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता भी मौजूद है जिसमें 30,000 से अधिक भूमिहार है.
'जनता को फैसला लेना चाहिए कि कौन वोट काटेगा और कौन विनर रहेगा. वीआईपी अलग पार्टी है. गोपालगंज में अल्पसंख्यक वोट जरूर AIMIM को मिला था. लेकिन, जनता को देखना है और बीजेपी के खिलाफ जो लोग हैं उन्हें एकजुट होकर वोट करना होगा.' - उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड