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बिहार में बढ़ रहा है HIV का संक्रमण, समलैंगिकता बन रहा AIDS का बड़ा कारण - बिहार की खबर

बिहार में एड्स को लेकर चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आए हैं. नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि बिहार में ज्यादातर एचआईवी का कारण समलैंगिकता है. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार में एड्स
बिहार में एड्स
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Published : Apr 22, 2022, 8:36 PM IST

पटनाः बिहार में एड्स को लेकर चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आए हैं. नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की जारी हालिया रिपोर्ट की मानें तो बिहार में एचआईवी संक्रमण का कारण अब असुरक्षित यौन संबंध और सेक्स वर्कर्स नहीं, बल्कि समलैंगिकता है. नाकों (National AIDS Control Organization) की रिपोर्ट की मानें तो देश में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद एड्स के सार्वाधिक मामले बिहार में (AIDS Due to Homosexuality in Bihar) हैं. बिहार में कुल संक्रमितों की संख्या 1,34,480 है.

यह भी पढ़ें- विश्‍व एड्स दिवस: जानकारी के अभाव में लगातार बढ़ रही है AIDS के मरीजों की संख्या, ये हैं आंकड़े

बिहार सरकार का दावाः एचआईवी पर स्टडी करने वाली संस्था से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि बिहार से बाहर कमाने के लिए गए युवा अधिकतर समलैंगिकता के शिकार हो जाते हैं. इसके बाद एचआईवी की जड़ बिहार के लिए तैयार हो जाती है. हालांकि 2010 के बाद राज्य में एचआईवी के मामलों में कमी आई है और संक्रमण दर राष्ट्रीय औसत 0.22% से कम है. प्रदेश में संक्रमण दर 0.17% है. बिहार सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि साल 2025 तक एचआईवी को सीमित करने और 2030 तक देश से खात्मा करने के केंद्र सरकार के संकल्प को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

समलैंगिकता बड़ा कारणः पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि बिहार सरकार एचआईवी को लेकर काफी एक्टिव है. जांच भी बिहार में अधिक होती है. ऐसे में संक्रमण के मामले अधिक संख्या में पकड़ में आते हैं. उन्होंने बताया कि समलैंगिकता के कारण पहले भी एड्स के मामले अधिक मिलते रहे हैं. लेकिन पहले और भी कारण थे. अब वह कारण धीरे-धीरे काफी कम होते गए हैं. जैसे, इंजेक्शन का रीयूज, ऑपरेशन में असावधानी, यह सब अब काफी कम हो गए हैं, लेकिन समलैंगिकता अभी भी एचआईवी के प्रसार का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. इसका कारण यह है कि बिहार में बेरोजगारी है. बेरोजगार नौजवान काम के लिए बाहर जाते हैं. सेक्स बॉडी की रिक्वायरमेंट होती है, ऐसे में युवा चाहे अनचाहे समलैंगिकता के शिकार हो जाते हैं.

अप्राकृतिक यौनाचार में ब्लड कॉन्टेक्ट की संभावना ज्यादाः इसके अलावा प्रदेश के जेलों में चाहे अनचाहे में कैदियों के बीच समलैंगिकता का रिश्ता डेवलप हो जाता है. ड्रग यूजर्स के बीच में भी नशे के समय समलैंगिकता के रिलेशन कई स्टडी रिपोर्ट में सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि समलैंगिकता एचआईवी फैलाने में सबसे अधिक खतरनाक इसलिए होता है क्योंकि यह एक अप्राकृतिक यौनाचार है. इसमें ब्लड कॉन्टेक्ट होने के चांसेस सबसे ज्यादा होते हैं. ब्लड कॉन्टेक्ट होने के चांसेस इसलिए ज्यादा होते हैं कि इसमें फ्रिक्शन अधिक होता है और कैपिलरी पतले होते हैं, ऐसे में कैपिलरी के नस टूटने की संभावना अधिक होती है और ऐसे में ब्लड कॉन्टेक्ट हो जाता है.

चलाए जा रहे हैं जागरुकता कार्यक्रमः डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि इसके अलावा जो ट्रक ड्राइवर सोते हैं, वह कई दिनों तक लगातार यात्रा में रहते हैं. बॉडी की डिमांड को पूरा करने के चक्कर में कई बार वह रोड साइड अनसेफ सेक्स कर लेते हैं, जो उन्हें एड्स की चपेट में ला देता है. सरकार की तरफ से कई जागरुकता के कार्यक्रम भी चल रहे हैं. पहले जो सेक्स टैबू का विषय बना हुआ था, उस पर अब खुलकर बातें की जा रही हैं. रोडसाइड कैंप लगाकर ट्रक ड्राइवर्स के बीच कंडोम बांटे जाते हैं.

सेफ्टी बेहद जरूरीः हाल ही में बिहार की एक भोजपुरी गायिका का दो युवकों के साथ सेक्स वीडियो भी वायरल हुआ है. कई स्टडीज बता रहे हैं कि बिहार और देशभर में ग्रुप सेक्स का प्रचलन बढ़ रहा है. डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि इसे विकास का नाम दें या फिर कुछ और, लेकिन इन दिनों ग्रुप सेक्स का प्रचलन बढ़ता हुआ देखने को मिल रहा है. ग्रुप सेक्स हमेशा एचआईवी और अन्य यौन संक्रमण फैलाने का सबसे बड़ा कारण बन जाता है. लोगों की मर्जी है, वह एक पार्टनर के साथ सेक्स करें या मल्टीपल पार्टनर के साथ, इसके लिए जरूरी है कि वह बराबर रूप से सेफ्टी को फॉलो करें.

कई महीनों तक नहीं दिखता है असरः डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि एचआईवी वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड काफी लंबा होता है. अगर कोई व्यक्ति एचआईवी पीड़ित होता है तो उसे 6 से 8 महीने तक पता नहीं चलेगा और वह पूरी तरह स्वस्थ दिखेगा. कई बार ऐसा देखा गया है कि इनक्यूबेशन पीरियड में व्यक्ति ने कई लोगों से संबंध बनाए हैं और बाद में पता चलता है कि जितने लोगों के साथ उसने संबंध बनाए हैं वह सभी संक्रमित हो गए हैं. दूसरे यौन संक्रमण में इलेक्शन बहुत जल्दी नजर आ जाते हैं लेकिन एचआईवी के साथ ऐसा नहीं है. इसलिए अंजान के साथ जब भी सेक्सुअल रिलेशन डेवलप करें तो निरोध का आवश्यक रूप से इस्तेमाल करें.

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पटनाः बिहार में एड्स को लेकर चौंकाने वाले रिपोर्ट सामने आए हैं. नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की जारी हालिया रिपोर्ट की मानें तो बिहार में एचआईवी संक्रमण का कारण अब असुरक्षित यौन संबंध और सेक्स वर्कर्स नहीं, बल्कि समलैंगिकता है. नाकों (National AIDS Control Organization) की रिपोर्ट की मानें तो देश में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद एड्स के सार्वाधिक मामले बिहार में (AIDS Due to Homosexuality in Bihar) हैं. बिहार में कुल संक्रमितों की संख्या 1,34,480 है.

यह भी पढ़ें- विश्‍व एड्स दिवस: जानकारी के अभाव में लगातार बढ़ रही है AIDS के मरीजों की संख्या, ये हैं आंकड़े

बिहार सरकार का दावाः एचआईवी पर स्टडी करने वाली संस्था से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि बिहार से बाहर कमाने के लिए गए युवा अधिकतर समलैंगिकता के शिकार हो जाते हैं. इसके बाद एचआईवी की जड़ बिहार के लिए तैयार हो जाती है. हालांकि 2010 के बाद राज्य में एचआईवी के मामलों में कमी आई है और संक्रमण दर राष्ट्रीय औसत 0.22% से कम है. प्रदेश में संक्रमण दर 0.17% है. बिहार सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि साल 2025 तक एचआईवी को सीमित करने और 2030 तक देश से खात्मा करने के केंद्र सरकार के संकल्प को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

समलैंगिकता बड़ा कारणः पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि बिहार सरकार एचआईवी को लेकर काफी एक्टिव है. जांच भी बिहार में अधिक होती है. ऐसे में संक्रमण के मामले अधिक संख्या में पकड़ में आते हैं. उन्होंने बताया कि समलैंगिकता के कारण पहले भी एड्स के मामले अधिक मिलते रहे हैं. लेकिन पहले और भी कारण थे. अब वह कारण धीरे-धीरे काफी कम होते गए हैं. जैसे, इंजेक्शन का रीयूज, ऑपरेशन में असावधानी, यह सब अब काफी कम हो गए हैं, लेकिन समलैंगिकता अभी भी एचआईवी के प्रसार का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. इसका कारण यह है कि बिहार में बेरोजगारी है. बेरोजगार नौजवान काम के लिए बाहर जाते हैं. सेक्स बॉडी की रिक्वायरमेंट होती है, ऐसे में युवा चाहे अनचाहे समलैंगिकता के शिकार हो जाते हैं.

अप्राकृतिक यौनाचार में ब्लड कॉन्टेक्ट की संभावना ज्यादाः इसके अलावा प्रदेश के जेलों में चाहे अनचाहे में कैदियों के बीच समलैंगिकता का रिश्ता डेवलप हो जाता है. ड्रग यूजर्स के बीच में भी नशे के समय समलैंगिकता के रिलेशन कई स्टडी रिपोर्ट में सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि समलैंगिकता एचआईवी फैलाने में सबसे अधिक खतरनाक इसलिए होता है क्योंकि यह एक अप्राकृतिक यौनाचार है. इसमें ब्लड कॉन्टेक्ट होने के चांसेस सबसे ज्यादा होते हैं. ब्लड कॉन्टेक्ट होने के चांसेस इसलिए ज्यादा होते हैं कि इसमें फ्रिक्शन अधिक होता है और कैपिलरी पतले होते हैं, ऐसे में कैपिलरी के नस टूटने की संभावना अधिक होती है और ऐसे में ब्लड कॉन्टेक्ट हो जाता है.

चलाए जा रहे हैं जागरुकता कार्यक्रमः डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि इसके अलावा जो ट्रक ड्राइवर सोते हैं, वह कई दिनों तक लगातार यात्रा में रहते हैं. बॉडी की डिमांड को पूरा करने के चक्कर में कई बार वह रोड साइड अनसेफ सेक्स कर लेते हैं, जो उन्हें एड्स की चपेट में ला देता है. सरकार की तरफ से कई जागरुकता के कार्यक्रम भी चल रहे हैं. पहले जो सेक्स टैबू का विषय बना हुआ था, उस पर अब खुलकर बातें की जा रही हैं. रोडसाइड कैंप लगाकर ट्रक ड्राइवर्स के बीच कंडोम बांटे जाते हैं.

सेफ्टी बेहद जरूरीः हाल ही में बिहार की एक भोजपुरी गायिका का दो युवकों के साथ सेक्स वीडियो भी वायरल हुआ है. कई स्टडीज बता रहे हैं कि बिहार और देशभर में ग्रुप सेक्स का प्रचलन बढ़ रहा है. डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि इसे विकास का नाम दें या फिर कुछ और, लेकिन इन दिनों ग्रुप सेक्स का प्रचलन बढ़ता हुआ देखने को मिल रहा है. ग्रुप सेक्स हमेशा एचआईवी और अन्य यौन संक्रमण फैलाने का सबसे बड़ा कारण बन जाता है. लोगों की मर्जी है, वह एक पार्टनर के साथ सेक्स करें या मल्टीपल पार्टनर के साथ, इसके लिए जरूरी है कि वह बराबर रूप से सेफ्टी को फॉलो करें.

कई महीनों तक नहीं दिखता है असरः डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि एचआईवी वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड काफी लंबा होता है. अगर कोई व्यक्ति एचआईवी पीड़ित होता है तो उसे 6 से 8 महीने तक पता नहीं चलेगा और वह पूरी तरह स्वस्थ दिखेगा. कई बार ऐसा देखा गया है कि इनक्यूबेशन पीरियड में व्यक्ति ने कई लोगों से संबंध बनाए हैं और बाद में पता चलता है कि जितने लोगों के साथ उसने संबंध बनाए हैं वह सभी संक्रमित हो गए हैं. दूसरे यौन संक्रमण में इलेक्शन बहुत जल्दी नजर आ जाते हैं लेकिन एचआईवी के साथ ऐसा नहीं है. इसलिए अंजान के साथ जब भी सेक्सुअल रिलेशन डेवलप करें तो निरोध का आवश्यक रूप से इस्तेमाल करें.

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