पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाजवादी आंदोलन से निकले नेता हैं. जयप्रकाश नारायण मूवमेंट के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात करते रहे हैं लेकिन सीएम आवास के आसपास 2 किलोमीटर के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आधा दर्जन से अधिक कार्यालय है. इतने कम दायरे में सीएम के इतने कार्यालय होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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बिहार में 2005 से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद हैं. वहीं, कुछ समय के लिए जरूर जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी. लेकिन उनके कार्यकाल को छोड़ दें, तो पिछले 15 सालों से नीतीश से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं और इस दौरान अपने लिए कई कार्यालय बना ली है.
पहले से ही मुख्य सचिवालय में मुख्यमंत्री के बैठने की व्यवस्था है लेकिन उसके अलावा नीतीश कुमार ने सीएम सचिवालय से लेकर कई स्थानों पर अपने लिए अलग से चेंबर बनवाया है. राजधानी पटना में देखिए मुख्यमंत्री का कार्यालय और चैंबर कहां कहां है.
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कुछ इस प्रकार हैं सीएम का कार्यालय
- मुख्यमंत्री आवास जहां नीतीश कुमार रहते हैं. वहां संकल्प के नाम से कार्यालय हैं जिसमें बैठक करते हैं.
- मुख्यमंत्री आवास के ठीक बगल में मुख्यमंत्री सचिवालय है. जहां मुख्यमंत्री का काफी बड़ा कार्यालय है और यहीं नया कार्यालय भी बना है. इसमें भी मुख्यमंत्री के बैठने की व्यवस्था है. सीएम आवास से मुख्यमंत्री सचिवालय वाकिंग डिस्टेंस (कुछ कदम की दूर) पर है.
- मुख्य सचिवालय में भी मुख्यमंत्री का बड़ा सा कार्यालय पहले से है और यह मुख्यमंत्री आवास से 1 किलोमीटर के अंदर है.
- बिहार विकास मिशन मुख्यमंत्री आवास से ठीक सटा हुआ है. यहां भी मुख्यमंत्री का कार्यालय है. बिहार में सुशासन के कार्यक्रम बिहार विकास मिशन के माध्यम से संचालित हो रहे हैं. ऐसे अब यहां मुख्यमंत्री कम ही आते हैं.
- सरदार पटेल भवन जो बिहार पुलिस का नया मुख्यालय है. मुख्यमंत्री का चैंबर इसमें भी है और मुख्यमंत्री आवास से इसकी दूरी 2 किलोमीटर से अधिक नहीं होगी.
- बिहार विधानसभा के पुराने भवन में मुख्यमंत्री का बड़ा सा चेंबर है.
- विधान परिषद में भी मुख्यमंत्री के लिए बड़ा सा चेंबर हैं.
- विधान मंडल के विस्तारित भवन में भी विधानसभा और विधान परिषद में मुख्यमंत्री के लिए नया चेंबर बनाया गया है.
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2 किलोमीटर के दायरे में 8 कार्यालय
यानी विधानमंडल में चार चेंबर मुख्यमंत्री के बैठने के लिए है. इस तरह देखें तो मुख्यमंत्री के लिए 2 किलोमीटर के दायरे में 8 कार्यालय या चेंबर है. जिसमें बैठकर मुख्यमंत्री काम कर सकते हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ का कहना है कि "मुख्यमंत्री चाहे तो कुछ और कार्यालय बना सकते हैं बादशाह हैं. बादशाह पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. यही नहीं, जो जदयू का कार्यालय बना है. वह आठ फ्लैट को तोड़कर एक जदयू कार्यालय बना है. नीतीश कुमार को जितना करना है कर लें, जनता तो इनको नकार दी ही थी."
"इतना अधिक कार्यालय 2 किलोमीटर के अंदर में रहना काफी खर्चीला है लेकिन यदि महत्वपूर्ण स्थान पर मुख्यमंत्री का चेंबर है. जिससे सरकार के कामकाज को मॉनिटरिंग कर सकते हैं तो वह भी गलत नहीं माना जा सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री का जितना कार्यालय अभी है, वह ज्यादा है. इतने कार्यालय की जरूरत नहीं है."- अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
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वहीं, अब सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए मुख्यमंत्री के लिए इतने कार्यालय वह भी इतने आसपास हो, इसकी क्या आवश्यकता है. क्योंकि इन कार्यालयों पर सरकार की धनराशि मेंटेन करने में खर्च हो रही है.