पटना: लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 8 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इस चरण में प्रमुख दलों ने 4 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. जहां सिवान में आरजेडी ने एक बार फिर से हिना शहाब को मौका दिया है, तो वहीं जदयू ने कविता सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं शिवहर से रमा देवी जदयू की उम्मीदवार हैं. तो वैशाली में आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह के सामने लोजपा की वीणा देवी ताल ठोक रही हैं.
इन चारों महिला प्रत्याशियों की किस्मत रविवार को ईवीएम में कैद हो जाएगी. सिवान से आरजेडी और जदयू के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. इसलिए किसी एक महिला प्रत्याशी का संसद जाना तय है.
पिछले चुनावों में क्या था हाल?
- 2014 में 12 महिला प्रत्याशियों को प्रमुख दलों ने टिकट दिया था. जिसमें से केवल 3 महिला प्रत्याशी ही विजय हुई थीं. इसमें बीजेपी की शिवहर से रमा देवी, मुंगेर से लोजपा की वीणा देवी और सुपौल से रंजीता रंजन शामिल थी. रमा देवी और रंजीता रंजन इस बार भी चुनाव लड़ रही हैं.
- साल 2009 की बात करें तो सियासी दलों ने 7 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. जिसमें जदयू की मीना सिंह आरा से, सासाराम से कांग्रेस की मीरा कुमार और जदयू की उजियारपुर से अश्वमेघ देवी विजयी हुई थी. जबकि लोजपा की वीणा देवी नवादा से, काराकाट से कांति सिंह और सिवान से हिना शहाब, सुपौल से रंजीता रंजन चुनाव हार गई थीं.
- हालांकि 2004 में सहरसा से रंजीता रंजन, आरा से कांति सिंह और सासाराम से मीरा कुमार चुनाव जीती थीं.
बिहार में महिला उम्मीदवारों की संख्या कम
बिहार में 40 लोकसभा सीट है. इस बार 2014 के मुकाबले बड़े सियासी दलों ने कम संख्या में महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है. हालांकि कई राज्यों में इस बार महिलाओं को अच्छी खासी टिकट दी गई है. उड़ीसा में बीजू जनता दल ने 33%, तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने 41% महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. महिला सशक्तिकरण को लेकर बिहार में कई काम हुए हैं. बावजूद इसके चुनाव मैदान में बड़े सियासी दलों का भरोसा अभी भी महिलाओं पर नहीं हुआ है. ऐसे में छठे चरण का चुनाव अहम है, क्योंकि सियासी दलों ने 4 महिला प्रत्याशियों पर दांव लगाया है, अब देखना है जनता इनमें से कितने को सांसद बनाती है.