गया: मजबूत इरादे और जी तोड़ मेहनत से सफलता प्राप्त होती है. गया के लाल अली खान इसकी मिसाल हैं. इनको आप खुदा गवाह फिल्म के हबीबुल्लाह के नाम से जानते होंगे. करीब 200 से अधिक हिंदी, बंगाली, भोजपुरी, तेलगु और अन्य भाषाओं की फिल्में कर चुके हैं. एक पारिवारिक फंक्शन में गया आये थे तो उनसे ईटीवी भारत के संवाददाता ने विस्तार से बातचीत की.
खुदा गवाह से मिली प्रसिद्धि: 'वाह खान, वाह! क्या मौत को शिकस्त दी है, तुमने मुझे बचा कर...भैया लगता है यह भी बेनजीर का आशिक है.' ये डायलॉग हिन्दी फिल्म खुदा गवाह का है. गया के लाल अली खान पर फ़िल्माया गया था. इस फिल्म की वजह से अली खान को पहचान मिली. यहां तक कि लोग उन्हें हबीबुल्लाह के नाम से पुकारने लगे. अली खान ने बताया कि इसके बाद हबीबुल्लाह के नाम से ही उनका शो होता था.
कहां के रहनेवाले हैं अली खानः अली खान, गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज के एक छोटे से गांव चोनहा के रहने वाले हैं. इनका परिवार संभ्रांत परिवार में गिना जाता था. पिता आशिक बारी खान एक खुशहाल किसान थे. उनके पास पुश्तैनी जमीन थी. अली खान ने हिंदी सिनेमा का उस समय रुख किया जब इमामगंज में नक्सलियों की दस्तक हो चुकी थी. बात 80 के दशक की है. छात्र जीवन में वह पहली बार मुंबई गए थे.
अभिनय का कोर्स नहीं कियाः अली खान ने अभिनय का किसी बड़ी संस्था से कोर्स नहीं किया. लेकिन आज मुंबई में एक बड़े कलाकार के रूप में जाने जाते हैं. पिछले 44 वर्षों से काम कर रहे हैं. हिंदी, भोजपुरी सिनेमा के प्रसिद्ध विलेन अभिनेता हैं. करीब 200 से अधिक हिंदी, बंगाली, भोजपुरी, तेलगु, मराठी, इंग्लिश फिल्मों में काम कर चुके हैं. टेलीविजन पर भी कई किरदार निभा चुके हैं. अभी वह अपने घर शेरघाटी आए हुए हैं.
पिता चाहते थे बेटा वकील बनेः अली खान ने मिर्जा गालिब कॉलेज से इंटर और उसके बाद मगध विश्वविद्यालय से बीसीए किया था. पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे, लेकिन अली खान को वकील बनने में कोई रुचि नहीं थी. कम उम्र से ही अभिनय और अभिनेता पर आधारित पुस्तकें और मैगज़ीन पढ़ते थे, अभिनय का शौक ऐसा था कि गांव में वह दुर्गा पूजा और दूसरे पर्व में कई किरदार निभाते थे.
पहली बार मुंबई कैसे गयेः बात 1975 की है. अली खान के बहनोई के पिता हज यात्रा से लौट रहे थे. उस समय बिहार के मुसलमान हज यात्र के लिए मुंबई से पानी के जहाज से जाते थे. अली खान अपने बहनोई के साथ उनके पिता को लाने मुंबई गए थे. उनका एक रिश्तेदार आरके स्टूडियो घूमाने लेकर गया. जहां अमिताभ बच्चन और रणजीत से मुलाकात हुई. शूटिंग से वह प्रभावित हुए और अभिनेता बनने की ठान ली.
शत्रुघ्न सिन्हा के मामा ने की थी सिफारिशः अली खान को अभिनेता बनने में शत्रुघ्न सिन्हा के मामा का बड़ा हाथ है. अली खान बताते हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा का ननिहाल गया में है. उनके मामा से खान परिवार परिचित था. खान ने बताया कि जब मुंबई जाने का निर्णय लिया तो शत्रुघ्न सिन्हा के मामू ने उनके लिए चिट्ठी लिखी थी. शत्रुघ्न सिन्हा उस समय कालका फिल्म बना रहे थे. उसी फिल्म से अली खान का फिल्मी सफर शुरू हुआ.
हबीबुल्ला के किरदार ने बनाया स्टारः अली खान ने बताया कि शुरुआत में उतार चढ़ावा का सामना करते रहे. जैकी श्रॉफ और अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार के साथ काम किया, लेकिन फिल्मी करियर रफ्तार नहीं पकड़ रहा था. आखिरकार वह घर लौटने की सोच रहे थे, तभी एक शायर ने उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने वापस घर लौटने के इरादे छोड़ दिया. तभी खुदा गवाह फिल्म में काम मिला. हबीबुल्ला किरदार से प्रसिद्ध हो गए.
"हबीबुल्लाह के किरदार ने मुझे फेमस किया. हबीबुल्लाह किरदार के काम की अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ की थी. खुदा गवाह से ही अमिताभ बच्चन से अच्छी दोस्ती हुई जो आज तक बरकरार है. अमिताभ बच्चन मेरे सुख-दुख में साथ रहते हैं. बेटा-बेटी की शादी में भी आये थे."- अली खान, फिल्म अभिनेता.
राजनीतिक पारी शुरू करते की तैयारीः इन दिनों अली खान की राजनीति में भी खूब दिलचस्पी देखी जा रही है. वह आरजेडी, कांग्रेस समेत कई बड़ी पार्टियों के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं. उन से मिलना जुलना कर रहे हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्र में शामिल हुए थे. अली खान कहते हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में "लालू यादव ने टिकट देने का वादा किया था. लेकिन किसी कारण से टिकट नहीं मिली." अब 2025 विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
प्रधानमंत्री के काम की तारीफः अली खान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों से प्रभावित हैं. कहते हैं कि "देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है, अगर ऐसा नहीं होता तो वह तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनते." उन्होंने कहा कि उनके संबंध चिराग पासवान से भी है. रामविलास पासवान को अच्छा मित्र बताया. अली खान ने कहा कि वो चुनाव आरजेडी से लड़ना चाहते हैं.
युवाओं के लिये दिया संदेशः अली खान ने उन युवा कलाकारों को भी मैसेज दिया जो अभिनय की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा "बिहार के युवाओं में कला को लेकर अच्छी समझ है, अच्छे कलाकार हैं और वह मेहनत भी करते हैं सिर्फ धैर्य रखें और मेहनत करें सफलता जरूर मिलेगी." वह बिहार के युवा कलाकारों को आगे बढ़ना देखना चाहते हैं.
इसे भी पढ़ेंः
- 'बिहार में कीजिए फिल्मों की शूटिंग, भरपूर छूट देगी नीतीश सरकार', प्रोत्साहन नीति से निर्माताओं-कलाकारों की बल्ले-बल्ले
- बिहार में फिल्म पॉलिसी पर बोले सीएम नीतीश- 'फिल्म निर्माताओं को मिलेगी हर सुविधा, नीति पर होगा विचार'
- ईटीवी से खास बातचीत में बोले निर्माता निर्देशक सनोज मिश्रा- 'कलाकारों से होता है भेदभाव'