ETV Bharat / state

धूमधाम से मनाया जा रहा 353वां प्रकाश पर्व, लंगर का है खास महत्व

लुधियाना से आए अमरिंदर बताते हैं कि एक दिन के लंगर में रोजाना तकरीबन 5 लाख तक का खर्च आता है. उन्होंने कहा कि जलंधर गुरुद्वारा कमेटी की ओर से  चलाया जा रहा है.

लंगर
लंगर
author img

By

Published : Jan 2, 2020, 7:20 PM IST

पटना: श्री गुरु गोविंद सिंह जी के 353वी जयंती का आयोजन काफी जोर शोर से चल रहा है. पटना साहिब स्थित तख्त श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे में रोजाना लाखों श्रद्धालु लंगर का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं.

सुबह 7 बजे से रात के 12 बजे तक लंगर चालू रहता है. लंगर में तीनों टाइम अलग-अलग खाना बनाया जाता है. ईटीवी भारत ने लंगर के रसोई से लेकर पंगत तक का जायजा लिया. बता दें कि राज्य सरकार की ओर से तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है. इसके बावजूद गुरुद्वारा कमेटी और अन्य कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने लंगर की व्यवस्था की है.

patna
लंगर का प्रसाद
लुधियाना से आए अमरिंदर बताते हैं कि एक दिन के लंगर में रोजाना तकरीबन 5 लाख तक का खर्च आता है. उन्होंने कहा कि जालंधर गुरुद्वारा कमेटी की ओर से चलाया जा रहा है. सेवादार ने कहा कि लंगर में सभी खाने के सामान शुद्ध घी में बनाए जाते हैं. गुरुद्वारा कमेटी के अलावा भी कई तरह के अन्य स्वयंसेवी संस्थानों की ओर से दर्जनों लंगर चलाए जा रहे हैं. गुरुद्वारा कमेटी में चलाए जा रहे हैं. बता दें कि लंगर में रोजाना लाखों श्रद्धालु भोजन कर रहे हैं.
patna
तख्त श्री हरमंदिर जी गुरुद्वारा

CM नीतीश ने भी टेका मत्था
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गुरुद्वारा में माथा टेका और अपने भाषण के दौरान लंगर की तारीफ की. उन्होंने कहा अमीर से लेकर गरीब परिवार के भोजन में लंगर जैसा स्वाद नहीं होता है.

पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लंगर की परंपरा आज भी जारी
लंगर की परंपरा सदियों पुरानी है. सिक्खों के गुरुओं की ओर से गरीबों को भोजन कराया जाता था. जिसके बाद यह लंगर की परंपरा शुरू हो गई. उन्होंने कहा कि आज भी प्रकाश उत्सव के बाद रोजाना तख्त हरमिंदर साहिब गुरुद्वारे में रोजाना लंगर की व्यवस्था होती है. लंगर के भोजन बनाने के लिए श्रद्धालु श्रमदान भी देते हैं. उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की ओर से भोजन बनाने से लेकर खिलाने और बर्तन साफ करने तक श्रम दान दिया जाता है. इस श्रमदान को सिख श्रद्धालु पवित्र मानते हैं.

पटना: श्री गुरु गोविंद सिंह जी के 353वी जयंती का आयोजन काफी जोर शोर से चल रहा है. पटना साहिब स्थित तख्त श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे में रोजाना लाखों श्रद्धालु लंगर का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं.

सुबह 7 बजे से रात के 12 बजे तक लंगर चालू रहता है. लंगर में तीनों टाइम अलग-अलग खाना बनाया जाता है. ईटीवी भारत ने लंगर के रसोई से लेकर पंगत तक का जायजा लिया. बता दें कि राज्य सरकार की ओर से तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है. इसके बावजूद गुरुद्वारा कमेटी और अन्य कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने लंगर की व्यवस्था की है.

patna
लंगर का प्रसाद
लुधियाना से आए अमरिंदर बताते हैं कि एक दिन के लंगर में रोजाना तकरीबन 5 लाख तक का खर्च आता है. उन्होंने कहा कि जालंधर गुरुद्वारा कमेटी की ओर से चलाया जा रहा है. सेवादार ने कहा कि लंगर में सभी खाने के सामान शुद्ध घी में बनाए जाते हैं. गुरुद्वारा कमेटी के अलावा भी कई तरह के अन्य स्वयंसेवी संस्थानों की ओर से दर्जनों लंगर चलाए जा रहे हैं. गुरुद्वारा कमेटी में चलाए जा रहे हैं. बता दें कि लंगर में रोजाना लाखों श्रद्धालु भोजन कर रहे हैं.
patna
तख्त श्री हरमंदिर जी गुरुद्वारा

CM नीतीश ने भी टेका मत्था
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गुरुद्वारा में माथा टेका और अपने भाषण के दौरान लंगर की तारीफ की. उन्होंने कहा अमीर से लेकर गरीब परिवार के भोजन में लंगर जैसा स्वाद नहीं होता है.

पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लंगर की परंपरा आज भी जारी
लंगर की परंपरा सदियों पुरानी है. सिक्खों के गुरुओं की ओर से गरीबों को भोजन कराया जाता था. जिसके बाद यह लंगर की परंपरा शुरू हो गई. उन्होंने कहा कि आज भी प्रकाश उत्सव के बाद रोजाना तख्त हरमिंदर साहिब गुरुद्वारे में रोजाना लंगर की व्यवस्था होती है. लंगर के भोजन बनाने के लिए श्रद्धालु श्रमदान भी देते हैं. उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की ओर से भोजन बनाने से लेकर खिलाने और बर्तन साफ करने तक श्रम दान दिया जाता है. इस श्रमदान को सिख श्रद्धालु पवित्र मानते हैं.

Intro:पटना साहिब स्थिति तख्त श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे में रोजाना लाखों श्रद्धालु लंगर छक रहे हैं। सुबह 7 बजे से रात के 12 बजे तक लंगर चालू रहता है। लंगर में तीनो टाइम अलग-अलग खाना बनाया जाता है। ईटीवी भारत ने लंगर के रसोई से लेकर पंगत तक का जायजा लिया। गुरु गोविंद सिंह की 353 वी जयंती के मौके पर पटना साहिब में प्रकाश उत्सव महोत्सव का आयोजन हो रहा है।
राज्य सरकार द्वारा तमाम व्यवस्था की जा रही है। इसके बावजूद गुरुद्वारा कमेटी एवं अन्य कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा लंगर की व्यवस्था की गई है।


Body:लुधियाना से आए अमरिंदर बताते हैं कि एक लंगर में रोजाना तकरीबन 5 लाख तक का खर्च आता है। जालंधर गुरुद्वारा कमेटी द्वारा चलाया जा रहा है। लंगर में सभी खाने के सामान शुद्ध घी में बनाए जाते हैं। अमरिंदर बताते हैं कि गुरुद्वारा कमेटी के अलावा भी कई तरह के अन्य स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा भी दर्जनों लंगर चलाए जा रहे हैं। गुरुद्वारा कमेटी द्वारा चलाए जा रहे हैं लंगर में रोजाना लाखों श्रद्धालु भोजन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी आज गुरुद्वारा में माथा टेका और अपने भाषण के दौरान लंगर की तारीफ की। उन्होंने कहा महंगे से अमीर से अमीर परिवार के लोग के भी भोजन में लंगर के भोजन जैसा स्वाद नहीं होता।


Conclusion:अमरिंदर बताते हैं कि लंगर की परंपरा सदियों पुरानी है। सिक्खों के गुरुओं द्वारा गरीबों को भोजन कराया जाता था। जिसके बाद यह लंगर की परंपरा शुरू हो गई। आज भी प्रकाश उत्सव के बाद रोजाना तख्त हरमिंदर साहिब गुरुद्वारे में रोजाना लंगर की व्यवस्था होती है। लंगर के भोजन बनाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा श्रमदान भी दिया जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा भोजन बनाने से लेकर खिलाने और बर्तन साफ करने तक श्रम दान दिया जाता है। इस श्रमदान को सिख श्रद्धालुओं पवित्र मानते हैं।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.