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नए साल पर शनि की साढ़े साती से हैं परेशान? इन आसान उपायों से मिलेगी राहत - SHANI SADE SATI REMEDIES

कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति व्यक्ति को बहुत नुकसान पहुंचाती है. ज्योतिषाचार्य भरत भूषण पाण्डेय ने बताया शनि को मजबूत करने के उपाय.

SHANI SADE SATI REMEDIES
साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 4, 2025, 3:01 PM IST

हैदराबाद: ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष महत्व है. यह एक ऐसा ग्रह है जो हर राशि को प्रभावित करता है और एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है. शनि का राशि परिवर्तन हर व्यक्ति के जीवन में बड़े बदलाव लेकर आता है. जब शनि किसी राशि के बारहवें, पहले और दूसरे भाव से गुजरता है तो उस राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है. यह प्रभाव तीन चरणों में आता है, प्रत्येक चरण ढाई वर्ष तक चलता है, इस प्रकार कुल साढ़े सात वर्ष का समय लगता है जिसे साढ़ेसाती कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य भरत भूषण पाण्डेय का कहना है कि साढ़ेसाती को लेकर लोगों में अक्सर नकारात्मक धारणा बनी रहती है. आमतौर पर यह माना जाता है कि साढ़ेसाती हमेशा बुरा फल देती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति और उसकी व्यक्तिगत दशा पर निर्भर करता है. यदि शनि कुंडली में शुभ स्थिति में है तो साढ़ेसाती शुभ परिणाम भी दे सकती है.

साढ़ेसाती के शुभ और अशुभ परिणाम
यदि साढ़ेसाती शुभ फल देती है, तो व्यक्ति को करियर में सफलता मिलती है, अचानक धन लाभ होता है, उच्च पद की प्राप्ति होती है, विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के अवसर भी मिलते हैं.

अशुभ परिणाम
यदि साढ़ेसाती अशुभ फल देती है, तो रोजगार में बाधाएं आती हैं, स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, दुर्घटनाएं हो सकती हैं और अपयश का सामना करना पड़ सकता है. साढ़ेसाती का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव मानसिक स्थिति पर पड़ता है, जिससे व्यक्ति तनावग्रस्त और परेशान रह सकता है.

साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय: ज्योतिषाचार्य भरत भूषण पाण्डेय का कहना है कि यदि आप साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभावों का सामना कर रहे हैं, तो कुछ उपाय करके आप इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं.

  1. शनि मंत्र का जाप:रोज सुबह और शाम "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें.
  2. शनिवार को उपाय:शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें.
  3. आहार: अपने भोजनमें सरसों के तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें.
  4. व्यवहार में सुधार:अपने व्यवहार और आचरण को अच्छा रखें.
  5. लोहे का छल्ला:बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे का छल्ला धारण करें.
  6. शनि स्तोत्र का पाठ:यदि साढ़ेसाती का प्रकोप अधिक हो, तो शनिवार को शाम के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें.

शनिदेव की पूजा विधि: शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शनि की पूजा करना विशेष फलदायी होता है.

  • काले या नीले आसन पर बैठें.
  • तिल के तेल का दीपक जलाएं.
  • पश्चिम दिशा की ओर मुख करें.
  • लगातार 7 बार शनि स्तोत्र का पाठ करें.
  • यह क्रिया सुबह और शाम लगातार 27 दिनों तक करें.
  • अपनी समस्या के लिए शनिदेव से प्रार्थना करें.

पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • शनिदेव की पूजा हमेशा सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद करें.
  • पूजा में साफ सुथरे कपड़े पहनें और स्नान करके ही पूजा करें.
  • शनिदेव की पूजा में सरसों या तिल के तेल का ही प्रयोग करें.
  • पूजा शांत मन से करें.
  • पूजा में काले या नीले रंग के आसन का प्रयोग करें.
  • पीपल के पेड़ के नीचे शनि की पूजा करें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV BHARAT किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

पढ़ें: मकर संक्रांति 2025 कब है 14 या 15 जनवरी, जानें, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हैदराबाद: ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष महत्व है. यह एक ऐसा ग्रह है जो हर राशि को प्रभावित करता है और एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है. शनि का राशि परिवर्तन हर व्यक्ति के जीवन में बड़े बदलाव लेकर आता है. जब शनि किसी राशि के बारहवें, पहले और दूसरे भाव से गुजरता है तो उस राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है. यह प्रभाव तीन चरणों में आता है, प्रत्येक चरण ढाई वर्ष तक चलता है, इस प्रकार कुल साढ़े सात वर्ष का समय लगता है जिसे साढ़ेसाती कहा जाता है.

ज्योतिषाचार्य भरत भूषण पाण्डेय का कहना है कि साढ़ेसाती को लेकर लोगों में अक्सर नकारात्मक धारणा बनी रहती है. आमतौर पर यह माना जाता है कि साढ़ेसाती हमेशा बुरा फल देती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति और उसकी व्यक्तिगत दशा पर निर्भर करता है. यदि शनि कुंडली में शुभ स्थिति में है तो साढ़ेसाती शुभ परिणाम भी दे सकती है.

साढ़ेसाती के शुभ और अशुभ परिणाम
यदि साढ़ेसाती शुभ फल देती है, तो व्यक्ति को करियर में सफलता मिलती है, अचानक धन लाभ होता है, उच्च पद की प्राप्ति होती है, विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के अवसर भी मिलते हैं.

अशुभ परिणाम
यदि साढ़ेसाती अशुभ फल देती है, तो रोजगार में बाधाएं आती हैं, स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, दुर्घटनाएं हो सकती हैं और अपयश का सामना करना पड़ सकता है. साढ़ेसाती का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव मानसिक स्थिति पर पड़ता है, जिससे व्यक्ति तनावग्रस्त और परेशान रह सकता है.

साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय: ज्योतिषाचार्य भरत भूषण पाण्डेय का कहना है कि यदि आप साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभावों का सामना कर रहे हैं, तो कुछ उपाय करके आप इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं.

  1. शनि मंत्र का जाप:रोज सुबह और शाम "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें.
  2. शनिवार को उपाय:शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें.
  3. आहार: अपने भोजनमें सरसों के तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें.
  4. व्यवहार में सुधार:अपने व्यवहार और आचरण को अच्छा रखें.
  5. लोहे का छल्ला:बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे का छल्ला धारण करें.
  6. शनि स्तोत्र का पाठ:यदि साढ़ेसाती का प्रकोप अधिक हो, तो शनिवार को शाम के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें.

शनिदेव की पूजा विधि: शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शनि की पूजा करना विशेष फलदायी होता है.

  • काले या नीले आसन पर बैठें.
  • तिल के तेल का दीपक जलाएं.
  • पश्चिम दिशा की ओर मुख करें.
  • लगातार 7 बार शनि स्तोत्र का पाठ करें.
  • यह क्रिया सुबह और शाम लगातार 27 दिनों तक करें.
  • अपनी समस्या के लिए शनिदेव से प्रार्थना करें.

पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • शनिदेव की पूजा हमेशा सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद करें.
  • पूजा में साफ सुथरे कपड़े पहनें और स्नान करके ही पूजा करें.
  • शनिदेव की पूजा में सरसों या तिल के तेल का ही प्रयोग करें.
  • पूजा शांत मन से करें.
  • पूजा में काले या नीले रंग के आसन का प्रयोग करें.
  • पीपल के पेड़ के नीचे शनि की पूजा करें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV BHARAT किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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