पटना: 26 जुलाई से बिहार विधान मंडल (Bihar Legislature) की कार्यवाही शुरू हो रही है. मानसून सत्र (Monsoon Session) शुरू होने से पहले बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में स्थानीय निकाय से चुनकर आने वाले 24 विधान पार्षदों की सीटें खाली हो जाएंगी. 16 जुलाई के बाद से ही यह सीट खाली हो रही हैं. पंचायत चुनाव (Panchayat Election) नहीं होने के कारण फिलहाल इन सीटों को भरा भी नहीं जा सकता है.
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ऐसे में विधान परिषद के अंदर स्थिति भी बदल जाएगी. हालांकि, दबदबा एनडीए (NDA) का ही रहेगा. लेकिन, जदयू (JDU) संख्या बल के हिसाब से बीजेपी (BJP) पर भारी दिखेगी. जदयू सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जहां 22 सदस्यों के साथ सदन में मौजूद रहेगी, वहीं बीजेपी के 15 सदस्य रहेंगे. मानसून सत्र में संख्या बल के हिसाब से जदयू का दबदबा साफ दिखेगा.
75 सदस्य वाली बिहार विधान परिषद में अभी जदयू के सदस्यों की संख्या 28 है. वहीं, बीजेपी के सदस्यों की संख्या 26 है. जदयू की बीजेपी से अभी 2 सीट अधिक है. लेकिन, 16 जुलाई के बाद स्थिति बदल जाएगी. जदयू और बीजेपी के बीच 7 सीटों का अंतर हो जाएगा. एक तरह से जदयू का विधान परिषद में पूरी तरह से दबदबा दिखेगा.
जदयू के विधान पार्षद संजय गांधी का कहना है कि जदयू बड़ी पार्टी है और आगे भी बड़ी पार्टी रहेगी. हालांकि, दबदबे की बात से संजय गांधी इंकार कर रहे हैं. वहीं, सहयोगी हम के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है कि जदयू का संख्या बल अधिक होगा तो सभापति का पद भी उसका हो सकता है, लेकिन सब मिलजुल कर ही हम लोग तय करेंगे.
जदयू कोटे के 6 विधान पार्षद जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें नालंदा से रीना यादव, नवादा से सलमान रागिब, गया से मनोरमा देवी, भोजपुर से राधाचरण साह, मुजफ्फरपुर से दिनेश सिंह, मुंगेर से संजय प्रसाद हैं.
वहीं, बीजेपी कोटे के विधान पार्षद जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें सारण से सच्चिदानंद राय, बेगूसराय से रजनीश कुमार, सहरसा से नूतन सिंह, कटिहार से अशोक अग्रवाल, किशनगंज से दिलीप जायसवाल, रोहतास से संतोष कुमार सिंह, मधुबनी से सुमन महासेठ, गोपालगंज से आदित्य नारायण पांडे, पूर्वी चंपारण से राजेश कुमार, सिवान से टुन्ना जी पांडे है. आरजेडी कोटे से वैशाली से सुबोध कुमार और कांग्रेस कोटे से पश्चिम चंपारण से राजेश राम का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.
बिहार विधान परिषद की 75 सीट में से अभी 6 सीट रिक्त है. यानी 69 सीटें अभी भरी हुई है. लेकिन, 16 जुलाई के बाद 19 सीटें और खाली हो जाएगी. यानी केवल 50 सीट ही बच जाएगी. वर्तमान में सीट की सीटों की स्थिति पर नजर डालें तो बीजेपी की 26, जदयू 28, कांग्रेस 4, राजद 6, सीपीआई 2, हम 1, वीआईपी 1 और निर्दलीय की 1 हैं. वहीं, 16 जुलाई के बाद बीजेपी की 15, जदयू 22, कांग्रेस 3, राजद 5, सीपीआई 2, हम 1, वीआईपी 1 और निर्दलीय की 1 सीट हो जाएंगी.
वर्तमान में बिहार विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 75 है. विधानसभा से निर्वाचित सदस्य 27, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य 6, स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य 6, स्थानीय प्राधिकार से निर्वाचित सदस्य 24 और राज्यपाल कोटे से मनोनीत सदस्य 12 हैं.
75 सदस्य वाली बिहार विधान परिषद में कुल 6 सीटें रिक्त है, जिसमें स्थानीय प्राधिकार कोटे की 5 सीटें पहले से रिक्त हैं. इसके साथ पिछले दिनों जदयू विधान पार्षद तनवीर अख्तर का कोरोना के कारण निधन हुआ था. स्थानीय प्राधिकार विधान परिषद में पहुंचे रीत लाल यादव, दिलीप राय और मनोज यादव चुनाव लड़े और विधायक चुने गए हैं.
वहीं, सुनील सिंह और हरिनारायण चौधरी का निधन हो चुका है. रीतलाल को छोड़कर सभी एनडीए के विधान पार्षद थे. दिलीप राय और मनोज यादव जदयू के विधायक हैं. रीतलाल यादव आरजेडी के विधायक हैं. ऐसे में तय है कि 24 सीट खाली होने से बीजेपी का दबदबा कम होगा, तो वहीं जदयू का दबदबा मजबूत होगा.
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ऐसे तो पहली बार विधानसभा अध्यक्ष पद पर और बिहार विधान परिषद के सभापति पद पर बीजेपी का कब्जा है. लेकिन, विधान परिषद में जिस प्रकार से जदयू का संख्या बल अधिक है और स्थानीय प्राधिकार के सीट रिक्त होने के बाद संख्या बल के हिसाब से बीजेपी से और अधिक अंतर होगा, तो जदयू का सदन के अंदर दबदबा तो बढ़ेगा ही सभापति पद पर दावेदारी भी बढ़ेगी.