गया: फिल्म 'प्रेम गीत' का एक गाना आपने जरूर सुना होगा. 'होंठों से छूलो तुम, मेरा गीत अमर कर दो' इस गाना में एक लाइन है जिसके बोल हैं 'न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधन! जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन!. 1981 में आयी इस फिल्म में राज बब्बर थे. इनके फिल्म और और गाने खूब फेमस हुए थे.
50 साल से निभा रहे साथ: बिहार के गया के 75 वर्षीय शिव अग्रवाल और 70 वर्षीय उर्मिला अग्रवाल पर यह गाना सटीक बैठता है. इतनी ज्यादा उम्र होने के बाद भी इन दोनों में कभी प्यार कम नहीं हुआ. यही कारण है कि दोनों कपल्स ने अपना गोल्डन जुबली एनिवर्सरी मनायी. दोनों 50 साल से एक दूसरे का हाथ थामे हैं.
एक बार फिर बने दूल्हा-दुल्हन: 75 शिव अग्रवाल और 70 वर्षीय उर्मिला अग्रवाल एक बार फिर दूल्हा-दुल्हन बने. गया के इमामगंज में यह एनिवर्सरी की खूब चर्चा हो रही है. शादी की 50वीं सालगिरह पर बुजुर्ग दंपति दूल्हे-दुल्हन की जोड़े में नजर आए. पूरी इवेंट पार्टी के साथ उन्हें एंट्री कर जयमाला स्टेज पर लाया गया. पहले दोनों ने एक दूसरे से प्यार का इजहार किया और फिर वरमाला पहनायी.
निश्छल प्रेम का उदाहरण: इस अनूठी एनिवर्सरी के पीछे बुजुर्ग दंपति के तीनों बेटे और दो बेटियों का बड़ा योगदान रहा. इन पांचों ने मिलकर अपने माता-पिता को तोहफा देने के लिए इस तरह की पार्टी की. आज के दौर में जहां शादियां छोटी-मोटी बातों के लिए टूट जाती है वहीं मिस्टर एंड मिसेज अग्रवाल ने साबित कर दिया कि निश्छल प्रेम एक दूसरे के प्रति हो तो सात जन्म की कसम भी सफल हो जाती हैं.
संघर्ष भरा रहा जीवन: जानकार बताते हैं कि बुजुर्ग दंपति ने काफी संघर्ष भरा जीवन गुजारे. कभी यह दंपति एक छोटे से होटल को मिलकर चलाया करते थे. इसके बाद खुद की एक छोटी सी कपड़े दुकान खोली. कपड़े की दुकान से ही अपने तीनों बच्चों को लायक बनाया. बेटियों की भी अच्छे घरों में शादियां की. आज बेटों का कपड़ा का होलसेल कारोबार है.
पूरा परिवार झूमा: इस आयोजन में काफी संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया था. देर रात तक पार्टी चलती रही. जहां परिवार के लोग जमकर नाचे, दूसरी ओर गांव के लोगों ने भी पूरा आनंद लिया और जमकर थिरके. सोशल मीडिया पर भी खूब वीडियो और तस्वीर शेयर किए जा रहे हैं.
'खुशहाल परिवार': मिस्टर एंड मिसेज अग्रवाल ने कहा कि "प्रेम की डोर से दांपत्य रिश्ते मजबूत होते हैं. यदि पति-पत्नी मिलकर चाहे तो किसी भी विपरीत हालातो से लड़ सकते हैं. परिस्थिति को अनुकूल बना सकते हैं. हमारी जिंदगी में भी यह रहा. हम लोगों ने विपरीत हालातों को अनुकूल बनाया. आज हम खुशहाल परिवार हैं."
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