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बिहार के सरकारी स्कूलों से कटे 23.60 लाख बच्चों के नाम, अब नहीं मिल पाएगा किसी योजना का लाभ - ETV Bharat Bihar

Bihar Education Department: बिहार के सरकारी स्कूलों से बड़ी संख्या में घोस्ट स्टूडेंट के नामांकन रद्द किए गए हैं. शिक्षा विभाग को लगातार ऐसी सूचना मिल रही थी कि काफी संख्या में बच्चे ऐसे हैं, जो कोई प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं और सरकारी विद्यालय में भी उनका नाम चल रहा है. इस फैसले के बाद अब इन छात्रों को किसी भी प्रकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा.

बिहार के सरकारी स्कूलों में 23 लाख नामांकन रद्द
बिहार के सरकारी स्कूलों में 23 लाख नामांकन रद्द
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 10, 2023, 12:41 PM IST

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में 23 लाख नामांकन रद्द कर दिए गए हैं. असल में इन बच्चों के नाम पर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का बंदरबांट किया जाता था. चाहे पोशाक योजना हो, छात्रवृत्ति योजना हो, साइकिल इत्यादि अन्य योजनाएं हो, इनके नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग होता था. ऐसे में इस दुरुपयोग को रोकने के लिए केके पाठक के निर्देश पर लगातार 15 दिन तक स्कूल नहीं आने वाले छात्रों की पहचान कर नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया जारी है. पिछले 3 महीने में लगभग 23.60 लाख विद्यार्थियों के नामांकन रद्द हुए हैं.

1 से 8 तक में सबसे अधिक बच्चों के नामांकन रद्द: प्रदेश के शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक कक्षा 1 से 12 तक के 23,59,735 बच्चों के नामांकन अब तक रद्द किए गए हैं. इसमें पूर्वी चंपारण में सर्वाधिक 146026 बच्चों के नामांकन रद्द किए गए हैं. इन बच्चों के नामांकन रद्द होने के बाद परिजनों की ओर से भी नामांकन रद्द करने के संबंध में कोई दावा आपत्ति नहीं आई है. जानकारी के मुताबिक कक्षा 1 से 8 तक में सबसे अधिक बच्चों के नामांकन रद्द किए गए हैं, जिनकी संख्या 19,03,502 है.

बिहार के सरकारी स्कूलों में 23 लाख नामांकन रद्द: वहीं कक्षा 9 से 12 के 4,56,233 विद्यार्थियों के नामांकन रद्द किए गए हैं. विभाग की अपर मुख्य सचिव के के पाठक का स्पष्ट निर्देश है कि 15 दिनों तक लगातार अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों के नामांकन को रद्द करें और यदि कोई छात्र-छात्रा तीन दिन तक लगातार अनुपस्थित रहते हैं तो प्रधानाचार्य द्वारा उनके परिजनों को नोटिस भेजा जाए.

अब नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ: हालांकि शिक्षा विभाग का यह स्पष्ट प्रावधान है कि 15 दिन तक अनुपस्थित रहने पर जिन विद्यार्थियों के नाम काटे गए हैं, उनके परिजन आकर अंडरटेकिंग देते हैं कि आगे से बच्चे स्कूल में आकर पढ़ेंगे तो उनका दोबारा नामांकन होगा लेकिन विभाग की ओर से इस कार्रवाई के बाद यह देखने को मिला है कि काफी कम संख्या में ही नामांकन रद्द होने के बाद बच्चों की परिजन जाकर बच्चों के नामांकन को दोबारा करवाए हैं. शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई से विभाग को 500 करोड़ से अधिक का बचत होने का अनुमान है. जिन बच्चों के नामांकन रद्द हुए हैं उनके नाम पर अब विद्यालय में किसी प्रकार की कोई योजना का लाभ उपलब्ध नहीं होगा.

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पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में 23 लाख नामांकन रद्द कर दिए गए हैं. असल में इन बच्चों के नाम पर सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का बंदरबांट किया जाता था. चाहे पोशाक योजना हो, छात्रवृत्ति योजना हो, साइकिल इत्यादि अन्य योजनाएं हो, इनके नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग होता था. ऐसे में इस दुरुपयोग को रोकने के लिए केके पाठक के निर्देश पर लगातार 15 दिन तक स्कूल नहीं आने वाले छात्रों की पहचान कर नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया जारी है. पिछले 3 महीने में लगभग 23.60 लाख विद्यार्थियों के नामांकन रद्द हुए हैं.

1 से 8 तक में सबसे अधिक बच्चों के नामांकन रद्द: प्रदेश के शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक कक्षा 1 से 12 तक के 23,59,735 बच्चों के नामांकन अब तक रद्द किए गए हैं. इसमें पूर्वी चंपारण में सर्वाधिक 146026 बच्चों के नामांकन रद्द किए गए हैं. इन बच्चों के नामांकन रद्द होने के बाद परिजनों की ओर से भी नामांकन रद्द करने के संबंध में कोई दावा आपत्ति नहीं आई है. जानकारी के मुताबिक कक्षा 1 से 8 तक में सबसे अधिक बच्चों के नामांकन रद्द किए गए हैं, जिनकी संख्या 19,03,502 है.

बिहार के सरकारी स्कूलों में 23 लाख नामांकन रद्द: वहीं कक्षा 9 से 12 के 4,56,233 विद्यार्थियों के नामांकन रद्द किए गए हैं. विभाग की अपर मुख्य सचिव के के पाठक का स्पष्ट निर्देश है कि 15 दिनों तक लगातार अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों के नामांकन को रद्द करें और यदि कोई छात्र-छात्रा तीन दिन तक लगातार अनुपस्थित रहते हैं तो प्रधानाचार्य द्वारा उनके परिजनों को नोटिस भेजा जाए.

अब नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ: हालांकि शिक्षा विभाग का यह स्पष्ट प्रावधान है कि 15 दिन तक अनुपस्थित रहने पर जिन विद्यार्थियों के नाम काटे गए हैं, उनके परिजन आकर अंडरटेकिंग देते हैं कि आगे से बच्चे स्कूल में आकर पढ़ेंगे तो उनका दोबारा नामांकन होगा लेकिन विभाग की ओर से इस कार्रवाई के बाद यह देखने को मिला है कि काफी कम संख्या में ही नामांकन रद्द होने के बाद बच्चों की परिजन जाकर बच्चों के नामांकन को दोबारा करवाए हैं. शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई से विभाग को 500 करोड़ से अधिक का बचत होने का अनुमान है. जिन बच्चों के नामांकन रद्द हुए हैं उनके नाम पर अब विद्यालय में किसी प्रकार की कोई योजना का लाभ उपलब्ध नहीं होगा.

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