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सीतामढ़ी: बागमती के तेज बहाव में फंसे 10 लोगों को ग्रामीणों ने बचाया - Bihar News

बेलसंड अनुमंडल में बागमती के तेज बहाव में 10 किसान बह गये थे. ग्रामीणों के मदद से सभी को बचाया गया.

सीतामढ़ी
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Published : Jul 26, 2019, 9:11 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 11:37 PM IST

सीतामढ़ी: बागमती नदी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. जिले में इसके तेज बहाव से लगभग 10 किसान बह गये थे. लेकिन ग्रामीणों की मदद से सभी की जान बचा ली गई.

मामला जिले के बेलसंड अनुमंडल के सौली और सिरसिया गांव का है. बताया जा रहा है कि यहां के किसान पशुओं के लिए खेत में चारा लाने गये थे. इस दौरान बागमती नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया. इससे सभी लोग नदी के बहाव में फंस गये. नदी की तेज धारा में बहने लगे.

ग्रामीणों और सीओं का बयान

सभी को बचाया गया
इस हादसे को देख ग्रामीण मदद में जुट गये. ग्रामीणों ने कुछ लोगों की जान तैर कर बचाई. नदी की तेज धारा में दूर गए कुछ लोगों को ग्रामीणों ने ट्यूब के सहारे बचाया. सभी पीड़ितों को ग्रामीणों ने इलाज कराया. वहीं, इस घटना की सूचना ग्रामीणों ने प्रशासन को दी.

'17 लाख लोग हुए प्रभावित'
बता दें कि सीतामढ़ी के16 प्रखंड के 179 पंचायतों में करीब 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. यहां बाढ़ से करीब 30 लाख से अधिक की आबादी डरी सहमी हुई है. वहीं, बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है. लोग ठनका से भी डरे हुए हैं. बाढ़ से यहां खासा असर इंसान के साथ पालतू मवेशियों पर भी पड़ रहा है.

सीतामढ़ी: बागमती नदी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. जिले में इसके तेज बहाव से लगभग 10 किसान बह गये थे. लेकिन ग्रामीणों की मदद से सभी की जान बचा ली गई.

मामला जिले के बेलसंड अनुमंडल के सौली और सिरसिया गांव का है. बताया जा रहा है कि यहां के किसान पशुओं के लिए खेत में चारा लाने गये थे. इस दौरान बागमती नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया. इससे सभी लोग नदी के बहाव में फंस गये. नदी की तेज धारा में बहने लगे.

ग्रामीणों और सीओं का बयान

सभी को बचाया गया
इस हादसे को देख ग्रामीण मदद में जुट गये. ग्रामीणों ने कुछ लोगों की जान तैर कर बचाई. नदी की तेज धारा में दूर गए कुछ लोगों को ग्रामीणों ने ट्यूब के सहारे बचाया. सभी पीड़ितों को ग्रामीणों ने इलाज कराया. वहीं, इस घटना की सूचना ग्रामीणों ने प्रशासन को दी.

'17 लाख लोग हुए प्रभावित'
बता दें कि सीतामढ़ी के16 प्रखंड के 179 पंचायतों में करीब 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. यहां बाढ़ से करीब 30 लाख से अधिक की आबादी डरी सहमी हुई है. वहीं, बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है. लोग ठनका से भी डरे हुए हैं. बाढ़ से यहां खासा असर इंसान के साथ पालतू मवेशियों पर भी पड़ रहा है.

Intro:बागमती के ऊफ़ान में दस लोग बहे। ग्रामीणों की मदद से बचाई गई जान। पेड़ पकड़ कर पीड़ित लगाते रहे जान की गुहार। Body: गुरुवार को बागमती की धारा में दूसरी बार तेज उफान आने के कारण बेलसंड अनुमंडल के सौली और सिरसिया गांव के 10 लोक बह कर डूब गया। लेकिन ग्रामीणों की तत्परता से सभी डूबे हुए व्यक्ति को भारी मशक्कत के बाद रस्सी के सहारे नदी की धारा से बाहर निकाला गया। लेकिन 50 वर्षीय योगेंद्र साह पानी के तेज बहाव में बह कर करीब 2 किलोमीटर दूर चला गया। तैर तैर कर थक चुका योगेंद्र के आँखों के सामने मौत मंडरा रही थी। और ग्रामीण नाव के आभाव में उसकी मदद नहीं कर पा रहे थे। लेकिन कुछ युवकों ने बुद्धिमानी और साहस का परिचय देते हुए एक ट्यूब में हवा डाल कर योगेंद्र के निकट पहुंचा। योगेंद्र अपनी जान बचाने के लिए नदी की धारा के करीब एक पैर का सहारा लेकर अपनी जान की रक्षा में जुटा हुआ था। तभी इस घटना की सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गई। लेकिन वीडियो और सीओ के पहुंचने से पूर्व ही योगेंद्र को ग्रामीणों की मदद से सकुशल वापस निकाल लिया गया। हालांकि काफी देर पानी में रहने के कारण योगेंद्र की हालत बेहद नाजुक बन गई थी। उसका गांव में ही ग्रामीण चिकित्सकों की मदद से प्राथमिक उपचार किया गया। इसके बाद उसकी हालत में सुधार हुई। पहला हादसा_____ डूबने और पानी में बहने की पहली घटना सौली गांव के बागमती धारा के बीच हुई। जहां 3 महिला और 4 पुरुष अपने मवेशियों के लिए चारा लाने गांव के चोर में गए थे।हालांकि जिस वक्त सभी ग्रामीण चारा के लिए गए थे उस दौरान जलस्तर काफी कम था। लेकिन कुछ ही समय बाद एकाएक जल स्तर में वृद्धि हुई और सभी पानी में बहने लगे। बहने वालों में राम नरेश सिंह, निर्मला देवी, वीणा देवी, चंदा देवी, बुला पासवान और अंबुज मंडल शामिल है। इन सभी को ग्रामीण बच्चा सिंह की मदद से नदी की धारा से बाहर निकाल कर जान बचाई गई। दूसरी घटना ___________ दूसरी घटना सिरसिया गांव की है जहां चार ग्रामीण अपने मवेशियों के लिए चारा काटने बागमती की धारा के उस पार गए थे। और उस लंबे 4 किलोमीटर चौर के बीच सभी को यह आभास तक नहीं हुआ कि जल स्तर एकाएक काफी बढ़ गया है। जब सभी लौटने लगे तो हर जगह अथाह पानी के कारण सभी इधर उधर बहने लगे। इसकी जानकारी जब ग्रामीणों के मिली तब जाकर करीब दो दर्जन ग्रामीण रस्सी के सहारे एक-एक कर गगन पंडित सरोज भगत और राजू राम को बाहर निकाल लिया। लेकिन तेज धारा में बह जाने के कारण योगेंद्र साह को निकालना संभव नहीं हो पाया। लिहाजा 50 वर्षीय योगेंद्र बहता हुआ नदी की धारा से करीब 2 किलोमीटर दूर चला गया। तैर तैरकर वह बेहद थक चुका था। उसकी आँखों के सामने मौत मडरा रही थी। अचानक उसे एक पेड़ दिखाई दिया जिस का सहारा लेकर वह अपनी जान की रक्षा की गुहार लगाने लगा। इसी बीच ग्रामीणों ने ट्यूब में हवा डाल कर योगेंद्र के करीब पहुंचा और उसे भारी मशक्कत के बाद निकाल कर नदी की धारा से बाहर लाया। तब जाकर योगेंद्र की जान बचाई जा साकी। नाव की नहीं है व्यवस्था ____________ यह दोनों गाँव बागमती की धारा के किनारे बसा हुआ है। और इसकी आबादी करीब 5000 है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण प्रतिवर्ष बाढ़ की विभीषिका का दंश झेलने वाले इस गांव के लोगों के आवागमन के लिए एक भी नाव की व्यवस्था नहीं कराई गई है। लिहाजा लोग अपने खेतों में जाने और मवेशियों के लिए चारा लाने के लिए जान जोखिम में डालकर बागमती की धारा के बीच आते जाते हैं। और आए दिन घटना के शिकार हो रहे है। बाइट 1. पीड़ित योगेंद्र साह। जुलाई कमीज में। बाइट 2. पीड़ित रामनरेश सिंह। गंजी में। बाइट 3. लोगो की जान बचाने वाले बच्चा सिंह। बिना लोगो का। बाइट 4. अमरेंद्र प्रताप शाही। सी ओ। बेलसंड अनुमंडल। विजुअल 5, 6, 7Conclusion: अगर इस हादसे के बाद भी इस बाढ़ प्रभावित गांवों में अगर नाव की व्यवस्था नहीं की जाती है। तो किसी बड़ी घटना और हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।
Last Updated : Jul 26, 2019, 11:37 PM IST
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